सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं : परमानंद गिरि
दुर्भाग्य से भारत में धर्म निरपेक्ष का शब्द गलत है। अगर धर्म से ही हमारी उपेक्षा हो गई तो हम जानवर के सम्मान है। धर्म का मतलब दूसरे का हितदूसरे को पीड़ा पहुंचाने के सिवाय बड़ा अधर्म नहीं है।
जागरण संवाददता,कठुआ : नौनाथ अखंड परमधाम आश्रम में जारी संत समागम एवं हरिकथा के दूसरे दिन शुक्रवार को उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं पर प्रवचनों की वर्षा करते हुए युग पुरुष स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि दुर्भाग्य से भारत में धर्मनिरपेक्ष का शब्द गलत है। अगर धर्म से ही हमारी उपेक्षा हो गई तो हम जानवर के समान है। धर्म का मतलब दूसरे की मदद करना सिखाता है। दूसरे को पीड़ा देना सबसे बड़ा अधर्म है। धर्म पर चलने वाला मनुष्य हमेशा सत्य का साथ देता है। असत्य इतना बड़ा पाप है कि करोड़ों पाप मिल कर भी सत्य के बराबर नहीं हो सकते। इसलिए सत्य के समान कोई दूसरा धर्म नहीं है। स्वामी ने कहा कि राम मंदिर भूमि आंदोलन से वो कई सालों तक जुडे़ रहे हैं। कई बार जेल में भी गए, लेकिन अब समय राम मंदिर के निर्माण का आता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि जो बीजोगे, वहीं पाओेगे, अगर कुछ बीजोगे ही नहीं तो फल की कैसे उम्मीद कर सकते हैं। इसलिए जब राम मंदिर के निर्माण के लिए आंदोलन चलाया गया तो उसका फल मिलना ही था। जिसकी घड़ी अब आ गई है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा खतरनाक देश की राजनीति है,जो अपनी सुविधा के लिए ही सिर्फ प्रावधान बनाते हैं, अभिप्राय यह है कि लोग अपने मन के रास्ते निकाल लेते हैं,जब कि छोटा बच्चा अपने मां के इरादे से चलता है, लेकिन हम बड़े गुरुओं के इरादे पर नहीं चलते हैं। इसलिए ज्यादा स्वतंत्रता भी अच्छी नहीं है। सच्चाई यह है कि जहां से आए हैं,वहां लौट कर जाना ही है। इससे पहले कथा व्यास पीयूष जी महाराज ने कहा जिस पक्ष में धर्म हो,उसे युद्ध में कोई नहीं हरा सकता है। एक राजा को अपनी प्रजा को परिवार के सदस्य की तरह पालना करनी चाहिए।
वहीं संत सुभाष शास्त्री ने संत समागम में युग पुरुष के कथा में हरिद्वार से पधारने पर आभार जताया और आरती उतार कर उनका स्वागत किया। समागम में महामंडलेश्वर ज्योतिमर्यनंद जी महाराज, साध्वी दिव्य चेतना भी विशेष रूप से उपस्थित रहीं।