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कुएं का पानी पीने से 35 लोगों की बिगड़ी तबीयत

पीएचई विभाग की मनमानी का खामिया हीरानगर की कुटा पंचायत के सोहल गांव के लोग भुगत रहे हैं। विभाग की ओर से पर्याप्त पेयजल न मिलने के कारण इस गांव के लोग कुएं का पानी पीकर दस्त रोग से पीड़ित हो गए हैं। बुधवार को ब्लाक मेडिकल अधिकारी डा. स्वाती शरण अंजल के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों पैरामेडिकल स्टाफ की टीम गांव में पहुंची। टीम ने करीब 105 लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जिनमें से 35 लोग दस्त रोग से ग्रस्त पाए गए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 May 2022 07:53 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2022 07:53 PM (IST)
कुएं का पानी पीने से 35 लोगों की बिगड़ी तबीयत
कुएं का पानी पीने से 35 लोगों की बिगड़ी तबीयत

संवाद सहयोगी, हीरानगर : पीएचई विभाग की मनमानी का खामिया हीरानगर की कुटा पंचायत के सोहल गांव के लोग भुगत रहे हैं। विभाग की ओर से पर्याप्त पेयजल न मिलने के कारण इस गांव के लोग कुएं का पानी पीकर दस्त रोग से पीड़ित हो गए हैं। बुधवार को ब्लाक मेडिकल अधिकारी डा. स्वाती शरण अंजल के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ की टीम गांव में पहुंची। टीम ने करीब 105 लोगों के स्वास्थ्य की जांच की, जिनमें से 35 लोग दस्त रोग से ग्रस्त पाए गए। इनमें से महिला देवो रानी का स्वास्थ्य ज्यादा ़खराब होने पर उसे एंबुलेंस से उपजिला अस्पताल हीरानगर पहुंचाया गया। दस्त पीड़ित लोगों को दवाइयां, ओआरएस के पैकेट वितरित कर उन्हें जागरूक किया गया। इसी बीच जल शक्ति विभाग के अधिकारी और फूड सेफ्टी के इंस्पेक्टर भी गांव में पंहुचे और उन्होंने कुएं के पानी के सैंपल लेकर कुएं में ब्लीचिग पाउडर डालकर लोगों को कुएं का पानी न पीने के हिदायत दी। गांव में दस्त पीड़ित लोगों की देखभाल करने के लिए पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्य तैनात रहेंगे।

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पंचायत के पूर्व सरपंच कांत कुमार ने बताया कि गांव के कुछ लोग पिछले आठ दस दिन से बीमार चल रहे थे और नजदीकी डिस्पेंसरी में उपचार करवा रहे थे, लेकिन रोगियों की बढ़ती जा रही थी। मरीजों की हालत देखकर एसडीएम और ब्लाक मेडिकल अधिकारी को सूचित किया गया। उसके बाद डाक्टरों की टीम ने लोगों के स्वास्थ्य की जांच कर दवाइयां वितरित की हैं और जल शक्ति विभाग के अधिकारी कुएं के पानी का सैंपल ले गए हैं। उन्होंने कहा कि जल शक्ति विभाग की ओर से पर्याप्त पानी सप्लाई न होने के कारण लोग कुएं का पानी पीने को मजबूर थे। अब अधिकारी सैंपल ले गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि लोग पानी पीने से या किसी ओर वजह से बीमार हुए हैं। फिलहाल लोगों का उपचार चल रहा है और सभी खतरे से बाहर है। ं ब्लाक मेडिकल आफिसर डॉ स्वामी शरण अंजल का कहना है कि उन्हें स्थानीय लोगों तथा निचला प्राइमरी हेल्थ के डाक्टर से सूचना मिली कि सोहाल गांव के कुछ लोग दस्त रोग से पीड़ित हैं। उसके बाद डाक्टरों की टीम गांव में पहुंच लोगों की जांच की तो उसमें से 35 लोग दस्त से पीड़ित पाए गए हैं। उन्हें दवाइयां वितरित की गई हैं और कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि जिस कुएं का लोग पानी पीते हैं। वो काफी पुराना है, जिसकी कई सालों से सफाई भी नहीं हुई है। यह कुआं एक पेड़ के नीचे है। इस पेड़ पर पक्षी भी बैठते हैं। इसी वजह से कुएं का पानी दूषित हो गया होगा।

पानी के सैंपल की होगी जांच : फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर

जल शक्ति विभाग तथा फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर ने पानी के सैंपल लिए हैं,जिस की जांच की जाएगी। लोग जब तक पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते और जांच की रिपोर्ट नहीं आती, तक कुएं का पानी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एसडीएम से बातचीत कर वह को साफ करवाने की भी सलाह देंगे। फिलहाल चिता वाली कोई बात नहीं है।

