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कठुआ के किसानों में बंटेगा 3.20 करोड़ मुआवजा, 13500 रुपये मिलेंगे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से

हीरानगर नगरी मढ़ीन और कठुआ तहसील के किसानों को जल्द बासमती धान के नुकसान को मुआवजा मिलेगा। सरकार ने चार तहसीलों के प्रभावित किसानों मुआवजा देने के लिए 3.20 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 10:33 AM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 10:33 AM (IST)
कठुआ के किसानों में बंटेगा 3.20 करोड़ मुआवजा, 13500 रुपये मिलेंगे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से
कठुआ के किसानों में बंटेगा 3.20 करोड़ मुआवजा, 13500 रुपये मिलेंगे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से

कठुआ, जागरण संवाददाता। हीरानगर, नगरी, मढ़ीन और कठुआ तहसील के किसानों को जल्द बासमती धान के नुकसान को मुआवजा मिलेगा। सरकार ने चार तहसीलों के प्रभावित किसानों मुआवजा देने के लिए 3.20 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं। यह मुआवजा किसानों को 13,500 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिलेगा। यह पैसा जारी करने के लिए जिला प्रशासन ने संबंधित तहसीलदारों को प्रभावित किसानों के खातों में डालने के संबंध में निर्देश भी जारी कर दिए हैं।

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उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष नवंबर माह में बारिश और तूफान के कारण धान की खड़ी फसल बर्बाद हो गई थी। कई किसानों की खेतों मे ही धान की फसल पानी में डूब गई थी। ऐसे में लंबे समय से किसान मुआवजे की मांग कर रहे थे, जो अब जाकर पूरी हो रही है। कठुआ जिला में सबसे ज्यादा मुआवजा मढ़ीन तहसील में बांटा जाएगा। यहां के प्रभावितों किसानो में करीब दो करोड़ रुपये बतौर मुआवजा बांटे जाएंगे। इसके अलावा हीरानगर के किसानों में एक करोड़ और कठुआ तहसील के किसानों में 11. 56 लाख रुपये, जबकि नगरी तहसील के किसानों में 8.32 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे।

डीसी कठुआ ओपी भगत ने बुधवार को कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि मुआवजा राशि का एक हफ्ते में भुगतान सीधे किसानों के खातों में किया जाए। प्रभावित किसानों के बैंक खाते में राशि वितरण प्रक्रिया पूरी करने की जिम्मेदारी तहसीलदार, कृषि विस्तार अधिकारी और स्थानीय क्षेत्र के पटवारी को सौंपी गई है।

जिला मुख्य कृषि अधिकारी बीके उपाध्याय ने बताया कि सरकार ने एसडीआरएफ से उक्त राशि जारी की है।

बता दें कि किसान पिछले तीन माह से लगातार बारिश से खराब हुइ बासमती की फसल के मुआवजे की मांग कर रहे थे और आए दिन धरना प्रदर्शन के अलावा जम्मू में भी उच्च अधिकारियों से लगातार मिलकर मांग कर रहे थे। इसके बाद सरकार ने पहले कृषि विभाग से खराब हुई फसल का सर्वे करा आंकड़ा तैयार किया,लेकिन उस पर सवाल उठने के बाद फिर रेवेन्यू विभाग से भी सर्वे कराया। सबसे ज्यादा प्रभावित निचला क्षेत्र मढ़ीन रहा। जहां पर सबसे ज्यादा बासमती की फसल खराब हुई।


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