Move to Jagran APP

प्याज फिर निकालने लगा आंसू

सब्जियों के भाव एक बार फिर आसमान छूने लगे हैं। हर वर्ग के रसोई का अहम हिस्सा रहा प्याज और आलू का भाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 06:08 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 06:08 AM (IST)
प्याज फिर निकालने लगा आंसू
प्याज फिर निकालने लगा आंसू

जागरण संवाददाता, कठुआ : सब्जियों के भाव एक बार फिर आसमान छूने लगे हैं। हर वर्ग के रसोई का अहम हिस्सा रहा प्याज और आलू का भाव लगातार बढ़ता जा रहा है। प्याज 80 रुपये किलो तक बिकने लगा है, जबकि आलू भी 60 रुपये तक पहुंच चुका है। चिंता इस बात की है कि पिछले साल की तरह प्याज कहीं फिर आंसू न निकालने लगे।

loksabha election banner

प्याज अब आम लोगों के रसोई से दूर होने लगा है। हालांकि नवरात्र के दौरान ज्यादा बिक्री होने वाला आलू भी प्याज के साथ ही अपना दाम बढ़ा रहा है। आलू इस समय मार्केट में 60 रुपये किलो तक पहुंच चुका है। यह कीमत अब तक का सबसे ज्यादा है। हालांकि प्याज गत वर्ष भी महंगा हुआ था। तब तो 140 रुपये किलो तक प्याज पहुंच गया था। लेकिन जब स्थानीय किसानों की फसल मार्केट में पहुंची तो प्याज 15 से 20 रुपये किलो भाव गिरा। अब फिर देश में प्याज के मुख्य उत्पाद केंद्र नासिक में थोक भाव 65 से 70 रुपये किलो तक पहुंच चुका है। आलू के भाव ने बनाया रिकार्ड थोक व्यापारी गौरव गुप्ता ने कहा कि आलू के भाव ने रिकार्ड बना दिया है। अब तक में सबसे ज्यादा महंगा हुआ है। अभी नवरात्र के चलते प्याज की बिक्री कम है, लेकिन दो दिन के बाद नवरात्र संपन्न होते ही प्याज की मांग बढ़ेगी, जिससे भाव कम होने की अब जल्द उम्मीद नहीं है। इसके अलावा अब शादी विवाह का सीजन शुरू होने जा रहा है, जिसमें प्याज की मांग बरकरार रहेगी। इसके चलते प्याज अब मंहगाई के आंसू रुलाएगा।

महंगाई पर लगाम लगाने में सरकार फेल कांग्रेस के पूर्व एमएलसी सुभाष गुप्ता, पूर्व मंत्री योगेश साहनी एवं प्रदेश सचिव कुलवीर सिंह पठानिया ने कहा कि भाजपा के शासन में महंगाई एवं मुनाफाखोरों पर कोई लगाम नहीं है। ये अभी आलू प्याज की बात है। अगर बात करें धान की तो जो कीमत किसानों को व्यापारियों से मिल रही है, उससे पता चलता है कि सरकार चाहे कुछ कहे, लेकिन सिस्टम अपनी मर्जी से चलता है। सरकार ने धान का न्यनूतम समर्थन मूल्य 1887 रुपये प्रति क्विटल तय कर रखा है, लेकिन व्यापारी किसानों को 1100 से 1500 रुपये प्रति क्विटल ही कीमत दे रहे हैं। न तो किसानों को उसकी उपज का सही मूल्य मिलता है और न ही ग्राहकों को। सरकार अपने कार्यकाल में महंगाई पर लगाम लगाने में पूरी तरह से असफल रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.