समस्या समाधान के लिए अब अपना ही प्रतिनिधि होगा
जागरण संवाददाता, कठुआ : निकाय चुनाव को लेकर जहां चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार सक्रिय हो रहे हैं,
जागरण संवाददाता, कठुआ : निकाय चुनाव को लेकर जहां चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार सक्रिय हो रहे हैं, वहीं शहरवासी भी पिछले कई वर्षो से वार्ड में रुके विकास कायरें में तेजी आने की उम्मीद जता रहे हैं। शहरवासियों को अब लगने लगा है कि उनकी समस्याओं को अब सुनने वाला उनका अपना ही प्रतिनिधि होगा, जिसे वो छोटी-छोटी समस्याएं, जैसे स्ट्रीट लाइट, गली निर्माण, नालियों के निकास, पीने की पानी की कमी, बिजली आदि के समाधान के लिए सीधे कह सकेंगे। अब उन्हें जिला अधिकारियों के कार्यालयों में चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। उनकी समस्याएं हल कराने के लिए अब उनका अपना प्रतिनिधि होगा। विगत आठ सालों से जब से निकाय भंग हुई हैं, क्षेत्र का विकास भी रुका है और उनकी समस्याएं सुनने वाला भी कोई नहीं था। विधायक के पास इतना समय भी नहीं होता है, अगर हों तो उनके पास लगी भीड़ से समस्याएं सुनाने का कभी कभार ही मौका मिलता है। ऐसे में अब उन्हें अपना प्रतिनिधि मिलेगा, जो उनकी हर समस्या से वाकिफ हो। जो उनके वार्ड की आवाज बनकर काम करेगा।
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उनके वार्ड में गलियों की हालत इतनी खराब है कि कई दशक पहले एक बार बनी थीं, उसके बाद उनकी किसी ने सुध नहीं ली। अब उम्मीद जगी है कि उनकी समस्याओं का समाधान होगा और वो खुद भी खुलकर अपनी समस्याएं रखने में सक्षम होंगे। -विजय कुमार
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सरकार ने निकाय चुनाव कराने का फैसला लेकर अब निचले स्तर पर लोगों को जो पावर देने का मौका दिया है, इससे उनकी कई सालों से लंबित समस्याओं का समाधान होगा। जबसे निकाय भंग हुई है। उनके वार्ड में समस्याओं का बोलबाला है। नगर परिषद के अधिकारी फंड का अभाव बताकर समस्याओं के समाधान कराने में असमर्थता जताते थे। -अमीर चंद
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आठ साल से निकाय चुनाव न कराकर सरकार ने शहरों के विकास को ब्रेक लगा दी थी। कार्यालयों में अफसरशाही का बोलबाला हो गया है। अधिकारी आम लोगों की सुनते ही नहीं है। सिर्फ प्रभावशाली लोग ही विकास कराने का मौका पाते हैं। अब चुनाव में उनका अपना प्रतिनिधि होगा, जो उनकी समस्याएं सीधे सुनेगा और समाधान कराने में सक्षम होगा।
-देस राज
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निकाय चुनाव कराकर सरकार ने आठ साल से केंद्र द्वारा शहरों के विकास के लिए रोके गए फंडों को मिलने की अब उम्मीद जगा दी। इतने वर्षो से नगर परिषद के पास कोई भी विशेष फंड नहीं आए हैं। इससे विकास रुक गया था। शहर में छोटी-छोटी गलियों के रिपेयर तक के काम रुक गए थे। कार्यालयों में बैठे अधिकारी भी उनकी नहीं सुनते थे, लेकिन अब अपने वार्ड का प्रतिनिधि होगा, जो उनकी समस्या का समाधान कराएगा। -आशा रानी