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कोई भूखा नहीं सोएगा, जब हम कदम ठान लेंगे

ब सब कुछ बंद हैं तो गरीब मजदूर वर्ग के लिए दो वक्त का खाना भी जुटाना मुश्किल हो गया है। ऐसे समय में दैनिक जागरण ने शहर के जरूरतमंद एंव गरीब लोगों को राशन एवं भो

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 12:39 AM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2020 06:20 AM (IST)
कोई भूखा नहीं सोएगा, जब हम कदम ठान लेंगे
कोई भूखा नहीं सोएगा, जब हम कदम ठान लेंगे

जागरण संवाददाता, कठुआ: कोरोना से भारत की जंग जारी है। पूरा देश लॉकडाउन होने के बाद राज्यों की सीमाएं सील हैं। बाहर निकलने पर पाबंदी है। काम-धंधे ठप हैं। इस जंग में आवश्यक है कि हम स्वयं सतर्क रहें पर अपने आसपास का निरंतर ध्यान भी रखें। हमारे आस-पड़ोस के कुछ परिवारों की रसोई के चूल्हे बुझने लगे हैं। उन्हें संभालें और संबल प्रदान करें। समय मानव धर्म निभाने का है। दाल-रोटी की कमी से कोई भूखा न सोए, यह हमें आज ही प्रण लेना है। हमें ऐसे लोगों को अतिथि मानकर रसोई का एक छोटा सा हिस्सा उनसे बाटना चाहिए। पूरे मुहल्ले की छोड़िए, सिर्फ अपनी गली की जिम्मेदारी लीजिए। यह तय कर लेंगे तो कोई आपकी गली, आपके मुहल्ले, आपके शहर, आपके गाव में भूखा नहीं सोएगा। हम अपनी गली से भी बाहर नहीं निकलेंगे और कोरोना से जंग जीत लेंगे।

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अगर अपनी गली के जरूरतमंद परिवारों को रोजाना खाना पहुंचाना संभव नहीं है तो एक गली के बाशिदे उनके लिए अपनी रसोई से थोड़ा-थोड़ा राशन निकालें। इनमें आटा, दाल, चावल, चीनी, चायपत्ती जैसी जरूरत की चीजें होनी चाहिए। गली के जरूरतमंद लोगों के हिसाब से उनकी एक किट बनाकर पहुंचा दीजिए। किट में इतना राशन होना चाहिए कि अमुक परिवार का एक माह का गुजारा चल जाए।

खाना बनाकर देने या राशन देने की योजना भी सिरे न चढ़े तो आप अपनी गली के जरूरतमंद परिवारों की सूची तैयार करें। इस सूची को जिला प्रशासन, रेडक्रॉस सोसाइटी या फिर समाजसेवी संस्थाओं तक पहुंचा दीजिए। ऐसा करके भी आप महामारी के खिलाफ जंग में आहुति डाल सकते हैं। शासन-प्रशासन की योजनाओं का लाभ दिलाने में भी उनकी मदद कर सकते हैं। बाक्स---

सबसे पहले सूची बनाएं

आप सिर्फ अपनी गली में हर घर की सूची तैयार कीजिए। कितने साधन-संपन्न लोग हैं और कितने जरूरतमंद। उदाहरण के तौर पर अगर गली में 20 घर हैं। इनमें 5 परिवारों को खाने का संकट है तो 15 परिवारों को सामूहिक जिम्मेदारी उठानी होगी। एक वक्त का खाना एक परिवार वहन करेगा तो जरूरतमंद परिवारों को तीन वक्त का खाना मिल जाएगा। उसे खाने-पीने के सामान के लिए बाजार में नहीं भटकना पड़ेगा।

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हमसे साझा करें अनुभव

'साडी गली-साडे जिम्मे' महायज्ञ में शामिल होने वाले अपने अनुभव हमसे शेयर कीजिए। आपके अनुभवों को हम अखबार के जरिए अपने पाठकों तक पहुंचाएंगे, ताकि आपसे प्रेरित होकर बाकी लोग भी अपना योगदान दे सकें। ताकि कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति बिना भोजन के भूखे पेट सोने को विवश न हो।


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