पांच दशकों बाद सीमांत क्षेत्र की एक लाख आबादी को मिलेगा तरनाह नाले पर बने पुल का तोहफा
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राकेश शर्मा, कठुआ: केंद्र सरकार के दूसरे काल के पहले साल में ही बनकर तैयार हुआ जिले के हीरानगर में तीसरा बड़ा तरनाह नाले पर पुल का तोहफा इसी सप्ताह मिलने जा रहा है, जिससे करीब एक लाख ग्रामीणों का आवागमन सुगम होगा। पुल का निर्माण बीआरओ ने किया है, जिसे दिल्ली से ऑनलाइन ही उद्घाटन कर आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।
उद्घाटन की तैयारियां शुरू हो चुकी है। खासकर हीरानगर के सीमांत लोगों के लिए नया युग लेकर आएगा, जो हर साल बरसात के दौरान तीन महीने के अलावा जब-जब भी साल में मूसलधार बारिश होती थी तो कई गांव तहसील व जिला मुख्यालय से कट जाते थे। कई बार लोगों को जान जोखिम में डालकर बहते पानी से गुजरना पड़ता था, लेकिन अब बरसात में बहते पानी से नहीं, बल्कि पुल के ऊपर से होकर तहसील मुख्यालय महज 10 मिनट में पहुंचा जा सकेगा।
करीब सौ गांवों की एक लाख आबादी को इस पुल का लाभ मिलने जा रहा है। पुल के अभाव में गत चार दशक से बंद हुई बॉर्डर बस सेवा भी बहाल होने से लोगों को अब द्वार से यात्री वाहनों का लाभ मिलेगा। कठुआ या सांबा जाने के लिए अब हाईवे से होकर जाने की बजाय करीब 40 किलोमीटर बॉर्डर रोड पर ही सफर होगा। क्षेत्र में सड़कों के अभाव में अन्य जिलों व राज्यों के लोगों की कम हुई आवाजाही भी बढ़ेगी। लोगों का जीवन स्तर बदलेगा। इस पुल के निर्माण की मांग पांच दशक से लोग कर रहे थे, लेकिन सपना दो दशक से देख रहे थे, जो अब केंद्र की मौजूदा नरेंद्र मोदी की सरकार ने पूरा किया। इसमें पीएमओ में केंद्रीय राज्यमंत्री एवं क्षेत्र के सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह के प्रयास भी सराहनीय है, जिन्होंने सांसद बनने के बाद पीएमओ में महत्वपूर्ण पद के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपने पूर्व पांच साल के कार्यकाल में इन महत्वपूर्ण पुलों के निर्माण के लिए केंद्र से मंजूरी दिलाई और दो सालों में तीन बड़े और 8 छोटे पुल बनाए। बाक्स----
16 करोड़ की लागत से निर्मित पुल की लंबाई है करीब 160 मीटर
तरनाह नाले के पुल की लंबाई करीब 160 मीटर है, इस पर 16 करोड़ के करीब राशि खर्च हुई है। इसी पुल के लोकापर्ण के साथ इस क्षेत्र के बोबिया क्षेत्र के लडवाल-छन्न क्षत्रियां, सन्याल और बबर नाले पर भी बनकर तैयार हो गया हैं। जिस पर भी करीब 12 करोड़ की लागत आई है। सूत्र बताते हैं कि इस पुल का भी उद्घाटन तरनाह नाले के पुल के साथ हो जाएगा। और तो और सांबा क्षेत्र से जुड़ने वाले पुल से होकर गुजरने वाले मार्ग पर 540 मीटर लंबाई के 5 पुल अगले छह महीन में बनकर तैयार हो रहे हैं, जिस पर करीब 25 करोड़ की लागत आएगी। बाक्स---
मौजूदा जम्मू पठानकोट हाईवे का एक वैकल्पिक मार्ग भी मिलेगा
पुल के लोकापर्ण के बाद इसका लाभ सिर्फ हीरानगर, कठुआ, सांबा जिले के लोगों को ही नहीं, बल्कि पंजाब के पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर से जम्मू जाने वाले लोगों को भी मिलेगा। यानि मौजूदा जम्मू पठानकोट हाईवे का एक वैकल्पिक मार्ग बनेगा। सबसे अहम इस मार्ग पर दौड़ने वाले वाहन चालकों को हाईवे टोल प्लाजा नहीं देना पड़ेगा। इस पुल के बनने से अब कठुआ की बॉर्डर से ही सांबा जिला तक कनेक्टिविटी होगी और इसी मार्ग को अब अमृतसर से आने और वहां को जाने वाले चाहे तो रास्ता का चयन कर सकते हैं। इस मार्ग पर दो साल के भीतर दो बड़े पुल उज्ज दरिया एवं बेई नाले पर बन चुके हैं, जिसका लोकापर्ण हुए करीब एक साल हो गया है। अब इस पुल का उज्ज पुल से संपर्क जुड़ते ही कठुआ के नगरी परोल से फिर पंजाब के परमानंद तारागढ़ हाईवे तक सड़क मार्ग से संपर्क जुड़ेगा। पठानकोट-अमृतसर हाईवे पर स्थित परमानंद से मिलने वाले बॉर्डर रोड की अमृतसर की दूरी मात्र 90 किलोमीटर रह जाएगी। इससे जम्मू से वाया पठानकोट होकर अमृतसर जाने वाले लोगों को करीब 20 किलोमीटर की दूरी भी कम होगी और तीन हाईवे पर टोल प्लाजों पर शुल्क नहीं देना पड़ेगा। हाईवे की तर्ज पर बनने वाले बीआरओ के रोड पर हाईवे टोल नहीं होता है। बिना टोल दिए लोग अपने वाहन दौड़ाएंगे और कठुआ जिला से होकर गुजरने वाले लोग भारत-पाक सीमा से जुड़े सीमांत क्षेत्र का भी नजारा देख पाएंगे।