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Lok Sabha Election 2019 : बर्फीले पहाड़ों में सुरंग खोलेगी राजनीतिक दलों के लिए द्वार, जानिए कैसे?

जोजिला टनल श्रीनगर को कारिगल और लेह के साथ सीधा जोड़ता है। एक बार इसका निर्माण हो जाने से यह क्षेत्र बारह महीने तक श्रीनगर व देश के अन्य हिस्सों से जुड़ा रहेगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 11:14 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 10:09 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : बर्फीले पहाड़ों में सुरंग खोलेगी राजनीतिक दलों के लिए द्वार, जानिए कैसे?
Lok Sabha Election 2019 : बर्फीले पहाड़ों में सुरंग खोलेगी राजनीतिक दलों के लिए द्वार, जानिए कैसे?

जम्मू, रोहित जंडियाल। सालभर बर्फ से ढके रहने वाले जोजिला दर्रे में चौदह किलोमीटर लंबा टनल बनाना सरकार के लिए जहां एक चुनौती बना हुआ है। वहीं राजनीतिक दलों के लिए भी चुनावों में यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे पूरा कर पाना उनके लिए भी आसान नहीं है। बार-बार टेंडर करने के बावजूद इस टनल को बनाने के लिए कंपनियां सामने नहीं आती है। यही कारण है कि इस बार के चुनावों में भी जोजिला टनल एक अहमद मुद्दा बना हुआ है।

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जोजिला टनल श्रीनगर को कारिगल और लेह के साथ सीधा जोड़ता है। एक बार इसका निर्माण हो जाने से यह क्षेत्र बारह महीने तक श्रीनगर व देश के अन्य हिस्सों से जुड़ा रहेगा। 17 अक्टूबर 2013 को तत्कालीन केंद्र सरकार ने श्रीनगर-कारगिल-लेह मार्ग पर जोजिला दर्रे में 14.2 किलोमीटर लंबे टनल के निर्माण को मंजूरी दी थी। इस प्रोजेक्ट पर तब 9090 करोड़ रुपये खर्च होने थे। अप्रैल 2013 के बाद इसके निर्माण के लिए चार बार ग्लोबल टेंडर हुए लेकिन कंपनियां चुनौतीपूर्ण हालात को देखते हुए आगे नहीं आईं। दिसंबर 2015 में 1050 करोड़ रुपयों से इस प्रोजेक्ट का निर्माण सरकार ने आइआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को दिया था। उस समय एक ही टेंडर आया था, लेकिन इस मामले में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन के दिशा निर्देशों का उल्लंघन होने के आरोप लगे और टेंडर रद कर दिया गया।

सरकार ने इसमें टेंडर की प्रक्रिया को भी बदला ताकि अधिक से अधिक कंपनियां इसमें भाग ले सकें। इसमें फाइनेंशियल बिड और टेक्निकल बिड को एक साथ किया गया, मगर फिर भी कोई लाभ नहीं हुआ। तीन जनवरी 2018 को आर्थिक मामलेां की कैबिनेट समित कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में फिर से इस टनल के निर्माण को मंजूरी दी। पिछले साल मई महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल के निर्माण के लिए नींव पत्थर भी रखा। दावा किया गया था कि दो तरफा यातायात की सुविधा वाली इस सुरंग का काम सात साल में पूरा हो जाएगा। मगर एक बार फिर से कंपनी ने इस सुरंग पर काम करना बंद कर दिया। इससे सुरंग बनने की उम्मीदें धुंधली हो गई। अब सरकार ने पिछले महीने सुरंग के निर्माण के लिए फिर से टेंडर बुलाए हैं।

वित्तीय से रद हुआ कांट्रेक्ट

सरकार ने जोजिला टनल के निर्माण के लिए साल 2017 में इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज को 6809 करोड़ रुपयों का कांट्रेक्ट दिया था लेकिन कंपनी को वित्तिय समस्याएं आने के कारण इस साल यह कांट्रेक्ट रद कर दिया गया। नेशनल हाइवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन ने फिर से टेंडर जारी किया है।

