पंथ रत्न अकाली कौर सिंह जी को किया याद
जागरण संवाददाता कठुआ पंथ रत्न अकाली कौर सिंह जी निहंग की 68वीं बरसी गुरुद्वारा चरण क
जागरण संवाददाता, कठुआ: पंथ रत्न अकाली कौर सिंह जी निहंग की 68वीं बरसी गुरुद्वारा चरण कमल साहिब बाख्ता में धार्मिक श्रद्धा से मनाई गई। अखंड पाठ साहिब के भोग के उपरांत दीवान सजाया गया, जिसमें अकाली कौर सिंह के जीवन पर रोशनी डाली गई।
मास्टर गुरनाम सिंह ने मंच संचालन करते हुए उनके जीवन और आदर्श के बारे में बताया कि सिख कौम के प्रचार के लिए उन्होंने सारा जीवन न्योछावर कर दिया। गुरु सोभा, रत्न प्रकाश, सुखसागर उनकी प्रमुख रचनाएं थी। सिख रहित मर्यादा लागू करने वाली कमेटी के भी अहम हिस्सा थे, जिसके चलते आज भी उनके विचारों को तरजीह दी जाती है। भाई हरपिदर सिंह, भाई सुरजीत सिंह, भाई तरनजीत सिंह, भाई बटनाम सिंह, भाई विक्रम जीत सिंह और भाई विशाल सिंह ने कीर्तन और कथा से संगत को निहाल किया। महंत मनजीत सिंह जी डेरा नंगाली साहिब ने भी कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थिति दर्ज कराई और गुरद्वारा साहिब के विकास और संगत की चढ़दीकलां की अरदास की।
पवित्र स्थान की सेवा में लगे बाबा जसबीर सिंह बीरा, बाबा निर्मल सिंह, बाबा हरपाल सिंह भी मौजूद थे। कार्यक्रम में मौजूद नवजोत सिंह सिद्धू, हरपाल सिंह रत्न और जगवीर सिंह ने अकाली जी के जीवन पर रोशनी डाली। इस बीच मास्टर गुरनाम सिंह, ठेकेदार अमरजीत सिंह और थाना प्रभारी भूपेंद्र सिंह को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में उपकार सिंह, भुपिदर सिंह, लखबीर सिंह, अमरजीत सिंह, बलजीत सिंह, त्रिलोचन सिंह व•ाीर, गुरमीत सिंह, दलजीत सिंह और नरेंद्र सिंह की विशेष योगदान रहा। बाक्स---
कई भाषाओं के थे ज्ञाता
कठुआ: अकाली कौर सिंह जी का जन्म 28 जून 1886 ई में भाई महां सिंह और माता करम कौर के घर गाव पद्धर चक्कार जिला मुजफराबाद जम्मू कश्मीर में हुआ था। 20 वर्ष की उम्र में नांदेड़ साहिब में अमृत पान करके अकाली कौर सिंह जी निहंग सज गये। उन्होंने देश विदेश में भ्रमण करके सिखी का प्रचार किया। अकाली जी संस्कृत, बृज समेत कई भाषाओं के ज्ञाता थे।