राकेश शर्मा, कठुआ : जम्मू कश्मीर पाकिस्तानी रिफ्यूजी वेलफेयर सोसाइटी ने सरकार पर 70 साल बाद वोट का अधिकार देकर जमीनें छीनने का आरोप लगाया है। सोसाइटी के सदस्यों का कहना है कि वर्ष 1952 में केबिनेट के फैसले के बाद मिली जमीनों को अब छीनकर वर्तमान सरकार फिर से रिफ्यूजी बनाने जा रही है। इसके लिए संघर्ष करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
सोसाइटी की बैठक में प्रधान काली दास शर्मा ने कहा कि रेवेन्यू विभाग की ओर से पांच दशक पहले कई परिवारों को मिली जमीन की गिरदावरी खारिज करना सौतेला व्यवहार करना जैसा पीड़ा दिया जा रहा है। वोट डालने का 70 साल बाद जो हक मिला, वह नहीं चाहिए। दशकों से रोजी रोटी का मुख्य स्त्रोत जमीन तो उनके पास थी, जिसे भी सरकार छीनने जा रही है। अगर जमीन छीनने की कार्रवाई को नहीं रोका गया तो आंदोलन किया जाएगा।
प्रदेश में इस समय 30 हजार परिवार वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी हैं जो 1947 के बाद जम्मू कश्मीर के कई हिस्सों में सरकारी भूमि पर बसाए गए थे। परिवारों ने मेहनत मजदूरी कर अपने घर बनाए और उसी सरकारी बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाकर जीवन यापन किया कि एक दिन सरकार उसी जमीन का मालिकाना हक भी देगी और वोट डालने का अधिकार, ताकि उनकी पीढ़ी सरकारी नौकरी के भी अधिकार होंगे। वर्तमान सरकार ने एक वोट का अधिकार देकर जमीन छीनने का काम किया। दो साल पहले परिवारों को विस्थापन का दंश झेलने पर राहत के तौर 25-25 लाख की राशि एकमुश्त पुनर्वास के तौर पर जारी करने का आदेश दिया गया, लेकिन वह भी आज तक लागू नहीं हो पाया है। आलम यह है कि पहले एक 5 लाख की किश्त जारी करने की शुरू की गई प्रक्रिया भी आज तक आगे नहीं बढ़ पाई है। जिले के हजारों परिवारों में से मात्र आधा दर्जन परिवारों को ही पहली किश्त केरुप में पांच लाख मिल पाई है। कोट्स---
वर्ष 1952 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने बसने का अधिकार दिया, जिसके बाद 1947 में आकर सरकारी भूमि पर बस गए हैं। इसके बाद जम्मू कश्मीर सरकार ने तुरंत प्रभाव से लागू किया, लेकिन आज तक जमीन का मालिकाना अधिकार तक नहीं मिला है। अगर जमीनें वापस नहीं की गई तो चुप नहीं बैठेंगे।
-बलवंत सिंह बिलोरिया, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट कोट्स---
सरकार की पहले जमीनें देकर अब छीनने की कार्रवाई दरबदर करने जैसा कदम है। इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे और समर्थन में कोई भी आंदोलन होगा तो उसमें पूरा समर्थन देंगे। हालांकि, इन परिवारों के कुछ संगठनों की इस मामले में चुप्पी सवाल खड़ा कर रही है, जो कई दशकों से हक मांगने के नाम पर गुमराह करते रहे हैं, उनसे सावधान होना है।
-योग राज शर्मा, स्थानीय नागरिक कोट्स---
जिला प्रशासन के ऐसे कार्रवाई पर सरकार को जवाब देना चाहिए, न कि ऊपर से आदेश आने की बात कहकर कार्रवाई की जाए। जिला प्रशासन की इस तरह की कार्रवाई से वेस्ट पाक रिफ्यूजियों को 70 साल बाद जो वोट डालने का अधिकार देने का दावा किया जा रहा है, उससे लाभ से कहीं अधिक नुकसान जमीनें छीनने से होगा, अगर जमीन नहीं रहीं तो वे दोबारा विस्थापित हो जाएंगे।
-राकेश लवली, समाजसेवी
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