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सीमावर्ती गांवों में बंकर नहीं, ग्रामीण दहशत में

गंगूचक चक खनकसपालमा बाना चक शेरपुर पांइ आदि सीमावर्ती गांवों के लोगों ने भी सरकार से घरों में पक्के बंकर बनाने की मांग की है । ग्रामीणों का कहना है

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 06:44 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 06:44 PM (IST)
सीमावर्ती गांवों में बंकर नहीं, ग्रामीण दहशत में
सीमावर्ती गांवों में बंकर नहीं, ग्रामीण दहशत में

संवाद सहयोगी, हीरानगर: शेरपुर नयाबत के अंतर्गत पड़ते गंगूचक चक, खनक, सपालमा, बानाचक, शेरपुर पांइ आदि सीमावर्ती गांवों के लोगों ने सरकार से घरों में पक्के बंकर बनाने की मांग की है।

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ग्रामीणों का कहना है कि गांव भारत-पाक सीमा से तीन किलोमीटर पट्टी के अंदर स्थित हैं जिसके कारण पाकिस्तान की गोलाबारी की रेंज में हैं। इसके बावजूद अभी तक गांव में बंकरों का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ, जबकि पहले भी प्रशासन से ग्रामीण बंकर बनाने की मांग कर चुके हैं।

कोट्स--

गंगूचक गांव सीमा से एक किलोमीटर के अंदर है, इस क्षेत्र में जब भी पाकिस्तान गोलीबारी करता है तो मोर्टार के शैल गांव के आगे जाकर गिरते हैं। राजस्व विभाग ने जो पहले सूची जारी की थी उसमें गंगूचक को शामिल नहीं किया था। प्रशासन को गांव में भी बंकर निर्माण कार्य जल्द शुरू करना चाहिए।

-अश्विनी कुमार, पंच, गंगूचक। कोट्स--

चक भगवाना पंचायत के भी कुछ गांव गोलीबारी की रेंज में आते हैं, प्रशासन से इस गांव में भी बंकर बनाने की मांग की गई थी जो कि अभी तक नहीं बना। तब अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि दूसरी सूची में इन गांवों को शामिल करेंगे, लेकिन अभी तक इसकी मंजूरी नहीं मिली। अन्य गांवों में भी बंकर निर्माण कार्य जल्द शुरू होना चाहिए, ताकि गोलीबारी के दौरान लोगों को पलायन ना करना पड़े।

- राकेश शर्मा, पूर्व सरपंच, चकडा। कोट्स--

वर्ष 2015- 16 में हुई पाकिस्तान की गोलाबारी के दौरान खनक सपालमा गांवों के लोगों को भी पलायन करके हीरानगर में बने शिविर में ठहरना पड़ा था, इसके बावजूद अभी तक गांवों में बंकर नहीं बना, जिसकी ग्रामीण अक्सर मांग करते आ रहे है। इस समय पाकिस्तान हीरानगर सेक्टर में गोलीबारी कर रहा है, सरकार को जो गांव रह गए हैं, वहां भी काम शुरू करना चाहिए।

- शाम लाल, पूर्व पंच। कोट्स-

लोंडी पंचायत के कुछ गांवों तथा जिन लोगों के घरों में जमीन कम थी, वहां पर बंकर नहीं बने हैं। सरकार से स्कूलों तथा अन्य घरों में भी बंकर बनाने की मांग की गई है। राजस्व विभाग को दूसरी सूची में इन गांवों को भी शामिल करना चाहिए, यह मुद्दा बैक टू विलेज कार्यक्रम के दौरान भी उठाया गया।

-देव राज, सरपंच, लोंडी।

कोट्स--बाक्स---

जिन गांवों में अभी तक बंकर नहीं बने हैं, ऐसे गांवों के 350 के करीब परिवारों की सूची तैयार की गई है जो उच्चाधिकारियों को भेज दी जाएगी।

- अशोक कुमार, नायब तहसीलदार, शेरपुर नयाबत।


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