शहर की सड़कों पर बेसहारा मवेशियों का कब्जा
यातायात से व्यस्त सड़कों पर लाबारिस मवेशियों का कब्जा हो गया है। जिससे सड़कों पर 24 घंटे मंडराते मवेशियों के कारण राहगीरों एवं वाहन चालकों का गुजरना मुश्किल हो गया है। कब किस दिशा से मवेशी आकर हमला बोल दें या टक्कर मार दें
जागरण संवाददाता, कठुआ: शहर की व्यस्त सड़कों पर बेसहारा मवेशियों का कब्जा हो गया है, जिससे सड़कों पर 24 घंटे मंडराते मवेशियों के कारण राहगीरों एवं वाहन चालकों का गुजरना मुश्किल हो गया है। कब किस दिशा से मवेशी आकर हमला बोल दें या टक्कर मार दें, इसका कोई भरोसा नहीं है। इतना ही नहीं, बीच सड़क पर बैठे मवेशी यातायात को प्रभावित कर रहे हैं।
शहरवासियों के लिए जी का जंजाल बन चुकी इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन के पास कोई योजना तक नहीं है, सिर्फ समस्या के समाधान करने का आश्वासन दिया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है। इससे समस्या दिन ब दिन गंभीर होती जा रही है। हैरानी इस बात कि है की बीते पांच सालों में शहर की सड़कों पर मंडराते बेसहारा मवेशियों के कारण चार लोगों की मौत भी हो चुकी है, उसके बाद भी समस्या के समाधान के लिए कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।
कई बार स्थानीय लोग इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन व नगर परिषद से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन फिर भी प्रशासन इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत नहीं दिख रहा है। अब त्योहारी सीजन में भी बाजार में भीड़ के दौरान भी मवेशी सड़कों पर डेरा डाले हुए हैं। बाजार में लोगों के गुजरने की जगह तक नहीं बची है, बीच में मवेशी घुसने से फिर कोई हादसा हो सकता है। जिला प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए कई महीनों से कैटल पाउंड बनाने की योजना पर काम करने का दावा कर रहा है, जबकि जमीनी हकीकत में अभी तक इस पर काम ही नहीं शुरू हुआ है। इससे समस्या जस की तस बनी है।
मौजूदा समय में कालीबड़ी से लेकर कॉलेज रोड, शहीदी चौक, मुखर्जी चौक, जराई चौक, मुख्य बाजार, कोर्ट रोड, हटली मोड़ क्षेत्र में बीच सड़क में मवेशी मंडी की तरह डेरा जमाए हुए रहते हैं। वाहन चालक के सामने से मवेशी नहीं, बल्कि चालक को खुद बचना पड़ता है। कई बार तो बीच सड़क में बैठे मवेशी वाहनों को रोक भी लेते हैं, जिससे जाम की समस्या बन जाती है, तब चालक को खुद वाहन से निकल कर उन्हें सड़क से हटाना पड़ता है। रात के समय काले रंग के मवेशी और खतरनाक साबित होते हैं, जो वाहन चालक को दूर से नहीं दिखते हैं, पास आने पर ही उनका पता चलता है, कई बार ऐसी स्थति में हादसे भी हो जाते हैं। नगर परिषद के दायरे में व्याप्त समस्या के समाधान के लिए नप प्रयासरत नहीं है। नप का कहना है कि इसके लिए नप नहीं बल्कि वे लोग जिम्मेदार हैं,जो इन्हें खुले में छोड़ देते हैं, लेकिन इतनी संख्या में कहां से आ रहे हैं,इसका भी पता लगाना जरूरी है। कोट्स----
बेसहारा मवेशियों की समस्या के स्थायी समाधान के लिए प्रशासन को जगह उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा गया है, ताकि एक कैटल पाउंड बने, जहां इनको सुविधाओं के साथ रखा जा सके, ऐसे पकड़ कर बाहर छोड़ने से समाधान नहीं हो पाएगा।
-संजीव गंडोत्रा, सीईओ, नप कठुआ