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ईमानदारी, निष्ठा, लगन ने दिलाया राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार

अपनी डयूटी को ईमानदारी निष्ठा लगन एवं निर्धारित कार्य क्षेत्र से भी हटकर उल्लेखनीय कार्य

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 08:24 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 10:40 PM (IST)
ईमानदारी, निष्ठा, लगन ने दिलाया राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार
ईमानदारी, निष्ठा, लगन ने दिलाया राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार

अपनी डयूटी को ईमानदारी, निष्ठा, लगन एवं निर्धारित कार्य क्षेत्र से भी हटकर उल्लेखनीय कार्य करने पर हाल ही में शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हाथों बेस्ट टीचर आवार्ड से सम्मानित हुए है। सबसे अहम यह है कि इस बार शिक्षक दिवस पर जम्मू कश्मीर से गुरनाम सिंह ही एक मात्र शिक्षक थे, जिन्हें शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा पुरस्कार मिला है। राष्ट्रपति से पुरस्कार पाकर प्रफुल्लित व गर्व महसूस कर रहे गुरनाम सिंह जिले के बरनोटी शिक्षा जोन में सरकारी स्कूल लाड़ी में बतौर शिक्षक तैनात हैं। सबसे अहम बात यह है कि सरकारी स्कूल का शिक्षक अब जिले का रोल मॉडल बन गया है। इसके चलते उन्हें निजी स्कूलों के संचालक भी सम्मान सहित बुलाकर बतौर गेस्ट लेक्चर करवा रहे हैं। इस पुरस्कार को पाने के लिए गुरनाम सिंह ने ऐसा आखिर क्या कार्य किया था, क्या और शिक्षक ऐसा कार्य नहीं कर सके, जिससे उन्हें भी ये सम्मान मिले, इन सब मुद्दों पर दैनिक जागरण के जिले के उप मुख्य संवाददाता राकेश शर्मा ने इस वर्ष के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित सरकारी स्कूल के शिक्षक गुरनाम सिंह से विशेष बातचीत की। उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:-

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.राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है।

-बहुत ही अच्छा लग रहा, जिसे बयां नहीं किया जा सकता है। ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इतना बड़ा सम्मान पाने के पीछे गुरु नानक देव जी का भी आशीर्वाद मानता हूं।

. अक्सर देखा जाता है कि सरकारी स्कूल के शिक्षकों की कार्यप्रणाली से लोगों का भरोसा उठ चुका है, ऐसे में आपकी क्या उपलब्धि रही, जिससे आपको पुरस्कार मिला है।

- सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की आम लोगों में जो छवि बनी है, वह गलत है, अगर सरकारी स्कूलों के शिक्षक ऐसे होते तो उन्हें इतना बड़ा पुरस्कार कैसे मिलता, मुझे पुरस्कार मिलना ही सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए बड़ा सम्मान है। . आपकी सेवाओं में क्या उल्लेखनीय कार्य रहा है।

- शिक्षक के तौर पर 27 साल काम किया है। इस दौरान सात स्कूलों में बतौर शिक्षक नियुक्त हुई है। तीन स्कूलों में दी गई सेवाएं यादगारी एवं उल्लेखनीय रहीं। उक्त स्कूलों में दी गई सेवाएं ही उन्हें इतने बड़े पुरस्कार तक पहुंचाने में सफल साबित हुई। . कौन से तीन स्कूल हैं,जहां आपकी सेवाएं उल्लेखनीय रहीं।

-वर्ष 2010 में मास्टर ग्रेड के रूप में पदोन्नत होने पर जिले से बाहर डोडा में बरशाला हाई सरकारी स्कूल में हुई, जहां पर वर्ष 1996 में आतंकियों ने आईडी से ब्लास्ट कर 13 हिदूओं को मौत के घाट उतार दिया था, उस हमले में बरशाला स्कूल की इमारत भी जल गई थी। उसके बाद जब उनकी नियुक्ति वहां हुई तो इमारत दोबारा बन चुकी थी, लेकिन उसमें शिफ्ट होने को सभी डरते थे, यानि एक दहशत का माहौल बरकरार था, लेकिन डरे सहमे अन्य शिक्षकों एवं बच्चों का हौसला बढ़ाने का काम किया। इमारत जलने के बाद स्कूल में कई ढांचागत सुविधाओं को बहाल कराने में योगदान रहा। वर्ष 2013 में जिले के बरनोटी जोन में ही गुड़ा पंडिता सरकारी मिडिल स्कूल में नियुक्ति हुई। जहां पर तीन साल सेवाएं देने के बाद जब उनका तबादला हुआ तो गांव से लोगों की एक पूरी भर कर बस जिला शिक्षा विभाग के कार्यालय में सीईओ बलवीर सिंह के पास पहुंची। जिसमें लोगों ने उनका तबादला रोकने की मांग की थी। इससे बढ़कर उनके लिए कोई बड़ा सम्मान नहीं था। .अब आप जिस सरकारी मिडिल स्कूल लाड़ी में विगत तीन साल से तैनात हो,वहां आपके क्या उल्लेखनीय कार्य रहें हैं।

- लाड़ी जिला कठुआ के बरनोटी शिक्षा जोन का दूरदराज और पिछड़े क्षेत्र का स्कूल है, जहां पर वे बतौर हेडमास्टर काम कर रहे हैं। स्कूल में तीन साल पहले जब उनकी नियुक्ति हुई तो वहां पर ढांचागत सुविधाएं नहीं थी, उसे अपने प्रयास से बहाल किया। स्कूल में इससे पहले कभी सहपाठयक्रम गतिविधियां नहीं होती थीं, वे वहां जाकर शुरू करवाए। जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए। स्कूल में पहले बच्चों की संख्या में मात्र 30 थीं, लेकिन अब 50 है। इसके अलावा वहां स्कूल में न तो चहारदीवारी और गेट था, वो भी उन्होंने बनवाया। इसके अलावा सरकारी स्कूल में सुबह की प्रार्थना माइक से शुरू कराई,जो शायद अन्य स्कूलों में नहीं है। . राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार में आपका कैसे चयन हुआ, क्या थीं प्रक्रिया।

- इस बार राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयन प्रक्रिया गत वषरें से काफी अलग थी। हर साल 360 से 380 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाता था, लेकिन इस बार सिर्फ 46 शिक्षकों को पुरस्कार मिला। इसकी चयन प्रक्रिया किसी मंत्री या बड़े अधिकारी द्वारा सिफारिश से नहीं, बल्कि ऑनलाइन स्क्रीनिंग होती है। पहले जिला स्तर, फिर राज्य स्तर औैर बाद में राष्ट्रीय स्तर पर। उसके बाद खुद वहां प्रेजेंटेशन दी। उसके बाद चयन हुआ। स्क्रीनिंग में सेवा में किए गए टीचिंग के अलावा अन्य गतिविधियों की फाइल देखा गया।


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