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भारत की नंबर वन ऐतिहासिक रामलीला की तैयारियां शुरू

संवाद सहयोगी, बसोहली : रामलीला की तैयारियों को लेकर क्लब के सदस्यों ने श्राद्ध से पूर्व तैया

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 07:14 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 07:14 PM (IST)
भारत की नंबर वन ऐतिहासिक रामलीला की तैयारियां शुरू
भारत की नंबर वन ऐतिहासिक रामलीला की तैयारियां शुरू

संवाद सहयोगी, बसोहली : रामलीला की तैयारियों को लेकर क्लब के सदस्यों ने श्राद्ध से पूर्व तैयारियों को शुरू करना शुरू कर दिया है। रामलीला क्लब के प्रधान चंद्र शेखर बसोत्रा ने बताया कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध एवं भारत की नंबर वन बसोहली की ऐतिहासिक रामलीला की एक अलग ही पहचान है। इसे सर्वश्रेष्ठ के शिखर पर बनाए रखने के लिए क्लब अपनी ओर से पूरी तैयारियां कर रहा है। इस बार साउंड म्यूजिक एवं लाइट पर खास तवज्जो दी जाएगी। इसकी शुरुआत यहां के राजा-महाराजाओं ने की थी। इसे देखने के लिए अपने राज्य के अलावा पंजाब और हिमाचल प्रदेश के लोग भी नवरात्र की बेसब्री से प्रतीक्षा करते है। रामलीला की शुरुआत वृंदावन के रासधारियों से हुई। उस समय वृंदावन से रामलीला करने वाली 15-20 कलाकारों की टोली यहा आती थी और रामलीला का मंचन करके वापस चली जाती थी। इसके बाद विक्रम संवत 1975 में स्थानीय लोगों ने आपस में विचार-विमर्श कर स्थानीय युवाओं को स्वयं रामलीला का मंचन के लिए पैसे इकट्ठा करने की मुहिम चलाई, जिसमें नगरवासियों ने दिल खोलकर दान दिया। दान में मिली राशि से अमृतसर से नए मुकुट, कपड़े, तबला, हारमोनियम, सुनहरे पर्दे व साज-सज्जा का सामन लाया गया और स्थानीय युवाओं द्वारा इसका मंचन शुरू किया गया। बसोहली की रामलीला पर रासलीला का असर आज भी स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। इसमें आज भी पुराने वृंदावन के संवाद, गीत और खुले में बिना पर्दे के रामलीला का अनोखा मंचन किया जाता है, जो इसकी अलग पहचान को दर्शाता है। रामलीला में राजा-महाराजाओं के लिए अलग-अलग महल बनाए जाते है जिसके चारों तरफ दर्शकों की अपार भीड़ जुटी रहती है। सीता जन्म में जमीन के नीचे से माता सीता का मिलना, सीता स्वयंवर, रात वनवास, भगवान राम द्वारा सरयू नदी पार करने के दृश्य को बसोहली के ऐतिहासिक रानी तालाब में नांव डालकर प्रस्तुत करना, बाली-सुग्रीव युद्ध के दौरान एक तीर से सात पेड़ों को गिराना, हनुमान का दो सौ मीटर की दूरी से तार पर संजीवनी बूटी लाना और रावण के पुतले को हनुमान द्वारा देर रात को फूंकना इसकी विशेषता को दर्शाता है। इसे और बेहतर बनाने के लिए क्लब के सदस्य रात को हर रोज रिहर्सल करते हैं ताकि मंचन के दौरान पात्र को पूरी तरह से पाठ याद हो और सही ढंग से एक्टिंग कर सकें।

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