साढ़े तीन घंटे का रास्ता पंद्रह मिनट में

यह सुरंग एशिया की सबसे लंबी सड़क रास्ते वाली सुरंग होगी। अगर इसका निर्माण होता है तो इससे श्रीनगर-कारगिल और लेह बार महीने देश से जुड़े रहेंगे और साढ़े तीन घंटे का रास्ता महज पंद्रह मिनट में पूरा हो जाएगा। इस सुरंग को बनाने में सात साल लग सकते हैं। यह तब होगा जब कोई कंपनी इसके निर्माण के लिए तैयार होगी।

सामरिक दृष्टि से अहम

जोजिला दर्रे पर टनल का निर्माण सामरिक दृष्टि से काफी अहम है। लद्दाख देश के लिए काफी महत्वपूर्ण है। देश की सरहद एक ओर पाकिस्तान से और दूसरी और चीन से मिलती है। सेना और अर्धसैनिक बल के हजारों जवान शून्य से तीस डिग्री कम तापमान में देश की सरहदों की रक्षा के लिए तैनात हैं। ऐसे में कश्मीर और लेह को सालभर खुला रखना सरकार के लिए भी प्राथमिकता है। बर्फबारी के मौसम में हवाई मार्ग से पहुंचाने में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। जोजिला दर्रे पर टनल बनने से यह मार्ग वर्षभर खुला रहेगा और इससे करोड़ों रुपये बचाए भी जा सकते हैं।

जाेजिला टनल अहम मुद्दा

राज्य के छह संसदीय क्षेत्रों में से लद्दाख ऐसी सीट है जहां पर हर बार सीट जीतने के लिए राजनीतिक दलों को काफी पसीना बहाना पड़ता है। इस क्षेत्र में लोगों के लिए राष्ट्रीय मुद्दे कम ही मायने रखते हैं। यहां पर लोग स्थानीय मुद्दों पर उम्मीदवारों का अधिक समर्थन करते हैं। यही कारण है कि इस बार भी जोजिला टनल का निर्माण एक अहम मुद्दा है। इसके निर्माण से यहां के लोगों को काफी लाभ होगा। यह एक ऐसा मुद्दा है जो कि पूरे संसदीय क्षेत्र को प्रभावित करता है। लेह, कारगिल के लोगों से बात करो तो देश के अन्य हिस्सों में क्या हो रहा है, इस पर उनका ध्यान नहीं है। उनका कहना है कि यहां पर जोजिला टनल उनकी जिंदगी को प्रभावित करता है, इसीलिए यह अहम है। अभी तक सरकारें कुछ खास नहीं कर पाई हैं।

जोजिला टनल पूरे लद्दाख के लिए अहम

जोजिला टनल पूरे लद्दाख के लिए अहम है। इस समय हालात यह हैं कि बर्फबारी के कारण सड़क से यह पूरो क्षेत्र कट जाता है। इस कारण कारगिल में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। पिछले साल इसके निर्माण के लिए नींव पत्थर जरूर रखा गया था मगर कंपनी इसका निर्माण नहीं कर पाई। अब इसका फिर से टेंडर हुआ है। अब देखना यह है कि इसका निर्माण कब होता है।

- फिरोज खान, सीईसी कारगिल

जल्द बनेगा जोजिला टनल

लद्दाख को हर सुविधा देने के लिए मोदी सरकार हमेशा ही वचनबद्ध रही है। प्रधानमंत्री ने जोजिला टनल के निर्माण के लिए पिछले साल ही नींव पत्थर रखा था। बेशक इसका निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं हो पाया है मगर उम्मीद है कि नई कंपनी इस अहम प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए जल्दी ही सामने आएगी और इस पूरे क्षेत्र को बारह महीने देश के साथ जोड़ा रखा जाएगा।

- विक्रम रंधावा, भाजपा के लद्दाख मामलों के प्रभारी

सरकार रही विफल

जोजिला टनल के निर्माण को यूपीए सरकार ने मंजूरी दी थी। इसके निर्माण के लिए टेंडर भी आमंत्रित किए थे। पांच साल से वर्तमान केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए कोई काम नहीं किया। सरकार नींव पत्थर रखने के अलावा सामारिक दृष्टि से अहम इस सुरंग के निर्माण के लिए कभी भी गंभीर नजर नहीं आई।

- रविंद्र शर्मा, मुख्य प्रवक्ता, प्रदेश कांग्रेस।


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