राज्य सरकार की पीएचई वर्करों ने निकाली शव यात्रा
जागरण संवाददाता कठुआ पिछले 9 महीने से लगातार पीएचई विभाग के डेलीवेजरों ने उनकी मागों के
जागरण संवाददाता, कठुआ : पिछले 9 महीने से लगातार पीएचई विभाग के डेलीवेजरों ने उनकी मागों के प्रति लगातार सरकारी अनदेखी को लेकर रोष स्वरूप वीरवार शहर में राज्य सरकार का पुतला जलाकर शव यात्रा निकाली। इस अनोखे रोष प्रदर्शन को देख कर मार्ग पर जा रहे लोगों की नजरें एकाएक टिक गई। करीब एक किलोमीटर लंबी अनोखी शव यात्रा लोगों में चर्चा का विषय बनी रही।
डीसी ऑफिस कार्यालय के मुख्य गेट के सामने सरकार का पुतला बनाकर बीच सड़क में दाह संस्कार किया गया। इसके चलते करीब 15 मिनट तक शहर के कॉलेज रोड पर यातायात भी एक तरफा प्रभावित रहा। पीएचई विभाग के डेलीवेजरो ने अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दोपहर को 12 बजे विभाग के कार्यकारी अभियंता के कार्यालय से राज्य सरकार की पुतला बनाकर शव यात्रा शुरू की। जो कॉलेज रोड से होती हुई डीसी कार्यालय के मुख्य गेट में जाकर संपन्न हुई। वहा पर विभाग के कर्मियों ने सरकार का पुतला जलाकर बीच सड़क में रहकर उसका दाह संस्कार किया और ये भी चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इसके बाद भी उनकी जायज मागों को अनसुना किया वे और उग्र प्रदर्शन करेंगे। इसलिए सरकार अब उनकी लंबित और जायज माग को पूरा करें क्योंकि अब सब्र का प्याला भर चुका है। पिछले दो दशकों से विभाग के लिए अस्थायी रूप से अपनी सेवा देते आ रहे हैं जबकि समय-समय पर विभाग के पास कर्मियों को स्थायी करने का भी प्रावधान है लेकिन जहा उनके साथ अन्याय किया गया और अभी तक उन्हें स्थायी नहीं किया गया जोकि उनके साथ शोषण है और तो और अब पिछले 5 साल का वेतन भी जारी नहीं किया है, जबकि वो इस मांग को लेकर पिछले 9 महीने से काम छोड़ हड़ताल पर हैं लेकिन उसके बाद भी सरकार अधिकारी उनकी माग को पूरी तरह से अनदेखा किए हैं। ऐसे में उनके लिए जहां सरकार नाम की कोई चीज नहीं है।
इसलिए उन्हें मजबूर होकर राज्य सरकार का पुतला बनाकर शव यात्रा निकालनी पड़ी है।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे डेलीवेजर्स यूनियन के प्रधान शिवनारायण सिंह ने कहा कि पिछले 8 महीने से वो लगातार अपनी मागों के प्रति आवाज उठा रहे है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसी के चलते उन्हें मजबूर होकर ये कदम उठाना पड़ा है। शव की जगह पुतला उठाकर निकाली गई यात्रा में राम नाम सत्य बोलते देख राहगीरों के कदम भी रुक गए।