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लॉकडाउन में समय मिला तो लिख डाली 12 कविताएं

चारों ओर नाकेबंदी से सब कुछ बंद हो गयालेकिन ऐसे माहौल का कुछ लोग जो अपने व्यवसाय के साथ साथ बीच में थोड़ा बहुत समय मिलने पर साहित्य के प्रति रुचि भी रखते थेउन्हें इस दौरान अपनी रुचि बढ़ाने का पर्याप्त समय मिला। जिससे वो हफ्ता 15 दिन या महीने में एक यानि जैसे समय मिलता थाकविताएं लिखते

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 08:02 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 08:02 AM (IST)
लॉकडाउन में समय मिला तो लिख डाली 12 कविताएं
लॉकडाउन में समय मिला तो लिख डाली 12 कविताएं

जागरण संवाददाता, कठुआ : कोरोना संकट में जारी लॉकडाउन में सामान्य जनजीवन प्रभावित है। सभी प्रकार की गतिविधियां ठप हैं। सभी लोग घरों में बैठने के लिए मजबूर हो गए हैं, ऐसे माहौल में कुछ रचनाधर्मी अपनी रचना के माध्यम से लोगों को जागरूक करने में जुटे हुए हैं। ऐसे ही शहर के जगदीश सहदेव हैं। पेशे से वो ज्वेलर हैं लेकिन समय मिलने पर वो हिदी व डोगरी में कविताएं लिखते हैं। रचनाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से पोस्ट करते हैं। उनकी कविताओं को स्थानीय स्तर पर काफी सराहा जाता है। दुकान के साथ उन्हें हफ्ते या 15 दिन में एक कविता ही लिखने का मौका मिलता है। उन्होंने कोरोना संकट में घर बैठे समय का पूरा लाभ उठाया और इस दौरान 12 कविताएं लिखीं। इनमें मुख्य रूप से कोरोना, आंधियां, बच्चों की गेम, लॉकडाउन, प्यारी मम्मी व फरमान आदि हैं। जगदीश सहदेव का कहना है कि कोरोना संकट ने मानव की जिदगी पर किस तरह प्रभाव डाला, लॉकडाउन ने कैसे हर किसी को अपने घर में बैठने के लिए मजबूर किया। कोरोना संकट का फरमान हमें क्या सिखा गया, बच्चों को गेम खेलने का खूब मौका मिला और घर में मम्मी के साथ पूरा दिन बिताने से असीम प्रेम का अहसास हुआ आदि हालात पर कविताएं लिखने का खूब मौका मिला। इससे उनकी साहित्य के प्रति और रुचि बढ़ी। मन में कुछ लिखने की हसरत होते हुए भी व्यस्तता के कारण नहीं बयां कर पाता था, अब वो भी पूरी हुई। जगदीश की बेटी भी सोशल मीडिया पर डोगरी गीत, मां की भेंटें बहुत सुरीली आवाज में गाती है। जगदीश वेट लिफ्टिग का भी शौक रखते हैं और वो मिस्टर कठुआ का खिताब भी जीत चुके हैं।

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