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मुकंदपुर खनवाल में समस्याओं का पहाड़, कौन करेगा निदान

विकास के लिए केंद्र सरकार ने अनेक योजनाएं लागू कर रखी हैं और हर ब्लाकों में इन के तहत करोड़ों रुपए भी आते हैं

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 07:04 PM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 10:35 PM (IST)
मुकंदपुर खनवाल में समस्याओं का पहाड़, कौन करेगा निदान
मुकंदपुर खनवाल में समस्याओं का पहाड़, कौन करेगा निदान

संवाद सहयोगी, हीरानगर: गांवों के विकास के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हुई है। हर ब्लाक में इसके तहत करोड़ों रुपये भी आ रहे हैं, बावजूद अधिकांश गांव ऐसे हैं जहां लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही। ऐसा ही एक गांव है मढीन ब्लॉक का मुकंदपुर खनवाल, जिसके चहुंमुखी विकास के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

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करीब दो सौ परिवार वाले मुकंदपुर खनवाल गांव की दो सड़कों की हालत काफी जर्जर है, जिसके कारण ग्रामीणों का आने जाने में काफी परेशानी होती है। सिचाई के लिए रावी तवी विभाग ने दो सुए तो बनाए हुए है, लेकिन पिछले पंद्रह वर्षो से पानी नहीं आया और ना ही इस की मरम्मत करवाई गई। पानी की निकासी का भी उचित प्रबंध नहीं है। कुछ घरों में शौचालय नहीं बनाए गए, जिसके कारण ऐसे ग्रामीण खेतों में जाकर मलमूत्र त्याग करने को मजबूर हैं। किसानों की भी कई समस्याएं से जूझना पड़ रहा है, जिसका समाधान नहीं हो रहा। अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश हो जाने से ग्रामीणों को उम्मीद है कि विकास में तेजी आएगी। कोट्स--

गांव की एक सड़क पर पीडब्ल्यूडी विभाग ने कंक्रीट तो बिछा दी है, लेकिन तारकोल नहीं। दूसरे का निर्माण कार्य भी अधर में लटका हुआ है। बारिश होते ही ग्रामीणों को आने जाने में परेशानी होती है। पंचायत की तरफ से चालीस हजार रुपये रखे गए हैं, जिससे निर्माण कार्य मुकम्मल होना संभव नहीं है। प्रशासन को फंड बढ़ाना चाहिए।

- बिट्टू वर्मा, सचिव, पंच एसोसिएशन। कोट्स--

बारिश से बासमती की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। खेतों में पड़ी कटी फसल के अंकुर भी निकल आए हैं, अब गेहूं की फसल लगने की भी संभावना नहीं है। फसल बीमा योजना के तहत भी नुकसान की भरपाई नहीं होती। किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को फसल के नुकसान का उचित मुआवजा देना चाहिए।

-सरदार सिह, पूर्व सरपंच। कोट्स--

गांव में सिचाई के लिए चालीस साल पूर्व रावी तवी सिचाई विभाग ने सुए बनाए थे जिन में पंद्रह सालों से पानी नहीं आया। और ना ही मरम्मत करवाई गई। अधिकारियों को बार- बार कहने के बावजूद समस्या का हल नहीं हुई।

-जागीर सिह, पंच। कोट्स--

ओल्ड सांबा कठुआ मार्ग के साथ अभी तक पानी की निकासी के लिए नाले नहीं बनाए गए। बारिश के दौरान पानी साथ लगते गुरुद्वारे तथा घरों में घुस जाता है, जिससे लोगों को परेशानी होती है। ग्रेफ को नाले बना कर निकासी करवानी चाहिए।

-गुरमेल कौर, स्थानीय निवासी। कोट्स---

गांव में अधिकांश किसान पंपसेटों से सिचाई करते हैं, बिजली की पुरानी तारें लटकी रहने से फाल्ट आ जाता है, जिस कारण मोटरें जल जाती हैं संबंधित विभाग को खंबे लगा कर तारों को भी बदलना चाहिए।

- इचशर दास स्थानीय निवासी। कोट्स--

लोअर खनवाल में बिजली की कम वोल्टेज की वजह से लोगों को परेशानी होती है। इस समय सिंचाई के लिए ट्रांसफार्मर से बिजली की सप्लाई होती है, विभाग को नया ट्रांसफार्मर लगा कर समस्या का समाधान करवाना चाहिए।

-यशपाल शर्मा, स्थानीय निवासी। कोट्स--

गांव में स्वच्छ भारत अभियान के तहत सभी घरों में शौचालय नहीं बने हैं, जबकि इस समय शौचालयों की जरूरत है। अगर सरकार फंड मुहैया करवा रही है तो शौचालय निर्माण में तेजी आनी चाहिए।

-रशपाल सिंह, ग्रामीण। कोट्स--

पंचायत में उप स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है, जिसके कारण उपचार के लिए मढीन अस्पताल जाना पड़ता है। प्रशासन से पहले भी कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक मांग पूरी नहीं हुई। सरकार को इस पर गौर करना चाहिए।

-अशोक कुमार, स्थानीय निवासी।

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ग्रामीणों की क्या है समस्याएं

- सड़कों की हालत जर्जर। लोगों को आने जाने में होती है परेशानी।

-पंद्रह सालों से सुआ बंद होने से सिचाई के लिए नहीं मिलता पानी।

- बिजली की पुरानी तारें जर्जर, ट्रांसफार्मर नहीं होने से समस्या।

- सड़क के साथ पानी निकासी के लिए नाला नहीं।

-स्वच्छ भारत अभियान के तहत सभी घरों में शौचालय नहीं बने। बाक्स--

जागरण सुझाव

- सड़कों पर तारकोल बिछाई जानी चाहिए।

- सड़क के साथ-साथ पक्के नाले बनने चाहिए, ताकि पानी की निकासी हो सके।

- किसानों को बारिश से हुए फसल के नुकसान का मुआवजा मिलना चाहिए।

- उप स्वास्थ्य केंद्र खोलने की जरूरत। कोट्स---बाक्स0---

गांव की मुख्य सड़क पर तारकोल बिछाने के लिए टेंडर लगा हुआ है। पहले बरसात के कारण काम नहीं हो सका था, मौसम साफ होने पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

- के के अत्री, एईई, पीडब्ल्यूडी हीरानगर।


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