कोरोना भूल लोग सीता जन्म देखने रामलीला मैदान में उमड़े
संवाद सहयोगी बसोहली रामलीला में कुछ ऐसे दृश्य हैं जिन्हें देखने के लिये हर बार भीड़ उमड़ पड़त
संवाद सहयोगी, बसोहली: रामलीला में कुछ ऐसे दृश्य हैं, जिन्हें देखने के लिये हर बार भीड़ उमड़ पड़ती है। ऐसा ही रात को हुआ, लोग कोरोना को भूल गए और रामलीला देखने के लिए रामलीला मैदान पहुंचे। मेरा शहर मेरी शान की विजिटिंग अधिकारी अनुराधा रानी भी इस मौके पर रामलीला का मंचन देखने के लिए पहुंची, जिनका स्वागत कमेटी प्रधान प्रधान चंद्र शेखर ने किया।
तीसरे दिन की रामलीला के मंचन में प्रमुख आकर्षण सीता जन्म रहा। विश्वामित्र वन में तपस्या कर रहे थे, सुबाहु मारीच ताड़का आदि राक्षस उनकी तपस्या में बार-बार अड़चन डाल रहे थे। जिस पर उन्होंने सोचा क्यों ना राम के हाथों इन क्रूर राक्षसों का वध करवाया जाए। वे अयोध्या में पहुंचे और उन्होंने दरबार के बाहर डेरा डाल लिया। इसका समाचार जैसे ही राजा दशरथ को मिला तो खुद गुरु विश्वामित्र को लेने के लिये आये। दशरथ ने आने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वन में रहना बहुत मुश्किल हो गया है। उन्होंने आग्रह किया कि राक्षसों का संहार करने के लिये राम लक्षमण को उनके साथ भेजा जाये। इस पर राजा दशरथ ने कहा कि अब बच्चे छोटे हैं, वह उन्हें कैसे भेज सकते हैं मैं खुद ही राक्षसों का संहार करने के लिये आप के साथ चलता हुं। इस पर विश्वामित्र ने कहा कि आप की उम्र ज्यादा हो गई है, राम लक्षण गुरुकुल में सब कुछ सीख कर आए हैं वह ही चलेंगे इस पर उन्हें जाने की अनुमित दी। इसके बाद वन में पहुंचने पर सबसे पहले ताड़का राक्षसी का वध किया, उसका बदला लेने आये सुबाहु मारीच दोनों का वध किया।
रामलीला मंचन के प्रमुख आकर्षण में सीता जन्म रहा, जिसमें राजा जनक के पास गाव वाले आए और उन्हें अपनी व्यथा सुनाई कि बिना बारिश के खेत सूख गये हैं और किसानों के पास खाने के लाले पड़ गये हैं, इस पर उन्होंने अपने गुरु शतानंद को बुलाया और उन्होंने सुझाव दिया कि अगर आप खुद से स्वर्ण जड़ित हल खेतों में चलायें तो बारिश होने के आसार हो सकते हैं। जिसे सहर्ष स्वीकार करते हुए हल चलाना शुरू किया। राजा जनक ने जैसे ही हल चलाना खेतोंमें शुरू की, देखते ही देखते आसामन पर बादल छा गये और जोरदार बारिश हुई, किसान खुशी के मारे नाचने लगे। धरती में जोरदार आवाज हुई और धरती फटी, जिससे सीता माता बाहर निकली, जिसे राजा जनक ने अपने हाथों बाहर निकाला और अपनी पत्नी को दिया। धरती फटने और इसके भीतर से सीता के जन्म में आधुनिक कला का इस्तेमाल किया गया। पूर्व कमेटी के उप प्रधान अजय साध, सुनील सोनी, अतुल बडियाल, धीरज सलियालच आदि कई कलाकारों ने इसमें सहयोग दिया। रामलीला मैदान के भीतर एक गुफा को बनाया गया है, उसमें आग लगाई जाती है, जिससे एक पटाखे की आवाज पर सीता बाहर निकलती है। बारिश के लिये मोटर लगाई जाती है और पाइपों को खंभे पर जोड़ा जाता है, जिससे लगता है कि सचमुच की बारिश हो रही है। बाक्स---
जनक बने सोहन लाल ने मोहा सब का मन
राजा जनक की भूमिका पहली बार मंडला गाव के युवा कलाकार सोहन लाल ने की। इससे पूर्व कस्बे के लेक्चरार जिंदल पाधा करते रहे जिनकी पिछले दिनों कोरोना से मौत हो गई उन के ही शाíगद सोहन ने राजा जनक की भूमिका इस प्रकार की की सब का मन मोह लिया। राग मल्हार पर आधारित गीत को गाया जिस पर दर्शक तालिया बजाने को मजबूर हुए। उन के द्वारा निभाई गई कलाकारी से प्रभावित होकर लोगों ने उन्हें खूब आर्शीवाद दिये। जिस पर वह अपने आसु भी रोक नहीं पाये।
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प्रभु श्री राम का विवाह का ²श्य देख दर्शक हुए मंत्रमुग्ध
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जागरण टीम, कठुआ: नवरात्र के उपलक्ष्य में शहर के राम लीला मैदान में जारी राम लीला मंचन के दौरान तीसरे दिन धनुष यज्ञ, श्री राम विवाह के मुख्य ²श्य मंचित किए गए। भगवान श्री राम की भूमिका में श्री राम नाटक सभा के कलाकर विश्व प्रताव आकर्षण का केंद्र रहे। जिनके द्वारा भगवान श्री परशुराम से शालीनता और धैर्य से संवाद ने उपस्थिति को काफी मनोरंजन किया। वहीं लक्ष्मण की भूमिका में स्वतंत्र भारत के संवाद को सुनने के लिए दर्शक अपनी सीटों पर जमे रहे। इसी बीच राजा जनक की भूमिका में आशू गुप्ता, परशुराम की भूमिका में राकेश गुप्ता और रावन की भूमिका में राकेश सिंह ने दर्शकों को देर रात तक सीटों पर बैठाए रखा। परशुराम और लक्ष्मण के बीच हुए संवाद से दर्शक काफी प्रभावित हुए। वहीं श्री राम विवाह से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। राम नाटक सभा द्वारा आयोजित राम लीला मंचन के दौरान शाम 9 बजे के बाद दर्शक नियमित रूप से पहुंच रहे हैं। कोरोना महामारी के बीच भी दर्शक पहले की तरह राम लीला मंचन का आनंद ले रहे हैं।