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.. अब पाकिस्तान संघर्ष विराम की आड़ में मादक पदार्थ की तस्करी को बढ़ावा देने में जुटा

राकेश शर्मा कठुआ जिले की हीरानगर सेक्टर में लगती भारत-पाक सीमा पर कुछ माह से लागू संघर्ष विर

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 05:14 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 05:14 PM (IST)
.. अब पाकिस्तान संघर्ष विराम की आड़ में मादक पदार्थ की तस्करी को बढ़ावा देने में जुटा
.. अब पाकिस्तान संघर्ष विराम की आड़ में मादक पदार्थ की तस्करी को बढ़ावा देने में जुटा

राकेश शर्मा, कठुआ: जिले की हीरानगर सेक्टर में लगती भारत-पाक सीमा पर कुछ माह से लागू संघर्ष विराम का लाभ अब पाकिस्तान मादक पदार्थ की तस्करी के प्रयास को बढ़ावा देकर उठाने की फिराक में है। हालाकि, पूर्व की भाति बीएसएफ ने उसके इस प्रयास को उसी तरह विफल कर दिया। मादक पदार्थ की तस्करी के बड़े प्रयास को बीएसएफ की कार्रवाई के बाद पाक को मुंह की खानी पड़ी है।

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दरअसल, पाकिस्तान सीमा पर कुछ न कुछ नापाक हरकतें करने की ताक में रहता है, लेकिन सीमा पर तैनात जांबाज बीएसएफ के जवान अब नई योजना के चलते पूरी तरह से सतर्क होकर उसकी हर हरकत पर पैनी नजर रख रहे हैं। आधुनिक हथियारों, उपकरणों का प्रयोग करके दुश्मन को सीमा पर नजर रखते हुए वहीं ढेर करने में भी देर नहीं कर रहे। इसी के चलते एक साल में सिर्फ पानसर सेक्टर में ही बीएसएफ ने गत जनवरी में 150 मीटर सुरंग खोदने के बड़े प्रयास का पता लगाकर घुसपैठ की नई नीति को ध्वस्त कर दिया था, जिसके बाद दोबारा पाक की ओर से ऐसी सुरंग बनाने का प्रयास नहीं हुआ। इससे पहले ड्रोन से हथियार भेजने की नई नीति भी बीएसएफ असफल कर चुकी है। अब करीब दो दशक बाद सीमा पर जब संघर्ष वीराम लागू है तो उसे मादक पदार्थ तस्करी के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति बनाई, जिसे भी बीएसएफ ने नाकाम करते हुए ऐसे प्रयास करने वाले को वहीं मार गिराया और इसमें सबसे बड़ी बात यह आई कि मारे गए तस्कर के साथ जो अन्य दो और घुसपैठ करने की फिराक में थे, अपने एक साथी को मरते देख अपनी जान बचाने के लिए वापस अपने क्षेत्र की ओर भाग गए।

बीएसएफ ने सीमा भेद करने के प्रयास को अब मौत करार देकर रणनीति से सुरक्षा संभाली है, जिसका उदाहरण मंगलवार देर रात घटी ताजा घटना से बीएसएफ ने दे दिया है। बहरहाल, दुश्मन देश सीमा पर कुछ न कुछ हरकतें करने के लिए ऐसी हरकतें समय समय पर बदली रणनीति के तहत करने की ताक में रहता है। हालांकि, पंजाब में जब आतंक चरम सीमा पर था, तब भी हीरानगर सीमा का उक्त क्षेत्र पंजाब के आतंकियों के लिए सुरक्षित घुसपैठ मार्ग रहा है। उस समय भी ऐसी मादक पदार्थ की तस्करी के प्रयास हुआ करते थे, तब आए दिन ऐसे तस्करी के प्रयास सुरक्षा बल नाकाम करते थे, लेकिन उसके बाद जब कश्मीर में आतंकवाद शुरू हुआ तो पाक ने कश्मीर में आतंकियों को भेजने के लिए हीरानगर सीमा का ही क्षेत्र मुख्य सुरक्षित घुसपैठ के लिए चुना था। बाक्स---

तीन दशक पूर्व भी आतंकियों के घुसपैठ के लिए भी करता रहा इस्तेमाल

जब से सीमा पर बीएसएफ ने सुरक्षा की नई रणनीति के तहत काम करना शुरू किया है, उसके बाद से सीमा पार से खासकर हीरानगर क्षेत्र से आतंकियों के घुसपैठ की घटनाएं कम हुई है। इसी कारण कुछ वर्षाें से सीमा पर ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। इससे पहले आतंकियों को इस क्षेत्र से हथियार लेकर पाकिस्तान घुसपैठ कराता रहा है। वर्ष 2015 तक कई आतंकियों के दल कठुआ जिला में खूनखराबा कर चुके हैं। जिसमें हीरानगर थाना, राजबाग थाना, जंगलोट सैन्य शिविर और साबा सैन्य शिविर की घटनाएं शामिल है। बाक्स----

सीमा पर फायरिंग बंद होने से सीमात वासी ले रहे हैं राहत की सास

संघर्ष विराम के बाद सीमा पर रहने वाले लोग अब राहत की सास ले रहे हैं, जिसमें वे दिन व रात अब अपने घरों व खेतों में आराम से अपनी सामान्य गतिविधिया चला रहे हैं। अब वे ऐसी ही स्थायी शाति चाहते हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं फिर उन्हें भयभीत करने लगती है। कहीं पाक शाति की आड़ में सीमा पर ऐसी नापाक साजिश कर अशात न कर दे।


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