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पाक गोलीबारी से बचने के लिए सीमांत गांववासियों के लिए सुरक्षा ढाल साबित हुए बंकर

राकेश शर्मा कठुआ सीमा पार से पाकिस्तान की दो दशक से हीरानगर सीमांत क्षेत्र में जारी गो

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 01:02 AM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 01:02 AM (IST)
पाक गोलीबारी से बचने के लिए सीमांत गांववासियों के लिए सुरक्षा ढाल साबित हुए बंकर
पाक गोलीबारी से बचने के लिए सीमांत गांववासियों के लिए सुरक्षा ढाल साबित हुए बंकर

राकेश शर्मा, कठुआ

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सीमा पार से पाकिस्तान की दो दशक से हीरानगर सीमांत क्षेत्र में जारी गोलीबारी से लोगों को बचाने के लिए सरकार द्वारा गत वर्ष से बनाए जा रहे बंकर ग्रामीणों की सुरक्षा ढाल बन रहे हैं। भले ही अब गोलीबारी का क्रम जारी है, लोगों में दशहत रहती है, लेकिन बंकर उनकी जान की सुरक्षा में महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। सबसे अहम ग्रामीणों को अब अपने घरों में ही सुरक्षा मिलने लगी है। बंकर बनने के बाद ग्रामीणों को अब गोलीबारी से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों की ओर बार पलायन से छुटकारा मिल गया है। इसी के चलते अब बंकर बनने के बाद ग्रामीणों ने गोलीबारी तेज होने पर भी सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन नहीं किया है।

ग्रामीण अब शाम ढलते ही गोलीबारी से बचने के लिए बंकरों में जाकर छिप जाते हैं और वहीं सुरक्षित रात बिताते हैं। सुबह जब गोलीबारी का सिलसिला बंद हो जाता है तो बाहर निकल कर अपनी दिनचर्या में जुट जाते हैं। ग्रामीण अब बंकरों में सुविधाएं बढ़ाए जाने की मांग करने लगे है। प्रशासन उनकी इस मांग को जायज मान कर सरकार से सुविधाएं देने के लिए मामला उठा रहा है। जिससे बंकरों में ही सभी सुविधाएं मिले, जो एक घर के कमरे में मिलती हैं हालांकि उनके मुख्य पशुधन को अभी भी गोलीबारी से खतरा बना हुआ है। ग्रामीण उनके लिए भी सुरक्षित शेड बनाने की मांग कर रहे हैं। जिससे आंगन में या सर्दी के मौसम में अंदर बंधे पशुओं को भी गोलीबारी से बचाया जा सके, क्योंकि कृषि से जुड़े ग्रामीणों का पशु मुख्य धन है। इसलिए वो खुद तो बंकर बनने के बाद अपनी जान बचा रहे हैं,लेकिन अपने पशुओं को भी बचाना चाहते हैं।

प्रशासन उनकी इस मांग को सरकार तक पहुंचाने के लिए प्रयास कर रहा है। प्रशासन भी मानता है कि पशुओं को भी पाक गोलीबारी से बचाने के लिए उपाय होने चाहिए।

बता दें कि जब सीमा पर बंकर नहीं थे तो हर साल 45 के करीब सीमांत गांवों के ग्रामीणों को गोलीबारी से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों पर परिवार सहित पलायन करना पड़ता था और उन्हें कई वर्ष तक हर साल शरणार्थी बनकर रहना पड़ता था। दर्जनों ग्रामीण गोलीबारी से दिव्यांग हो चुके हैं और कुछ तो गोलाबारी कर शिकार भी दो दशकों में हो चुके हैं।

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हीरानगर सीमांत ग्रामीणों के लिए पाक गोलीबारी मुसीबत बनी है,लेकिन जब से बंकर बने हैं,तब से ग्रामीणों को अपने घर में ही गोलीबारी से सुरक्षा मिलने लगी है। अभी तक कुल 1320 बंकर बन चुके हैं और 849 बनने हैं। जिनका काम भी तेजी से जारी है। इसके अलावा 87 समुदायिक बंकर भी बने चुके हैं। जिससे ग्रामीण अब गोलीबारी की आड़ में भी सुरक्षित हैं,पशुओं के लिए अभी खतरा बना है, सरकार से इस समस्या को भी उठाएंगे।

ओपी भगत, डीसी कठुआ


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