पांच पंचायतों को स्वास्थ्य सेवा देने वाली कर्णबाड़ा पीएचसी खुद बीमार
रीतू शर्मा बसोहली अस्पताल अगर खुद बीमार हो तो मरीजों का इलाज भला कैसे होगा क्योंकि उपजिले के
रीतू शर्मा, बसोहली : अस्पताल अगर खुद बीमार हो तो मरीजों का इलाज भला कैसे होगा, क्योंकि उपजिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अस्पतालों की दशा और दिशा दोनों बिगड़ गई है। इसके कारण सरकारी सुविधाओं का कोई लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है।
दरअसल, कोई बीमार होता है तो इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र जाता है, लेकिन कर्णबाड़ा पीएचसी की हालत देख मरीज उपचार करवाने के लिए पहुंचने के बाद अंदर प्रवेश करते ही सहम जाते हैं। आलम यह है कि 40 वर्ष पुरानी कर्णबाड़ा पीएचसी कदम-कदम पर मौत किसी का इंतजार करती नजर आती है। खंडहर होने केकगार पर पहुंची पीएचसी की भवन को देख कर हर कोई डर जाता है। खिड़कियों से न सिर्फ बारिश का पानी टपकता है, बल्कि दरवाजे गिरने के कगार पर हैं। दवाइयों को संभाल कर रखना स्वास्थ्य कर्मी के लिए चुनौती बना हुआ है।
करीब पांच पंचायतों यानि बीस हजार आबादी को इलाज देने के मकसद से खोली गई पीएचसी के खस्ताहाल भवन को देख पांच वर्ष पहले वर्ष 2016 में नई भवन बनाने का काम शुरू किया गया था, लेकिन फंड के अभाव में काम रुक गया। इस कारण भवन का निर्माण कार्य अधर में है।
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नई भवन बनाने का कार्य रुका पड़ा है जो कि अब वह भी खंडहर बनने की कगार पर पहुंच चुकी है। आगे निर्माण के लिए न ही फंड आया और न ही भूमि मालिक को मुआवजा मिला। इसे लेकर कई बार इस को लेकर माग उठाई, मगर कोई सुनने वाला नहीं। अगर ऐसा ही रहा तो पुरानी पीएचसी भी खंडहर हो जाएगा और खुले आसमान के नीचे रोगियों का उपचार होगा।
-पवन कुमार माटा, सरपंच, कर्णबाड़ा कोट्स---
नई भवन बन नहीं रही और पुरानी की हालत खराब है। अगर स्वास्थ्य विभाग की बिल्डिंग की यह हालत है तो अन्य विभागों का क्या हाल होगा। यहा पर रोजाना सैकड़ों की तादाद में आसपास की पंचायतों से लोग उपचार करवाने के लिए आते हैं। सरकार इस बारे में कुछ तो सोचे।
- अमर सिंह कोट्स---
नई बिल्डिंग को बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को उचित फंड उपलब्ध करवाना चाहिए। साथ ही भूमि मालिक को मुआवजा देने की प्रक्रिया जल्द हो। लोगों को सही जगह पर अच्छे वातावरण में उपचार मिल पाए।
- अशोक कुमार। कोट्स---
जब तक नई बिल्डिंग नहीं बन पाती, तब तक पुरानी की दशा में सुधार के लिए ही कदम उठाए जाएं। रोगियों की बात छोड़ें, कम से कम स्वास्थ्य कर्मियों की तो स्वास्थ्य विभाग सोचे। अगर विभाग ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो नई पुरानी दोनों ही बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो जाएगी।
- सोनु चौधरी कोट्स---बाक्स--
नई भवन के लिए के लिए फंड उपलब्ध करवाने एवं भूमि मालिक को मुआवजा देने के लिए समय-समय पर पत्राचार उच्च अधिकारियों के साथ किया जाता है। पीएचसी कर्णबाड़ा की हालत सच में ठीक नहीं है।
- अनुराधा केरनी, बीएमओ, बसोहली।
कोट्स---
इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग से कर्णवाड़ा पीएचसी की हालत में सुधार के लिए बात करेंगे। जल्द ही कठुआ में सीएमओ से बात करूंगा।
- महान सिंह, अध्यक्ष, जिला विकास परिषद, कठुआ