मवेशियों संग मैदानों की तरफ लौटने लगे गुज्जर बक्करवाल
करुण शर्मा बिलावर मौसम में बदलाव आते ही ठंडे पहाड़ी इलाके से घुमक्कड़ गुच्जर बक्करवाल समुद
करुण शर्मा, बिलावर: मौसम में बदलाव आते ही ठंडे पहाड़ी इलाके से घुमक्कड़ गुच्जर बक्करवाल समुदाय के लोग मैदानी क्षेत्रों में जाने लगे। फिर मार्च से पहाड़ी क्षेत्रों की ओर रुख करने लगते हैं। अपने मवेशियों के साथ सदा सफर में रहने वाले इस समुदाय के सभी सदस्य और उनके रिश्तेदार एक साथ पहाड़ों की ओर जाते हैं। जगह-जगह चारे के हिसाब से पड़ाव डालते हुए मौसम के बदलते मिजाज के हिसाब से डेरे भी बदलते रहते हैं।
जिंदगी के पहिए की तरह निरंतर चलने वाली जिंदगी जैसे कभी रुकती नहीं, वैसे ही गुज्जर बक्करवाल की जिंदगी भी हर मौसम में आशियाने बदलते रहते हैं। इन दिनों बनी के सरथल की पहाड़ियों और वास कुंड, धोला जोड़ा की मनतार की पहाड़ियों पर बर्फबारी होने और सर्दी बढ़ने के कारण गुज्जर बक्करवाल समुदाय के डेरे अपने मवेशियों के साथ कटली के रास्ते होते हुए धार रोड से निकलकर अब पंजाब के मैदानी इलाकों की ओर रुख करना शुरू कर गए। महानपुर से लखनपुर के रास्ते पंजाब की ओर जा रहे गुज्जर बक्करवाल के चौधरी जमात अली, फरमान अहमद, बिलाल आदि ने बताया कि हर छह महीने बाद उनके आशियाने बदलते रहते हैं। वे लोग पहाड़ों से मैदानी इलाकों की ओर सर्दियों में रुख करते हैं। उन्होंने कहा कि जिंदगी पहाड़ों से मैदानी इलाकों और मैदानी इलाकों से पहाड़ी इलाकों की और मवेशियों को लाने और ले जाने में ही गुजर जाएगी, इसलिए सरकार को चाहिए कि हमारे लिए कुछ ना कुछ बेहतर करे, ताकि जिंदगी सरल हो सके। बॉक्स
फॉरेस्ट राइट एक्ट के तहत दिए जा रहे हैं अधिकार : एडीसी
केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू कश्मीर में ट्राइबल समुदाय के लोगों, जिसमें गुज्जर, बक्करवाल, गद्दी, जोकि मवेशियों के साथ हमेशा चलते रहते है, उन्हें फॉरेस्ट राइट एक्ट के तहत जमीन के मालिकाना हक दिए जा रहे हैं। इसके लिए औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है। पिछले दिनों ही सरकार द्वारा ट्राइबल कम्युनिटी के लोगों को जमीन और मवेशियों को चलाने के लिए कम्युनिटी राइट के तहत जमीने दी गई थी, जबकि कई फाइलों को पूरा करने के लिए अभी भी औपचारिकता पूरा किया जा रहा है।
- संदेश कुमार शर्मा, एडीसी, बिलावर