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पर्दे के पीछे रह कर कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे देवेंद्र पाल

जिला कठुआ में भी सरकारी व्यवस्था इसी के बचाव के लिए जुटी है। जिसमें सभी विभागों के अधिकारी आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर अन्य अपने अपने

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 12:17 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 12:17 AM (IST)
पर्दे के पीछे रह कर कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे देवेंद्र पाल
पर्दे के पीछे रह कर कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे देवेंद्र पाल

कोरोना संकट के कारण देश के विभिन्न हिस्सों की तरह जिले में भी सरकारी व्यवस्था इसी के बचाव के लिए जुटी है। इसमें सभी विभागों के अधिकारी आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर अन्य अपने अपने विभाग में रूटीन के आवंटित कामों की जिम्मेदारी को पूरा करने की बजाय कोरोना से बने हालात में लोगों के बचाव के लिए कोरोना योद्धा बनकर काम कर रहे हैं। इसमें जिला प्रशासन के मुख्य तौर पर कोरोना योद्धा डीसी, एडीसी, सीएमओ, एसएसपी तो फ्रंट लाइन में काम कर रहे है, लेकिन इस संकट के दौरान कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं, जो पर्दे के पीछे कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे हैं,जो शायद आम लोगों को फ्रंट लाइन में तो नहीं दिखे, लेकिन पर्दे के पीछे यानि कार्यालय में उनकी भूमिका भी कोरोना योद्धा से कम नहीं है। ऐसे ही जिले के प्रमुख अधिकारियों में जिला राजस्व विभाग के मुख्य एसीआर सहायक आयुक्त रेवेन्यू देवेंद्र पाल है, जो डीसी कार्यालय में तैनात है। इस संकट के दौरान डीसी द्वारा सौंपी गई ड्यूटी को पूरी सक्रियता से निभा रहे है और डीसी की हर कॉल और लिखित आदेश को पूरा करके उनके द्वारा कोरोना के खिलाफ छेड़ी जंग में पूरा सहयोग कर रहे है। सिर्फ रेवेन्यू विभाग के कार्य को देखने वाले एसीआर कोरोना संकट के दौरान किस तरह की ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं, इन सब मु्ददों पर दैनिक जागरण के उप मुख्य संवाददाता राकेश शर्मा ने एसीआर देवेंद्र पाल से बातचीत की, उनसे हुई बातचीत के अंश:- - कोरोना संकट के दौरान आपकी क्या जिम्मेदारी है, उसे किस तरह से निभा रहे है।

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जब से जिले में कोरोना संकट शुरू हुआ है, तभी से डीसी ओपी भगत ने उन्हें कार्यालय में उन लोगों के अनुमति पास बनाने का कार्य सौंपा, जिन्हें अति आवश्यक एवं आपात स्थिति में इंटर स्टेट मूव करना पड़ रहा है।

- क्या आप सरकारी वाहनों के भी दूसरे राज्यों में आवश्यक सेवाओं से जुड़े सामान को लाने के लिए मूवमेंट पास बना रहे हैं।

- दोनों के, इसमें वो लोग जो आपात स्थिति में दूसरे राज्यों को जाने के लिए और सरकारी वाहन, जो आवश्यक सेवाओं से जुड़ा सामान लाने के लिए भी पास जारी किए गए, किसी भी जरूरतमंद या आपात स्थिति में किसी को पास जारी करने में परेशानी नहीं आने दी गई। -अब तक आपने कितने ऐसे पास कार्यालय से जारी किए गए हैं।

- अब तक 9500 से ज्यादा अनुमति और मूवमेंट पास कार्यालय से जारी हो चुके हैं। हालांकि अब तो कुछ पास ऑनलाइन डिवकॉम कार्यालय से भी इंटर स्टेट मूवमेंट के लिए बनाना अनिवार्य हो गया है। -आपके कार्यालय से किस तरह के पास बनाए जा रहे हैं।

जैसे कोई बीमार है, उसे आपात स्थिति में कठुआ से पंजाब के किसी अस्पताल में इलाज के लिए जाना पड़ रहा है, अगर वहां वह पहले से ही ट्रीटमेंट ले रहा हो, उसे पास जारी किया गया, उसमें बाकायदा उसके वाहन का नंबर, दो या तीन सदस्य को साथ जाने की अनुमति और सबसे अहम, उसमें आने का समय भी लिखा होता है, अगर वह उस तय समय पर नहीं आता है तो ऐसे हालात में पंजाब या अन्य राज्य में जाने के दौरान और मुसीबत बन गई तो हालात देखकर उसका समय आगे पीछे हो सकता है, लेकिन पूरी जांच पड़ताल करने पर। इसके अलावा गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज, जिनकी जिला में दवा नहीं मिलती है, उन्हें भी दवा लाने की अनुमति का पास दिया जाता है। सरकारी कर्मचारी जो अपने निजी वाहन रखे हुए हैं, उनके वाहनों के लिए कोरोना ड्यूटी के दौरान ड्यूटी करने का आवश्यक सेवा का पास भी जारी किया जाता है। इसके अलावा गेहूं की कटाई के लिए इस बार जारी लॉकडाउन के बीच लेबर न मिलने पर पंजाब से कंबाइन मशीनें लाना मुख्य कार्य था, जिसके कारण करीब 200 से ज्यादा पास भी उनके कार्यालय से जारी किए गए और समय पर जारी करके गेहूं की कटाई में कोई बाधा नहीं आई। - कोरोना संकट के दौरान देर रात कार्यालय खुला रहता है।

बिल्कुल, जब भी डीसी का कोई ऐसा निर्देश आता है तो उसी समय उनके निर्देश पर कार्यालय में आश्वयक कार्य करना पड़ता है। इसमें कोई छुट्टी या अन्य कारण नहीं चलते हैं।


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