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रणजीत सागर में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध, मछुआरों की हालत दयनीय

रंजीत सागर झील में मछली पकड़ने पर लगे प्रतिबंध के कारण मछुआरों की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। तीन महीनों से घर बैठे मछुआरों को खाने के लाले पड़ना शुरू हो गए हैं। अगर जल्द जल्द मछली पकड़ने के टेंडर नहीं लगे तो मछुआरों को दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 07:16 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 07:16 AM (IST)
रणजीत सागर में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध, मछुआरों की हालत दयनीय
रणजीत सागर में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध, मछुआरों की हालत दयनीय

संवाद सहयोगी, बसोहली : रंजीत सागर झील में मछली पकड़ने पर लगे प्रतिबंध के कारण मछुआरों की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। तीन महीनों से घर बैठे मछुआरों को खाने के लाले पड़ना शुरू हो गए हैं। अगर जल्द जल्द मछली पकड़ने के टेंडर नहीं लगे तो मछुआरों को दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो जाएगा।

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बता दें कि पिछले साल टेंडर समाप्त होने के बाद रणजीत सागर झील में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया, लेकिन एक साल के बाद भी विभाग की ओर नया टेंडर नहीं निकाला गया। ऐसे में मछुआरों की जीविका ही बंद हो गई है।

रणजीत सागर झील में मछली पकड़ने वाले मछुआरों का कहना है कि आनलाइन टेंडर हुए तो एक ठेकेदार ने 94 लाख की बोली लगाई। उसके बाद उसने कोरोना का हवाला देकर अपना टेंडर समाप्त करवा लिया। दूसरी बार बसोहली के पुराने ठेकेदार ने 74 लाख का टेंडर लगाया था, उसे काम देने के लिए मछुआरों ने गुहार लगाई, मगर कोई हल नहीं हुआ। केवल आश्वासनों का ही दौर चल रहा है। बिना काम के बैठे मछुआरों ने बताया कि उनका मछली पकड़ने का जाल खराब हो रहा है, जिसे बनाने में लाख रुपये तक खर्च आता है। नाव की लकड़ी पानी में सड़ रही है और परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है।

मछुआरों का कहना था कि मौजूदा समय में त्योहारों का सीजन चल रहा है। ऐसे वो अपने बच्चों को क्या देंगे। अब तो दुकानदार भी उधार देना बंद करने लगे हैं। ऐसे में हम करें तो क्या। कई मछुआरों ने लोन लिए हैं। मछुआरों ने विभागीय अधिकारियों से मांग की है कि जब तक टेंडर नहीं होता तब तक अतिरिक्त प्रबंध किए जाएं, ताकि वो अपने परिवार का खर्च चला सकें। कोरोना काल से मछुआरे घर में बैठे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। उन्होंने बताया कि बसोहली में करीब 40 परिवार मछली पकड़ने के काम करते हैं। इसके अलावा भी करीब 40 और परिवार हैं जो मछली पकड़ने के काम पर ही निर्भर हैं, लेकिन विभागीय अनदेखी के कारण मछुआरों की हालत खराब हो गई है। उन्होंने विभाग से मछली पकड़ने का टेंडर जल्द लगाने की मांग की है, ताकि मछुआरों को भी रोजी-रोटी मिल सके।


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