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बीस साल बाद खेतों में जाकर भावुक हुए किसान

संवाद सहयोगी हीरानगर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तारबंदी के आगे पड़ती हजारों कनाल जमीन पर

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 04:50 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 04:50 AM (IST)
बीस साल बाद खेतों में जाकर भावुक हुए किसान
बीस साल बाद खेतों में जाकर भावुक हुए किसान

संवाद सहयोगी, हीरानगर : अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तारबंदी के आगे पड़ती हजारों कनाल जमीन पर किसान बीस वर्षो से खेती नहीं कर पा रहे। अब सरकार खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है। गत वर्ष बीएसएफ तथा सिविल प्रशासन ने कुछ क्षेत्र में अपने तौर पर गेहूं की फसल लगाई थी, लेकिन किसान शामिल नहीं हुए थे।

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वीरवार को डीसी राहुल यादव के निर्देश पर चीफ एग्रीकल्चर आफिसर विजय उपाध्याय की अगुआई में विभाग की एक टीम ने गांव चकचंगा में बीएसएफ की कड़ी सुरक्षा के बीच तारबंदी के आगे जाकर जायजा लिया। इस दौरान कुछ किसान जब बीस वर्षो बाद पहली बार तारबंदी के आगे गए तो खेत देख कर भावुक हो गए। चीफ एग्रीकल्चर आफिसर विजय उपाध्याय ने कहा कि तारबंदी के आगे पड़ती जमीन पर सरकार खेती करवाना चाहती है। इसके लिए कृषि विभाग किसानों को प्रेरित कर रहा है। आज सौ एकड़ जमीन देखी है। उक्त रिपोर्ट वे डीसी को सौंपेंगे, जिसके बाद जल्द ही डीसी किसानों के साथ बैठक करेंगे। इसमें बीएसएफ के अधिकारी भी शामिल होंगे।

वहीं, किसान नरेश कुमार, रोशन लाल, प्रवीण कुमार व पुरुषोत्तम लाल का कहना है कि उन्होंने बीस वर्षो बाद अपने खेत देखे हैं। कुछ क्षेत्र में बीएसएफ ने ट्रैक्टर चलाए हैं। वहां किसानों की हदबंदी नहीं रही। जब तक उसकी निशान देही नहीं होती, तब तक खेती करना संभव नहीं। कुछ इलाके में हदबंदी बनी हुई है, प्रशासन उसे आबाद कर दे और खाद व बीज मुहैया करवाए तो वे खेती करने के लिए तैयार हैं। यह अब सरकार पर निर्भर है कि वे खेती कैसे करवा सकती है।

बहरहाल, कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया है। कृषि विभाग की टीम में दयालाचक सब डिवीजन के एसडीओ रमण गुप्ता, एसएमएस मुरारी ढींगरा, सुधीर सिंह के अलावा बीएसएफ अधिकारी भी उपस्थित थे।


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