पुल का निर्माण अधर में छोड़ने पर प्रदर्शन
संवाद सहयोगी, हीरानगर : ओल्ड सांबा कठुआ मार्ग पर स्थित लाला चक में नाले के बाद चकड़ा-तर
संवाद सहयोगी, हीरानगर : ओल्ड सांबा कठुआ मार्ग पर स्थित लाला चक में नाले के बाद चकड़ा-तरनाह नाले के अधूरे निर्माण को पूरा करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। दूसरे दिन भी सीमांत क्षेत्र के लोगों ने सुबह चकड़ा मुख्य चौक पर प्रदर्शन किया और केन्द्रीय राज्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे पूर्व सरपंच राकेश शर्मा ने कहा कि बेई नाले के बाद जंगी चक तरनाह नाले के पुल का निर्माण शुरू होना चाहिए था। जोकि सीमांत क्षेत्र के 50 गांवों का हीरानगर के लिए मुख्य रास्ता है। ग्रेफ ने इसके बजाय लोंडी लडवाल के बीच तीसरे पुल पर मशीनरी शिफ्ट करवा दी है। जहां अभी एक साल का समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि जंगी चक पुल के चार पिलर तैयार है उसपर सिर्फ छत डालने की जरूरत है और 31 मार्च तक यह पुल तैयार हो सकता था लेकिन इसके बीच में ही छोड़ दिया गया। इससे लोगों में रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि एक तो पाकिस्तान की गोलाबारी की वजह से लोग चार साल से कठिन परिस्थितियों में गुजारा कर रहे है। दूसरा विकास को लेकर भी सरकार भेदभाव कर रही है। अभी तक न तो सीमांत को सुरक्षित स्थान पर पांच-पांच मरले के प्लाट मिले और न ही सरकार द्वारा घोषित शौचालय व पक्के बंकरों का निर्माण हो पाया है। सीमा से सटे गांव के प्रभावित लोगों को उनकी खाली जमीनों का मुआवजा भी नहीं मिला। जब भी पाकिस्तान गोलाबारी करता है लोगों को जंगी चक के रास्ते पलायन कर हीरानगर जाना पड़ता है उसकी हालत खस्ता है। पुल व रास्ता ठीक न होने की वजह से सरकारी कर्मचारी, स्कूल कॉलेजों में जाने वाले विद्यार्थी समय पर नहीं पहुंच पाते। अगर तीनों पुलों की मंजूरी मिली है तो फिर निर्माण भी एक साथ मुकम्मल करना चाहिए। अगर कोई समस्या है तो जो पुल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो उसे बनाना चाहिए। स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी कि एक सप्ताह के अन्दर अगर जंगी चक में मशीनीरी आनी शुरू नहीं हुई तो वे गांव में ही धरना लगाकर बैठ जाएंगे। प्रदर्शनकारियों में अश्विनी शर्मा, भगवान दास, सरदारी लाल, रवि कुमार, कुलदीप कुमार आदि शामिल हुए।