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धान की कटाई शुरू, अभी तक सरकारी खरीद की व्यवस्था नहीं

राकेश शर्माकठुआ जिले में धान की कटाई शुरू हो गई है लेकिन अभी तक सरकारी खरीद के लि

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 12:14 AM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 12:14 AM (IST)
धान की कटाई शुरू, अभी तक सरकारी खरीद की व्यवस्था नहीं
धान की कटाई शुरू, अभी तक सरकारी खरीद की व्यवस्था नहीं

राकेश शर्मा,कठुआ: जिले में धान की कटाई शुरू हो गई है, लेकिन अभी तक सरकारी खरीद के लिए मंडी की व्यवस्था तक नहीं की गई है। हालांकि, खेतीबाड़ी विभाग का दावा है कि एक अक्टूबर से धान खरीद के लिए मंडी खोल दी जाएगी।

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दरअसल, सरकार के अनथक प्रयास के बावजूद किसानों को कड़ी मेहनत से तैयार की गई फसल निजी व्यापारी औने-पौने दाम पर खरीद रहे हैं। इससे किसानों की पसीने की कमाई का उचित दाम नहीं मिल रहा है। हालांकि, सरकार किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए हर साल मंडी खोलकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदती है, लेकिन उससे पहले ही किसान अपनी फसल को कई दशकों से बनी परंपरा के चलते क्षेत्र के निजी व्यापारियों को उनकी मर्जी के रेट पर फसल बेच देते हैं। अभी जिले में सरकार ने कोई खरीद के लिए मंडी तक स्थापित नहीं की है। इसका निजी व्यापारी लाभ उठाना शुरू कर दिए हैं।

जिले में अभी कठुआ, हीरानगर, नगरी, मढ़ीन आदि निचले सिचाई वाले क्षेत्र में धान की कटाई का काम शुरू हो चुका है। हालांकि, यह अभी शुरूआती दौड़ है। सिर्फ पांच फीसद क्षेत्र में कटाई होने के बाद किसान फसल निकाल कर निजी व्यापरियों को बेच भी रहे हैं। मंडी स्थापित नहीं होने के कारण निजी व्यापारी किसानों से औने पौने दाम पर धान खरीदने भी शुरू हो गए हैं। पंजाब से सटे जराई क्षेत्र में इन दिनों धान की कटाई शुरू हो चुकी है।

बहरहाल, किसानों की मजबूरी का फायदा क्षेत्र में निजी व्यापारी लाभ उठाने में जुट गया है। कई व्यापारी किसानों से खेत में ही जाकर फसल खरीद लेते हैं। किसान भी फसल निकाल कर उसे घर ले जाने की बजाय वहीं से बिकने में कई तरह के झंझट से बचने का प्रयास करता है। हालांकि, क्षेत्र के किसानों का कहना है कि हर साल सरकार मंडियां स्थापित करती है, लेकिन उसे फसल की कटाई शुरू होते ही खोल देना चाहिए ताकि वह निजी व्यापारियों को फसल न बेच सके और अपनी फसल का पूरा मूल्य नकद में ले सके। जहां तो व्यापारी कई किसानों को कुल रकम का 20 फीसद एडवांस देकर शेष राशि अगले कई महीने, जो उस समय रेट हो, की डील करके पेमेंट देते हैं। ऐसे में सरकार मंडियों को कटाई शुरू होने से पहले ही खोले और किसी भी व्यापारी को किसानों से फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम खरीदने पर दंडित करें।

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किसानों की मजबूरी का निजी व्यापारी उठाते हैं लाभ

सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य एक तरफ रह जाते हैं और व्यापारी इस समय किसानों की मजबूरी का लाभ उठाकर 11 सौ से लेकर 15 सौ प्रति क्विंटल धान खरीद रहे हैं, जबकि सरकार का समर्थन मूल्य 1868 और 1888 रुपये प्रति क्विंटल है, जो किसानों को सरकारी मंडी में धान बेचने पर मिलेगा। अभी मंडी खुली नहीं है। ऐसे में किसान को उससे पहले अपनी फसल बेचकर अपनी जरूरत पूरी करनी है तो उसे औने पौने दाम पर बेचना मजबूरी बन जाता है, ऐसा इसलिए कि किसान की दो मुख्य रबी और खरीफ की फसलें साल में दो बार होती है। इसके लिए उसे छह महीने का इंतजार करना पड़ता है, जो किसान पूरी तरह से खेती पर निर्भर है,वो कब फसल तैयार हो,इसका इंतजार करता रहता है।

- शिवदेव सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, किसान संगठन। कोट्स---

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सरकार किसानों की सुविधा के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है। एक अक्टूबर से जिले में धान खरीद के लिए मंडियां खोल रही है। जिला में आठ खरीद मंडियों को खोलने की मंजूरी मिल चुकी है।

-अरुण गुप्ता, जिला मुख्य कृषि अधिकारी, कठुआ।


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