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आधुनिक युग में भी पहाड़ी क्षेत्र बनी में जुगाड़ से बिजली आपूर्ति

योजनाओें के लिए करोड़ों के फंड उपलबधता के बावजूद और आधुनिक युग में भी जिला के दूरदराज पहाड़ी क्षेत्र बनी उपमंडल में आज भी जुगाड़ से बिजली आपूर्ति की जा रही है। जब कि बर्फबारी से प्रभावित इस क्षेत्र में बिजली आपूर्ति व्यवस्था मैदानी

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 06:20 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 10:14 PM (IST)
आधुनिक युग में भी पहाड़ी क्षेत्र बनी में जुगाड़ से बिजली आपूर्ति
आधुनिक युग में भी पहाड़ी क्षेत्र बनी में जुगाड़ से बिजली आपूर्ति

राकेश शर्मा, कठुआ: जिले के दूरदराज पहाड़ी क्षेत्र बनी उपमंडल में आज भी जुगाड़ से बिजली की आपूर्ति की जा रही है, जबकि बर्फबारी से प्रभावित इस क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था मैदानी क्षेत्र से मजबूत होनी चाहिए।

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आलम यह है कि विभिन्न योजनाओं के लिए करोड़ों रुपये का फंड होने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने इस पिछड़े क्षेत्र को विकास में भी पिछड़ा रखे हुए है। इसके चलते हर साल बर्फबारी व बारिश के मौसम में बनी निवासियों को कई-कई दिनों तक बिजली की आपूर्ति से वंचित रहना पड़ता है।

इस वर्ष भी मौसम खराब रहने से पांच दिनों तक बनी उपमंडल के लोग बिजली जैसी सुविधा से वंचित रहे हैं, अभी भी बनी का आधा क्षेत्र बर्फबारी एवं बारिश होने से बिजली आपूर्ति से वंचित है। आवश्यक सेवा एवं मूल सुविधा के दायरे में आने वाली बिजली आपूर्ति आज के दौर में हर घर की जरूरत बन गई है, बावजूद प्रशासन एवं संबंधित विभाग जुगाड़ से बिजली चला रहा है, यानि पिछड़े हुए क्षेत्र के लोगों के साथ प्रशासन सौतेला व्यवहार कर रहा है। आपूर्ति व्यवस्था देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि मौसम अनुकूल होने पर ही वहां आपूर्ति व्यवस्था चलती होगी है।

विभाग आज भी आधे से ज्यादा क्षेत्र में लकड़ी के पोल एवं पेड़ों के सहारे आपूर्ति की जा रही है, जबकि कस्बों और शहरों में विभाग के पास सीमेंट के बाद अब केबल से आपूर्ति के लिए करोड़ों रुपये की योजनाओं पर काम हो रहा है, लेकिन बनी जैसे दूरदराज क्षेत्र में लकड़ी के पोल पर आपूर्ति करके विभाग इस पिछड़े हुए क्षेत्र के साथ पिछड़ा हुआ व्यवहार कर उन्हें मुसीबते झेलने के लिए मजबूर कर रहा है।

सरपंच चलोग ठाकुर दास, सरपंच डुग्गन धनी राम, सरपंच ढग्गर अमीर चंद का कहना है कि प्रशासन बनी को दूरदराज क्षेत्र होने पर सुविधाएं देने में भी दूर रखता है। कई बार बनी की सबसे बड़ी समस्या बिजली की आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की गई, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। इसके कारण ग्रामीणों को मुसीबतें झेलनी पड़ती है। जब भी आपदा आती है तो प्रशासन अस्थायी प्रबंध करके उनकी समस्याओं का समाधान करने का दावा तो करता है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए कोई योजना नहीं बनती है। पूर्व सरकारों के समय में बनी में बिजली व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए योजनाएं बनी थी, जिसमें बनी के सभी बिजली आपूर्ति के लिए लगे लकड़ी के पोल बदलकर वहां सीमेंट के पोल लगाने की बात हुई थी, उसके बाद आज तक कुछ नहीं हुआ।

बहरहाल, हैरानी वाली बात यह है कि बनी उपमंडल की करीब 50 हजार आबादी को हर बार बर्फबारी एवं बारिश के मौसम में आवश्यक सेवाओं से वंचित होना पड़ता है, जिसका मुख्य कारण कई दशकों से लगे लकड़ी के पोल बारिश व बर्फबारी के दौरान दबने या तो सड़ (गल) जाते हैं या फिर भूस्खलन होने से टूट जाते हैं। ऐसे मौसम में तुरंत रिपेयर करना भी संभव नहीं होता है। इसके कारण मौसम साफ होने का इंतजार करके बिजली विभाग के कर्मी ठप हुई आपूर्ति बहाल करते हैं। कितने दिन मौसम रिपेयर करने के अनुकूल रहेगा, ये मौसम पर ही निर्भर करता है।

जैसे कि गत वर्ष करीब दो सप्ताह तक आपूर्ति ठप रही थी। इस बार भी पहली बर्फबारी होते ही पांच दिनों तक आपूर्ति ठप रही। अभी भी आधे क्षेत्र में आपूर्ति बहाल होनी है। बाक्स-----

पहली बर्फबारी में 50 खंभे टूटे

पहली बर्फबारी में ही इस बार 50 के करीब बिजली के खंभे टूट गए। इसके कारण बनी के आधे इलाके में अभी भी बिजली की आपूर्ति प्रभावित है, जिसे बहाल करने में अभी भी समय लग सकता है। मौसम साफ होने पर वहां कर्मी रिपेयर के लिए पहुंचेंगे, उसके बाद फिर जुगाड़ से आपूर्ति की जाएगी, यानि अस्थायी प्रबंध करके ही चलाई जाएगी। साथ ही खंभे काट छाट कर लगाए जाएंगे। जहां पर खंभे पूरी तरह से टूट गया होगा, वहां पर पेड़ के सहारे ही बिजली की तारों को बांध कर आपूर्ति दी जाएगी। यही कारण है कि बनी में बिजली आपूर्ति पर ही सबसे पहले मौसम की मार पड़ती है। आज भी बनी में 500 से ज्यादा लकड़ी के खंभे से बिजली की आपूर्ति की जा रही है। हालांकि, अधिकारी 300 के करीब सीमेंट के पोल लगाने का दावा कर रहे हैं। कोट्स----

बनी में बर्फबारी, भूस्खलन एवं बारिश के कारण लगे लकड़ी के खंभे जल्द टूट जाते हैं। इससे आपूर्ति प्रभावित होती है, लेकिन अब लकड़ी के खंभे बदले जा रहे हैं। अब तक 300 के करीब बिजली के खंभे सीमेंट के लग चुके हैं, हालांकि अभी 500 के करीब लकड़ी के खंभे पर बिजली की सप्लाई की जा रही है, धीरे-धीरे उन्हें भी बदले जाने की योजना पर काम हो रहा है।

-मोहम्मद शफी, कार्यकारी, अभियंता, बिजली विभाग, कठुआ।


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