बागी भाजपा पार्षदों को लगा झटका, नगर परिषद में प्रधान बने रहेंगे नरेश शर्मा
जागरण संवाददाता कठुआ नगर परिषद में प्रधान व उप प्रधान की कुर्सी को लेकर भाजपाइयों में ज
जागरण संवाददाता, कठुआ: नगर परिषद में प्रधान व उप प्रधान की कुर्सी को लेकर भाजपाइयों में जारी खींचतान में फिर नया मोड़ आ गया है। अपनी ही पार्टी के प्रधान नरेश शर्मा व उप प्रधान रेखा कुमारी से कुर्सी छीनने के किए जा रहे प्रयास में बागी भाजपा सहित 12 पार्षदों को फिर तीसरी बार झटका लगने की संभावना बन गई है।
दरअसल, तीसरी बार गत 29 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव पर विशेष ट्रिब्यूनल ने यथा स्थिति बहाल रखा है। इसके चलते निर्दलियों के साथ मिलकर भाजपा के बागी पार्षदों का नरेश शर्मा को कुर्सी से हटाने का तीसरा प्रयास भी सफल होता नहीं दिख रहा है। अविश्वास प्रस्ताव का मामला अब पूरी तरह से कोर्ट में होने के कारण इस पर अगला फैसला अब वहीं से होगा। भाजपा सहित 12 पार्षद, जो 4 अगस्त को गत 29 जुलाई को लाए गए अविश्वास प्रस्ताव की अवधि पूरा होने का दावा करते हुए प्रधान से बैठक बुलाने का दावा कर रहे थे, वह अब नहीं होगी, क्योंकि अब मामला कोर्ट में है, कोर्ट ही अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक बुलाने के लिए तय कर सकती है। अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले पार्षदों को खुद 4 अगस्त को विशेष ट्रिब्यूनल में पेश होने के आदेश है। ऐसे में उस दिन उनके पेश होने के बाद ही कोर्ट का अगला क्या कदम होगा,उस पर सभी की नजर टिकी हुई है। सूत्र बताते हैं कि प्रधान पद से हटाने में असफल रहने पर बागी भाजपा पार्षद दूसरी कोर्ट में उक्त मामले को ले जाने की तैयारी में है। अगर ऐसे होता है तो नप प्रधान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का मामला कोर्ट में होने के कारण लंबित पड़ सकता है। ऐसे में 12 पार्षदों की फिलहाल प्रधान एवं उपप्रधान को हटाने की योजना सफल होती नहीं दिख रही है।
उधर, कठुआ में तीन चौथाई बहुमत से चल रही भाजपा की नगर परिषद को तीसरी बार अस्थिर करने में लगे भाजपा के बागी पार्षदों की हर गतिविधि पर प्रदेश हाईकमान नजर बनाए हुए है, लेकिन अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में अब हिचकिचा रही है। ऐसा इसलिए है कि प्रदेश भाजपा हाईकमान ने पहले लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर कड़ा संज्ञान लेते हुए पांच को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए चार दिन के भीतर जवाब देने के साथ-साथ प्रधान के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने के निर्देश दिए थे, इसके बाद पार्टी ने सिर्फ तीन पार्षदों के पास अतिरिक्त जिम्मेदारियां छीनने तक ही अपनी कार्रवाई जारी रखी और उसके बाद उनकी गतिविधियों पर चुप्पी साधे हुए है, जबकि बागी पार्षदों में एक ने तो प्रदेश हाईकमान के इस मामले में अपनाए गए रुख पर सवाल उठा दिए थे। लेकिन अब शायद मामला कोर्ट में चले जाने पर प्रदेश हाईकमान ने भी हस्तक्षेप करना बंद कर दिया है।