गोलाबारी से प्रभावित ग्रामीणों का प्रदर्शन
संवाद सहयोगी हीरानगर गोलाबारी से प्रभावित सीमावर्ती गांवों के ग्रामीणों ने सोमवार को अपनी मांग
संवाद सहयोगी, हीरानगर: गोलाबारी से प्रभावित सीमावर्ती गांवों के ग्रामीणों ने सोमवार को अपनी मांगों को लेकर सोमवार को एसडीएम कार्यालय के बाहर रोष प्रदर्शन किया। साथ ही चेतावनी दी कि अगर एक सप्ताह तक राज्यपाल के किसी सलाहकार ने मागों को लेकर ग्रामीणों से बात नहीं की तो आदोलन शुरू करेंगे।
सोमवार सुबह दस बजे के करीब विभिन्न गांवों के सैकड़ों लोग तहसील कार्यालय के बाहर इकट्ठे हो गए और मागों को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। प्रदर्शनकारी सरकारी जमीन की खारिज की गई गिरदावरी बहाल करने, गोलीबारी से प्रभावित गावों के युवाओं को बार्डर पुलिस की भर्ती में प्राथमिकता देने के नारे लगा रहे थे।
इस अवसर पर बार्डर वेलफेयर कमेटी के प्रधान नानक चंद व उप प्रधान भारत भूषण ने कहा कि गोलाबारी से प्रभावित सीमावर्ती लोग कठिन परिस्थितियों में जिंदगी बसर कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी सुध नहीं ले रही। हजारों कनाल मालकीयत की जमीन तारबंदी के आगे खाली पड़ी है, जिसमें खेती नहीं हो रही और जिस सरकारी जमीन पर किसान 1965 से खेती करते आ रहे हैं उसे भी सरकार छीन रही है। राजस्व विभाग ने उसकी गिरदावरी खारिज कर दी है जिस पर सोशल फारेस्ट्री विभाग पौधे लगाने की योजना बना रहा है, अगर उसे भी किसानों से छीन लिया गया तो फिर वहा पर रह कर क्या करेंगे।
भारत भूषण ने कहा कि किसानों के पास जो जमीन है वह सरकार की नहीं, बल्कि किसानों की है जो अलग अलग कानून के तहत निकाली गई थी। अगर रोशनी एक्ट के तहत कहीं शहरों में धाधली हुई है तो सरकार को उसकी जाच करवानी चाहिए और किसानों को उसका मालिकाना हक देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब भी गोलीबारी होती है तो सरकार पाच किलोमीटर में पड़ते स्कूलों को बंद करवा देती है जिस से बॉर्डर के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। पहले भी सरकार ने विशेष भर्ती करवाई थी, लेकिन इस बार सरकार ने बार्डर पुलिस की भर्ती दस किलोमीटर के अंदर पड़ते गावों की करवाने की नोटीफिकेशन निकाली है और तीन प्रतिशत आरक्षण भी दस किलोमीटर तक देने का आर्डर जारी किया है। जब गोलीबारी अभी तक तीन किलोमीटर में होती है और पलायन भी उसी के अंदर पड़ते गावों के लोग करते हैं तो फिर विशेष भर्ती दस किलोमीटर की क्यों। अगर सरकार भर्ती का दायरा सरकार बढ़ाना चाहती है तो सीमा से लगते गावों के युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिन की खेती प्रभावित है। उन्होंने कहा कि अगर एक सप्ताह तक सरकार ने उन की मागों पर गौर नहीं किया तो आदोलन शुरू कर देंगे और बार्डर से पलायन कर देंगे।
बाद में ग्रामीणों ने एसडीएम के माध्यम से माग पत्र सरकार को भेजा। इस अवसर पर सरपंच देवराज, अजीत कुमार, रतन चंद, चतुर सिंह, प्रमोद कुमार, राज कुमार, अंचल सिंह, ओमकार सिंह, कैप्टन अंचल सिंह, गोपाल सिंह, शम्मी सिंह, मदन लाल, वलवान सिंह आदि शामिल थे।