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अब कई योजनाओं में लोन लेने पर गारंटी की जरूरत नहीं

जागरण संवाददाता कठुआ सरकार द्वारा खेतीबाड़ी पशु पालन व मत्सय पालन सहित विभिन्न क्षेत्र में बढ

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 01:04 AM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 01:04 AM (IST)
अब कई योजनाओं में लोन लेने पर गारंटी की जरूरत नहीं
अब कई योजनाओं में लोन लेने पर गारंटी की जरूरत नहीं

जागरण संवाददाता, कठुआ: सरकार द्वारा खेतीबाड़ी, पशु पालन व मत्सय पालन सहित विभिन्न क्षेत्र में बढ़ावा देने और उनसे जुड़े लोगों को लाभ दिलाने के लिए शुरू की गई कई योजनाओं की समीक्षा करने के लिए मंगलवार जिला मुख्यालय पर डीसी राहुल यादव की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारियों के अलावा बैंकों के अधिकारी भी शामिल हुए।

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बैठक में बैंकों में क्रेडिट के प्रवाह, जमा से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों में बैंकों के प्रदर्शन, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र, सरकार के तहत अग्रिमों की समीक्षा की गई। डीसी राहुल यादव ने किसान क्रेडिट कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, डेयरी, पोल्ट्री, मत्स्य पालन और भेड़ पालन, पीएमईजीपी - केवीआईबी, केवीआईसी, डीआईसी, एनयूएलएम, एनआरएलएम, हथकरघा, हस्तशिल्प के तहत मामलों की समीक्षा की। उन्होंने बैंकों पर सिस्टम और प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर जोर दिया ताकि जरूरतमंद और गरीब लोगों के बीच रोजगार सृजन के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत अधिकतम लाभार्थी क्रेडिट लिक्ड हों। उन्होंने बैंकों और सरकारी विभागों के सभी अधिकारियों को गरीबी से पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति रखने की सलाह दी, जो उनके निर्धारित लक्ष्यों की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है। उन्होंने सभी विभागों और बैंकों को आम जनता,किसानों,कुशल व्यक्तियों को सूचना के प्रसार के लिए जागरूकता कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी ताकि उन्हें आर्थिक गतिविधियों की नई इकाइयां स्थापित करने में सुविधा हो और इस तरह जिले के सीडी अनुपात में वृद्धि हो सके। अध्यक्ष ने सभी बैंकों को सलाह दी कि वे जन धन योजना, सुरक्षा बीमा योजना, जीवन ज्योति योजना, अटल पेंशन योजना जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत अधिकतम 100 प्रतिशत लोगों को कवर करने और सभी पात्र खाताधारकों को रुपे डेबिट कार्ड जारी करने को कहा। डीसी ने बैंकों और विभागों की सक्रिय भागीदारी के साथ समाज कल्याण योजनाओं के लिए विशेष जागरूकता शिविर आयोजित करने की भी सलाह दी। उन्होंने बैंकों और विभागों को जिले में कम से कम एक डिजिटल गांव स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास करने पर भी जोर दिया। अध्यक्ष ने बैंकों को सलाह दी कि वे आवेदकों से संपा‌िर्श्वक सुरक्षा/गारंटी प्राप्त न करें जहां इसे प्राप्त करना आवश्यक नहीं है।डीसी ने सभी बैंकरों को आरएसईटीआई प्रायोजित ऋण आवेदनों को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत करने की सलाह दी। लीड बैंक के जीएम वानी ने वर्ष 2020-21 के लिए वार्षिक कार्य योजना के तहत उपलब्धियां प्रस्तुत की और बैठक में बताया कि प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के तहत 752.02 करोड़ और गैर-प्राथमिकता क्षेत्र के तहत 682.42 करोड़ का वितरण किया गया है,

बैठक में अमित कुमार (डीडीएम, नाबार्ड), जेके बैंक से कलस्टर हैड सतीश कुमार , स्टेट बैंक से रजत भान, एमएल शर्मा, (पीएनबी), सुमित भारती (जेके ग्रामीण बैंक), विजय उपाध्याय, मुख्य कृषि अधिकारी कठुआ, आदि शामिल बाक्स---

बैठक में उपलब्धियों के अलावा जमीनी स्तर पर तस्वीर कुछ और

जागरण संवाददाता,कठुआ : अक्सर देखा गया है कि ऐसी बैठकों में जहां बैकर्स आंकड़ों से अपनी उपलब्धियों को दर्शाते हैं,जब कि हकीकत ये है कि जब गरीब किसान या अन्य सरकारी योजनाओं का कोई लाभ लेने बैंकों में जाता है तो उससे गाइडलाइन में जो शर्त न हो,उससे वो भी दस्तावेज मांगे जाते हैं। जैसा कि कृषि विभाग ने प्रधानमंत्री माइक्रो फूड प्रोसेसिग इंटरप्रिन्योशिप योजना और प्रधानमंत्री इंफ्रास्टक्चर वित्त योजना के तहत इस वर्ष 30 के करीब उद्यमी किसानों को लोन दिलाने के लिए सरकार की मंजूरी लेने के बाद बैंकों को वित्त जारी करने की मंजूरी के लिए भेजे,लेकिन उसमें से किसी भी बैंक ने प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने में प्रयास करने की बजाय रोड़े अटका दिए हैं। आवेदनकर्ताओं से गाईडलाइन में लोन के लिए गारंटी न होने पर भी उनसे गारंटी मांग रहे हैं। इसके अलावा और भी कई तरह के दस्तावेज मांग कर उन्हें परेशान किया जा रहा है,जिन दस्तावेजों की स्कीम में लोन लेते हुए गारंटी की जरूरत ही नहीं है। कृषि विभाग द्वारा बार बार बैंकों से लोन मंजूर करने का आग्रह किया जा रहा है,लेकिन बैंकर मीटिग में कुछ तो बाहर अपनी शाखा में कुछ दिखाते हैं।जब कि कृषि विभाग को सरकार से योजना के तहत कितने को लाभ मिला की जानकारी बार बार मांगी जाती है,क्योंकि सरकार इसमें अपनी उपल्बधि बतानी होती है,लेकिन बैकर्स ऐसे लोन मंजूर करने की बजाय लटकाये रहते हैं


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