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लाखों रुपये खर्च कर बनाए सामुदायिक भवन, देखरेख बिना होने लगे खंडहर

ऑपरेशन सद्भावना के तहत सेना ने वर्ष 2000 में हीरानगर सेक्टर के मांडयाल गंगूचक चकभगवाना सदवाल जरांई आदि गांवों में लाखों रुपये खर्च कर सामुदायिक भवनों का निर्माण करवाया था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 10:57 AM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 10:57 AM (IST)
लाखों रुपये खर्च कर बनाए सामुदायिक भवन, देखरेख बिना होने लगे खंडहर
लाखों रुपये खर्च कर बनाए सामुदायिक भवन, देखरेख बिना होने लगे खंडहर

संवाद सहयोगी, हीरानगर : सीमांत लोगों की सुविधा के लिए विभिन्न गांवों में बनाए सामुदायिक भवन आज देखरेख के अभाव में जर्जर हालत में है। इनकी देखरेख और रखरखाव के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे, जिस कारण यह खंडहर में तबदील होते नजर आ रहे हैं। ऑपरेशन सद्भावना के तहत सेना ने वर्ष 2000 में हीरानगर सेक्टर के मांडयाल, गंगूचक, चकभगवाना, सदवाल, जरांई आदि गांवों में लाखों रुपये खर्च कर सामुदायिक भवनों का निर्माण करवाया था। इस सामुदायिक भवनों में कंप्यूटर, सिलाई-कढ़ाई केंद्र खोल कर सिविल प्रशासन के सुपुर्द किए थे, ताकि यहां के युवाओं को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा जा सके।

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शुरूआत में तो यह केंद्र ठीक-ठाक चलते रहे, लेकिन उसके बाद किसी ने इनकी सुध नहीं ली। वर्तमान में हालत यह है कि अब इमारतें भी बिना देखरेख के क्षतिग्रस्त हो रही है और कंप्यूटर सहित अन्य सामान भी धूल फांक रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन भवनों के निर्माण पर लाखों रुपये खर्च हुए हैं, इनकी मरम्मत करवा कर इनमें दोबारा कंप्यूटर, सिलाई-कढ़ाई के केंद्र खोले जाएं, ताकि सीमांत युवा प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन सकें।

स्थानीय युवक सुशील कुमार का कहना है कि सीमांत क्षेत्र में पांच किलोमीटर के दायरे में कोई कम्प्यूटर सेंटर नहीं। युवाओं को कंप्यूटर का प्रशिक्षण लेने के लिए भी दूसरे कस्बों में जाना पड़ता है। अगर सेना द्वारा गांवों में बनाए गए भवनों में कंप्यूटर सेंटर खोले जाएं तो बच्चे को प्रशिक्षण लेने में आसानी होगी। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

वहीं, चक दुलमा के सरपंच विनय कुमार ने कहा कि सरकार हर साल सीमांत विकास योजना के तहत युवाओं को कई कोर्स करवाती है। इसके लिए उन्हें कठुआ जाना पड़ता है। आने-जाने में ही हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं। जब सेना ने बनाए भवनों में प्रशिक्षण केंद्र खोलने चाहिए। इससे भवनों की भी संभाल होगी और युवाओं को भी सुविधा मिलेगी।

पानसर के नायब सरंपच कुलदीप राज कहते हैं कि सेना ने सीमांत लोगों के लिए गांवों में सामुदायिक भवन बनवाए थे मगर प्रशासन इनकी देखरेख नहीं कर सका। आज इनकी हालत काफी खस्ता है। सरकार को इनकी मुरम्मत के लिए विशेष फंड जारी कर प्रशिक्षण केंद्र खोलने चाहिए और देखरेख की जिम्मेदारी पंचायतों को सौंपनी चाहिए।

उधर, खंड विकास परिषद के चेयरमैन करण कुमार ने कहा कि अभी तक सामुदायिक भवन पंचायतों के सुपुर्द नहीं हैं। ब्लॉक में सेना या ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जितनी भी इमारतें बनवाई गई हैं, उनकी देखरेख की जाएगी। पंचायत घरों की इमारतों की मरम्मत के लिए संबंधित विभाग ने फंड जारी किया है। सरकार से समुदायिक भवनों में प्रशिक्षण केंद्र खोलने की मांग की जाएगी।


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