फारूक बोले, राज्य में कहीं अमन व सुरक्षा नहीं
जम्मू में वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा से कई प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात करने पर फारूक ने कहा कि ऐसे एैरे गैरे नत्थू खैरे से बात कर राज्य की समस्या का हल नहीं हो सकता है।
कठुआ, जागरण संवाददाता। राज्य की सुरक्षा अहम है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। एक तरफ सरकार अमन बहाली की बातें कर रही है। वहीं, सीमा पर हमारे जवान शहीद हो रहे हैं। ऐसे में कहां है अमन और कहां है सुरक्षा? यह बातें पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुला ने रविवार को एक निजी कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने कहा कि आज भी हमारी सबसे बड़ी मुसीबत पाकिस्तान है। गोले वहां से आते हैं और आतंकवाद भी। ऐसे में क्या यह सरकार इस समस्या का समाधान करना चाहती है। वार्ताकार भेज कर सिर्फ अपनी किताब पूरी करने में लगी है। जबकि मुसीबत का हल करने के लिए इनके पास कोई समाधान नहीं है।
जम्मू में वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा से कई प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात करने पर फारूक ने कहा कि ऐसे एैरे गैरे नत्थू खैरे से बात कर राज्य की समस्या का हल नहीं हो सकता है। अभी तक पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार राज्य में न तो शांति ला सकी है और न ही विकास। जबकि केंद्र से फंड की कमी नहीं होने की बातें कही जा रही हैं। ऐसे में पैसा कहां जा रहा है।
महंगाई से गरीब परेशान है। रसोई गैस सिलेंडर का मूल्य 400 से 800 रुपये हो चुका है। चीनी, आटा कहीं नहीं मिल रहा है। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है। हर जगह लूट मची है। बिना रिश्वत कहीं काम नहीं हो रहे हैं। ऐसे में गरीब कहां जाए? जिस अमेरिका पर केंद्र सरकार विश्वास कर रही है, वो कभी भी किसी का दोस्त नहीं रहा है। ऐसे में रूस हमेशा भारत का मददगार रहा है और आज भी कोई मदद के लिए आएगा तो रूस ही आएगा। सरकार पत्थरबाजों को छोड़ रही हैं या नहीं, इसका भी पता नहीं है।
भाजपा ने तो पीडीपी के आगे घुटने टेक दिए हैं। पिछले दिनों खुद मुख्यमंत्री ने जिला मुख्यालयों पर बैठकें की और किसी विधायक द्वारा समस्या उठाने पर उसे बोलने तक नहीं दिया। पाकिस्तान के हिस्से वाले गुलाम कश्मीर को लेने के दावे करने वाली सरकार को आखिर किसने रोका है? जब नहीं ले पा रहे हो तो क्यों अपने जवानों और जनता को मरवा रहे हो। हमें धर्मों की नहीं कर्मों की लड़ाई लडऩी है। भाजपा ने राम का ठेका नहीं ले रखा है। राम सभी के हैं। हमें धर्मों को जोडऩा है, इंसानों को जोडऩा है। मंदिर
और मस्जिद में एक ही भगवान है।
उन्होंने शहीदों के परिवारों का भी ध्यान रखने की बात कही। हम सबको उनके सुख-दुख में भागीदारी बनना चाहिए, क्योंकि शहीदों ने बड़ी कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी देकर हमारी और देश की रक्षा करते हुए प्राण न्यौछावर किए होते हैं। उन्होंने आगामी पंचायत चुनावों में महिलाओं को सक्रिय होकर भाग लेने की अपील की।
फारूक को काले झंडे दिखाए, नारेबाजी
गुलाम कश्मीर को पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ाने संबंधी बयान पर नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान और
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला को विरोध का सामना करना पड़ा। विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने फारूक अब्दुल्ला को काले झंडे दिखाकर नारेबाजी की।
फारूक रविवार दोपहर करीब अढ़ाई बजे रिहाड़ी में पार्टी के एक यूथ कार्यकर्ता तनवीर के घर जा रहे थे। फारूक का काफिला जैसे ही रिहाड़ी चौक से गुजरा तो पहले से सक्रिय विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता काफिले के सामने पहुंच गए और काले झंडे दिखाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। फारूक के सुरक्षाकर्मियों और पुलिस ने कार्यकर्ताओं को रोका। इस बीच धक्का-मुक्की भी हो गई। कार्यकर्ताओं ने जोरशोर से नारेबाजी शुरू कर दी। राकेश बजरंगी और कुछ अन्य कार्यकर्ताओं ने फारूक हाय-हाय के नारे लगाते हुए कहा कि गुलाम कश्मीर को पाकिस्तान का बताकर अच्छा नहीं किया है।
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। संसद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया है कि पाकिस्तान के कब्जे से गुलाम कश्मीर को छुड़ाना है। ऐसे में फारूक ने बयान दिया है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को हासिल नहीं कर सकता, जबकि भारत गुलाम कश्मीर को वापस नहीं ले सकता। पुलिस ने करीब 15 कार्यकर्ताओं को पकड़कर थाने ले गई। दो घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों में विक्की चौधरी, अश्विनी, शुभम व अन्य शामिल थे।
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