चक देसा सिंह का किस्सा, दावे व वादे मिलते हैं ग्रामीणों को हमेशा
से दूसरा बैक टू विलेज कार्यक्रम आयोजित करने जा रही हैलेकिन इससे पहले गत जून में आयोजित बैक टू विलेज-एक कार्यक्रम में ग्रामीणों द्वारा उठाई गई समस्याओं में से एक का भी आज तक समाधान नहीं हो पाया है। ऐसे में फिर शुरू होने जा रहे बैक् टू विलेज कार्यक्रम से पहले आयोजित हुए कार्यक्रम पर ग्रामीण सवाल उ
जागरण संवाददाता, कठुआ: जिले के चक देसा सिंह गांव में अधिकारियों के दो रात व तीन दिन बिताए जाने के बाद भी बुनियादी समस्याएं दूर नहीं हुई। आज भी ग्रामीण बदहाल गली व नाली के अलावा स्वच्छ पेयजल को तरस रहे हैं। आलम यह है कि पांच माह बीत जाने के बाद भी समस्याएं जस की तस बरकरार है।
दरअसल, एक बार फिर राज्य सरकार बैक टू विलेज कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है, लेकिन गत जून में आयोजित बैक टू विलेज-एक कार्यक्रम के दौरान चक देसा सिंह के ग्रामीणों द्वारा उठाई गई समस्याओं का आज तक समाधान नहीं हो पाया है। इस वजह से एक बार फिर बैक टू विलेज कार्यक्रम आयोजित होने वाले कार्यक्रम पर ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव की गली, नाली, शौचालय और साफ सफाई आज भी बदहाल है।
जून माह में आयोजित बैक टू विलेज एक में तत्कालीन विजिटिग अधिकारी प्रदीप सिंह मन्हास थे, जो कि उस समय जम्मू में संयुक्त आयुक्त और अब एक्साइज विभाग लखनपुर में बतौर डीसी तैनात है। समस्याएं जानने के लिए गांव में तीन दिन और दो रात ठहरे थे। ग्रामीणों द्वारा उठाई गई मुख्य समस्याओं को अधिकारी ने नोट करने के बाद सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया था, लेकिन पांच माह बीत जाने के बाद भी समस्याएं जस की तस पड़ी है। बाक्स----
गांव की ये है मुख्य समस्याएं
- बदहाल मलिन गलियां।
-नालियों की कोई व्यवस्था नहीं।
- शौचालय भी आज तक नहीं बन पाया।
-साफ सफाई के भी नहीं है प्रबंध, जगह-जगह बिखरा है कचरा।
- स्वच्छ पेयजल की सप्लाई दो वार्डों में नहीं होती है आज भी।
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पांच महीने पहले भी बैक टू विलेज कार्यक्रम हुआ था, उसमें जो समस्याएं रखी गई, अभी तक उनका समाधान नहीं हुआ है, ऐसे में अब क्या उम्मीद की जा सकती है।
-अनिता देवी, पंच। कोट्स---
गांव की मुख्य समस्या बदहाल गलियां है। ज्यादातर गलियां कच्ची हैं। अगर कोई बनी है तो वह भी टूटी हुई है। उसे फिर से रिपेयर नहीं किया गया है, जिस पर चलना भी दूभर हो गया है। सरकार सिर्फ वादे व आश्वासन ही देती है।
-वेद प्रकाश। कोट्स--
सरकार के इतने बड़े कार्यक्रम के बावजूद भी समस्याएं हल नहीं हो पाई हैं तो अब क्या उम्मीद की जा सकती है। गांव में विकास नाम की कोई चीज नहीं है और न ही सफाई है। कचरे के निस्तारण की कोई व्यवस्था तक नहीं है।
-हंस राज। कोट्स---
गांव में उस समय शौचालय के निर्माण की मांग की गई थी, जो की सरकार की मुख्य प्राथमिकता होती है। बैक टू विलेज में भी इसी तरह के कार्य नहीं हुए और कार्यो की कैसे उम्मीद करेंगे।
-प्रवीण कुमार।
कोट्स--- बाक्स-दो कालम
बैक टू विलेज एक में उनकी पंचायत के लोगों ने गांव को शहर से साथ सटे होने के कारण ओडीएफ करने की मांग की, क्योंकि गांव में पानी जमीन के काफी ऊपर है। दलदल होने के कारण खुले में शौच के कारण पूरे क्षेत्र में बदबू का आलम रहता है। इस मुख्य समस्या के समाधान की मांग आज तक पूरी नहीं हुई है, अब फिर बैक टू विलेज कार्यक्रम से ज्यादा उम्मीद नहीं है।
-सुनीता देवी, सरपंच।
कोट्स---बाक्स--दो कालम
चक देसा सिंह गांव में बैक टू विलेज-एक कार्यक्रम के तहत जो भी समस्याएं ग्रामीणों ने रखीं थी, उसकी बाकायदा बुकलैट बनी है और ये प्रक्रिया सारी ऑनलाइन है। उसके बाद प्रत्येक पंचायत के लिए दो-दो लाख रुपये मंजूर हुए हैं। उसका पैसा भी आ गया है। अब उससे विकास कार्य होंगे।
-विरेंद्र बावा, बीडीओ, कठुआ ब्लॉक।