बसोहली में आधी रात को हुआ रावण दहन
संवाद सहयोगी, बसोहली : पूरे भारत में यहां शाम को पुतले जलाने का रिवाज है मगर बसोहली
संवाद सहयोगी, बसोहली : पूरे भारत में यहां शाम को पुतले जलाने का रिवाज है मगर बसोहली की रामलीला सब जगहों से कुछ अलग तरह की होती है। यहां आधी रात को रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाने का रिवाज है, यह परंपरा पिछले कई वषरें से चली आ रही है।
ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण लोग रात को ही मंचन देखने के लिए उपलब्ध होने के कारण रात को पुतले जलाने की प्रक्रिया शुरू की गई जो चलती रही। पूर्व में दशहरा देर शाम को होता था बाद में कलाकार देर रात को उपलब्ध होने के कारण पुतलों को जलाने का रिवाज लगभग 32 वर्ष पूर्व शुरू हुआ। देर रात हुए रामलीला के अंतिम दिन में एहीरावण द्वारा विभीषण का वेश बदल कर राम लक्ष्मण को बेहोश कर अपने महल में ले जाना और मां की उपासना कर दोनों को बलि के लिए तैयार करना और वहां हनुमान का पहुंच कर एहीरावण का वध करना। एहीरावण के वध होते ही रावण को ज्ञान हो गया कि राम नर नहीं नारायण है। अगर मेरी सारी सेना उनके हाथों मर गई तो मैं भी नहीं बचूंगा और भगवान के हाथों मरने में ही मेरी और मेरे कुल की भलाई है। राम द्वारा रावण का वध करना और लक्ष्मण का रावण से शिक्षा ग्रहण करना और उसके उपरांत रावण का दहन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। रामलीला संपन्न के अवसर पर रामलीला क्लब बसोहली द्वारा राम के राज्य अभिषेक की झांकी को देखने लोगों की खासी भीड़ उभरी। इसी के साथ बसोहली की ऐतिहासिक रामलीला संपन्न हुई।
बाक्स में
दैनिक जागरण का जताया आभार
रामलीला के समापन अवसर पर रामलीला क्ल्ब के प्रधान चंद्र शेखर बसोत्रा ने दैनिक जागरण समाचार पत्र द्वारा बसोहली रामलीला को विशेष कवरेज देने पर आभार जाते हुए कहा कि इस पत्र द्वारा बसोहली रामलीला को हर वर्ष विशेष कवरेज दी जाती है जिस कारण बसोहली रामलीला भारत की नंबर वन रामलीला का दर्जा प्राप्त कर पाई।