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जंगलों में आग से वन संपदा और पशु-पक्षियों को भारी नुकसान, हर तरफ धुआं ही धुआं

हर तरफ दुआं ही दुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि दिन के समय धूप निकलने के कारण धुएं की धुंध में काफी कमी देखी जाती है परंतु रात होते ही हर तरफ धुएं का गुबार-सा छा जाता है जो सुबह 800 बजे के बाद ही छंटता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 01:12 AM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 01:12 AM (IST)
जंगलों में आग से वन संपदा और पशु-पक्षियों को भारी नुकसान, हर तरफ धुआं ही धुआं
जंगलों में आग से वन संपदा और पशु-पक्षियों को भारी नुकसान, हर तरफ धुआं ही धुआं

संवाद सहयोगी, रामकोट : भीषण गर्मी के कारण क्षेत्र में आग लगने की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं। वन विभाग एक जंगल में आग बुझाता है तो दूसरी जगह आग लगने की खबर आ जाती है। इस बीच हर तरफ दुआं ही दुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि दिन के समय धूप निकलने के कारण धुएं की धुंध में काफी कमी देखी जाती है, परंतु रात होते ही हर तरफ धुएं का गुबार-सा छा जाता है जो सुबह 8:00 बजे के बाद ही छंटता है। नहीं जंगलों में लगातार आग लगने से पशु-पक्षियों का बसेरा उजड़ रहा है।

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अभी पिछले हफ्ते वन विभाग ने कड़ी मेहनत से गलक, चौन, कंधारनू रजवालता आदि स्थित जंगलों में लगी आग को बुझाया था, परंतु रविवार से कोहनू के जंगल में भड़की आग ने 20 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जंगल को जलाकर राख कर दिया है। इसके साथ लगते रजवालता के जंगल में फिर से लगी आग ने 3/4 हेक्टेयर क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है। यह आग आगे बढ़ ही रही है। आग लगने से जंगली जानवर तो भाग कर अपनी जान बचा लेते हैं, परंतु पेड़ों पर बने पक्षियों के घोंसले भी जल जाते हैं और उनमें पाल रहे चिड़ियों के बच्चे भी झुलस जाते हैं। आग की घटनाओं से वन संपदा को तो नुकसान होता ही है, पर्यावरण भी प्रदूषित हो जाता है। आग लगने से गर्मी में भी बढ़ोतरी हो रही है।

ज्ञात रहे कि इन दिनों क्षेत्रीय जंगलों में खरगोश, सूअर, सींडा, लोमड़ी, पहाड़ा, पिज्जड़, गूंद बारहसिघा और तेंदुए के अलावा जंगली मुर्गा, मोर, कोलसा, तीतर, बटेर आदि पशु-पक्षी जो रात में अक्सर दिखाई देते हैं, वे बहुत ज्यादा संख्या में पल रहे हैं। जंगलों में लग रही आग से इन पशु पक्षियों का बहुत ज्यादा नुकसान होता है।

वन विभाग का दावा- पशुओं के बसेरे को बचा लिया गया जंगलों पर नजर रखे हुए हैं। विभाग की टीमें जंगलों में आग बुझाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। कोहनू के जंगल में एक तरफ लगी आग पर कंट्रोल कर लिया गया है। वहीं दूसरी तरफ पंजफूली झाड़ियां छाई होने के कारण कर्मचारियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। मुख्य जंगल और हैबिटेट क्षेत्र (यहां पर जंगली जानवरों का बसेरा होता है) को बचा लिया गया है। जंगलों में फायर लाइन बनाई हुई है। रेंज अधिकारी ने बताया कि जंगलों में लगी आग से पशुओं का नुकसान नहीं हुआ है, परंतु पेड़ों पर बने घोंसले जल गए हैं।

संजीव खजुरिया, रेंज अधिकारी, वन विभाग


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