कोरोना से निपटने के लिए मिले फंड का हो रहा दुरुपयोग
जागरण संवाददाता कठुआ जिले में कोरोना महामारी से निपटने के लिए उपलब्ध फंडों को पूरी त
जागरण संवाददाता, कठुआ: जिले में कोरोना महामारी से निपटने के लिए उपलब्ध फंडों को पूरी तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है। आठ दिनों से कठुआ रेलवे स्टेशन पर खड़ी बसों को मंगलवार देर सायं को डिपो में भेज दिया गया, जिसके कारण अब आठ दिनों के खर्च कोविड-19 के तहत आए फंड से चालक व सह चालक के अलावा बस किराया को भुगतान किया गया।
दरअसल, दैनिक जागरण ने 26 जून को बिना सूचना के कठुआ रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों के लिए कैंप स्थापित करने से संबधी समाचार को प्रमुखता से भी प्रकाशित किया था, जिसमें बताया गया था कि प्रशासन से लेकर रेलवे प्रशासन तक को रेलगाड़ी आने की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन स्टेशन के बाहर शिविर लगाकर शामियाना व बसों का कोविड-19 के फंड से इंतजाम किया गया है। हालांकि, जिला प्रशासन ने उच्चाधिकारियों के निर्देश पर विभिन्न राज्यों से लौटने वाले यात्रियों की स्वास्थ जांच के लिए अस्थायी कैंप लगाया था, जहां पर सैकड़ों यात्रियों के लिए शामियाना लगाकर सैकड़ों कुर्सियां और अलग केबिन बनाए गए। इसके अलावा आठ दस बसों को भी तैयार रखा गया, लेकिन मंगलवार देर सायं बसों को तो वापस भेज दिया गया, लेकिन शामियाना और कुर्सियां अभी भी वहां लगी हैं। कर्मचारी भी तैनात हैं। हैरानी इस बात की है कि जब ट्रेन से यात्रियों की अभी तक आने पर कठुआ में रुकने की सूचना प्रशासन के अधिकारियों के अलावा रेल अधिकारियों तक के पास नहीं है तो वहां किसके लिए स्वास्थ्य जांच शिविर आठ दिन से बना हुआ है। यहां तक कि रेलवे ने अब तो 12 अगस्त तक कोई भी ट्रेन का परिचालन नहीं करने की भी घोषणा कर दी है। अभी सिर्फ एक ही स्पेशल ट्रेन दिल्ली- जम्मू के बीच चल रही है, जिसका लुधियाना के बाद सिर्फ जम्मू ही एक स्टापेज है, बीच रास्ते में कोई स्टापेज तक नहीं है। ऐसे में कठुआ रेलवे स्टेशन पर गत 25 जून को किस ट्रेन के रुकने की सूचना प्रशासन के पास पहुंची और अगर पहुंची तो उसका कोई दिन भी तय होगा, लेकिन ऐसा नहीं है, प्रशासन खुद मानता है कि उनके पास किसी भी ट्रेन या कब रुकनी है, उसकी सूचना तक नहीं है, उन्हें तो उच्चाधिकारियों ने 24 जून से पहले-पहले कठुआ रेलवे स्टेशन पर अगले दिनों उतरने वाली कठुआ जिला के यात्रियों की स्वास्थ्य जांच के लिए पूरे प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं, उसी आदेश के तहत प्रबंध कर रखे हैं। उधर, रेलवे विभाग के पास भी कठुआ रेलवे स्टेशन पर किसी ट्रेन की अगले कुछ दिनों तक रुकने की कोई सूचना नहीं है। ऐसे में वहां किसके लिए कैंप स्थापित किया गया है। ये तो सीधे सीधे कोरोना के नाम पर उपलब्ध फंडों का दुरुपयोग है। एक बस का चालक को प्रतिदिन पांच सौ रुपये खर्च दिया जा रहा है, और बस का किराया अलग से, जिसका सरकार ने टेंडर डाला। इसके अलावा टेंट और 500 कुर्सियों का भी किराया रोजाना दिया जा रहा है। कोट्स--
अभी तक उन्हें कठुआ रेलवे स्टेशन से टेंट हटाने के कोई निर्देश नहीं है, उच्चाधिकारियां से बात करके ही अगला कदम उठाएंगे।
-ओपी भगत, डीसी, कठुआ।