कठुआ जिले में सिर्फ घोषणा तक सीमित हैं जल जीवन मिशन योजनाएं

जागरण संवाददाता,कठुआ : विगत तीन सालों से सरकार जिले में जल शक्ति मिशन को लागू कर हर घर में नल से स्वच्छ जल उपलब्ध कराने का दावा करती आ रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत यह है कि आज भी जिले की आधी आबादी दूषित पानी पीने को मजबूर है। यानि प्राकृतिक जलस्त्रोतों से प्यास बुझाती है। इसका उदाहरण बुधवार हाईवे से सटी कूटा पंचायत के सोयाल गांव में देखने को मिला। इस पंचायत में पानी के अभाव में लोगों को आज भी पुराने कुएं का पानी पीना पड़ रहा है ,जो इस बार दूषित होने के कारण लोगों की जान खतरे में पड़ गई है। हालांकि सोआल गांव भले ही कूटा पंचायत का हिस्सा है,लेकिन हाईवे से मात्र सात किलोमीटर की दूरी पर कंडी क्षेत्र के पांच सौ से ज्यादा आबादी वाले गांव में पेयजल की आपूर्ति दूसरी पंचायत सैडा से होती है।

हीरानगर की पंचायत कूटा विकास के मामले में अग्रणी है, जिसे दो बार लगातार राष्ट्रीय अवार्ड भी मिल चुका है। अगर ऐसी पंचायतों के किसी गांव में आज भी पेयजल की किल्लत है तो इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकारी तंत्र या तो योजनाओं को लागू करने में फिसड्डी साबित हो रहा है या फिर सरकार सिर्फ घोषणाएं कर रही है। अगर ऐसा नहीं होता तो कूटा पंचायत के सोआल गांव में लोग पुराने कुएं के दूषित पानी पीकर बीमार नहीं होते। ऐसी स्थिति सिर्फ जिला के सोआल गांव में ही नहीं बल्कि पूरे जिला के करीब 250 गांवों में है,जहां पीने के लिए पर्याप्त आपूर्ति आज भी खासकर गर्मियों के दिनों में नहीं मिल पाती है। इसमें सबसे ज्यादा जिला का कंडी क्षेत्र है,जो कूटा के सोआल से शुरू होकर लखनपुर के बसंतपुर तक फैला है। यहां पर जल शक्ति विभाग की पेयजल आपूर्ति गर्मियों में दम तोड़ देती है। ऐसे में इन क्षेत्रों में रहने वाली करीब एक लाख आबादी को गर्मियों के दिनों में पेयजल के लिए भटकना पड़ता है। क्षेत्र में लगे ट्यूबवेल या तो बहुत पुराने हो चुके हैं,या फिर उनकी मशीनरी पूरी तरह से कंडी के सूखे क्षेत्र में काम नहीं करती है। बड़ी संख्या में यहां के लोग हैंडपंप या अन्य प्राकृतिक स्त्रोत पर निर्भर रहते हैं। यहीं स्थिति बिलावर बसोहली के सौ से ज्यादा गांवों की है।

वर्ष 2019 में हर घर में नल से स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए जिले के कुल 19 में से पहले तीन ब्लॉक डिगा अंब, मांडली और महानपुर को चुना गया। इसके लिए 90 करोड़ रुपये की मंजूरी हुई। तीनों ब्लॉकों में वर्ष 2020 के अंत तक हर घर में नल से पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया। नतीजन समय पर फंड जारी न होने पर योजना पर कोई काम नहीं हुआ और कठुआ जिला को इस योजना की प्राथमिकता से हटाकर तीसरे नंबर पर कर दिया गया। पहले सांबा,दूसरा रियासी और तीसरे नंबर पर कठुआ जिला को रखा गया। उसके बाद इस योजना पर भी काम शुरू करने के बजाय बंद कर दिया। अब जिले में 299 नई पेयजल योजनाओं पर 1400 करोड़ रुपये इस वर्ष मंजूर हुए हैं। जिसे एक साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें भी अभी टेंडर प्रक्रिया ही चल रही है,जो अभी चलेगी।ऐसे में समय पर इसे भी पूरा करना शायद संभव होगा।

299 योजनाओं पर जल्द शुरू होगा काम : विक्रम डोगरा : जल शक्ति विभाग कठुआ के कार्यकारी अभियंता विक्रम डोगरा का कहना है कि पूर्व में जल शक्ति मिशन की कोई भी योजना पर काम नहीं हुआ है,लेकिन अब 1400 करोड़ रुपये की लागत से 299 योजनाओं पर काम शुरू होने जा रहा है। इसकी टेंडर प्रक्रिया जारी है। प्रक्रिया पूरी होते ही हर उस गांव में जहां पेयजल स्त्रोत नहीं है,वहां पानी पहुंचाया जाएगा,इसमें स्वच्छ जल पहुंचाना प्राथमिकता है।


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