जम्मू कश्मीर पुलिस की बार्डर बटालियन की भर्ती में स्टेट सब्जेक्ट मांगने से खफा पश्चिम पाकिस्तान से आए युवा
जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरियों में स्टेट सब्जेक्ट लिए जाने का मुद्दा फिर उठा है। मामला जम्मू कश्मीर पुलिस की बार्डर बटालियन में भर्ती का है। इसमें भर्ती के लिए आवेदकों से स्टेट सब्जेक्ट मांगा जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू: जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरियों में स्टेट सब्जेक्ट लिए जाने का मुद्दा फिर उठा है। मामला जम्मू कश्मीर पुलिस की बार्डर बटालियन में भर्ती का है। इसमें भर्ती के लिए आवेदकों से स्टेट सब्जेक्ट मांगा जा रहा है। इसी से अभ्यर्थी नाखुश हैं और अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद भी यह व्यवस्था बनाए रखने का विरोध हो रहा है। खास तौर पर पश्चिमी पाकिस्तान से आए लोगों ने इस पर आपत्ति जता रहे हैं। हालांकि, जम्मू कश्मीर लोक सेवा आयोग और जम्मू कश्मीर राज्य सेवा चयन बोर्ड द्वारा विभिन्न विभागों में पदों की भर्ती प्रक्रिया की सभी अधिसूचनाओं में डोमिसाइल ही मांगा जा रहा है।
दरअसल, पुलिस की बार्डर बटालियन में भर्ती के लिए अधिसूचना गत वर्ष शुरुआत के महीने में जारी की गई थी। स्टेट सब्जेक्ट की जगह डोमिसाइल प्रमाण पत्र का फैसला सरकार ने उक्त अधिसूचना के काफी बाद जारी हुई थी। बार्डर बटालियन में भर्ती की अधिसूचना में अभ्यर्थियों से स्टेट सब्जेक्ट मांगा गया था, जिसे ही अब लागू रखा गया है। जम्मू कश्मीर बार्डर पुलिस की बटालियन में भर्ती मार्च 2020 में शुरू की गई थी। पुंछ, राजौरी, कठुआ में भर्ती तो हो गई थी, लेकिन कोरोना संक्रमण से उपजे हालात के कारण जम्मू और सांबा में भर्ती नहीं हो पाई। इसी भर्ती को अब आगे बढ़ाया गया है। दिसंबर 2020 में फिर से भर्ती का काम शुरू हुआ था। अब जब दस्तावेज मांगने की बारी आई तो अन्य जिलों में हुई भर्ती की तरह ही अधिसूचना के अनुसार स्टेट सब्जेक्ट ही मांगा गया है। पश्चिम पाकिस्तान से परिवारों के युवा इसी का विरोध कर रहे हैं।
वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी एक्शन कमेटी 1947 के प्रधान लब्बा राम गांधी का कहना है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद भी बार्डर बटालियन की भर्ती में स्टेट सब्जेक्ट मांगा जा रहा है।यह मामला पीएमओ में राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह के समक्ष उठा चुके हैं। जम्मू के मंडलायुक्त संजीव वर्मा और जम्मू कश्मीर पुलिस भर्ती बोर्ड के चेयरमैन, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के संज्ञान में भी इसे लाया गया है। इसके बावजूद इस मामले में अभी तक कुछ नहीं हुआ है। यह बताया गया कि अधिसूचना में स्टेट सब्जेक्ट मांगा गया है, इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। इसमें तो सरकार को ही बदलाव करने का आदेश जारी कर सकती है। उपराज्यपाल के समक्ष उठेगा मसला
लब्बा राम गांधी ने कहा कि जब स्टेट सब्जेक्ट समाप्त हो चुका है और नौकरियों में डोमिसाइल लागू हो चुका है तो फिर पुलिस की बार्डर बटालियन में स्टेट सब्जेक्ट क्यों मांगा जा रहा है। पश्चिमी पाकिस्तान से आए लोगों के साथ यह भेदभाव है। उन्होंने कहा कि इस मामले को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सामने उठाया जाएगा। हमारे युवाओं के पास डोमिसाइल हैं। जब सरकार ने डोमिसाइल एक्ट को लागू कर दिया है तो फिर स्टेट सब्जेक्ट मांगना नाइंसाफी हैं। हमने गत दिवस भी प्रदर्शन किया था। कुछ दिन और इंतजार करने के बाद फिर से विरोध प्रदर्शन करेंगे।
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यह था स्टेट सब्जेक्ट
स्टेट सब्जेक्ट एक ऐसा दस्तावेज था जो जम्मू कश्मीर के निवासियों की स्थायी नागरिकता को प्रमाणित करता था। इसी स्थायी नागरिकता प्रमाणपत्र (पीआरसी) के आधार पर जम्मू कश्मीर में नौकरियों के लिए आवेदन किया जा सकता था। इसे संबंधित जिलों में जिला उपायुक्त के कार्यालयों और तहसीलों में बनाया जाता था। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही जम्मू कश्मीर में स्टेट सब्जेक्ट के बनाने पर रोक लग गई थी। इस समय जम्मू कश्मीर में स्टेट सब्जेक्ट नहीं बनाए जा रहे हैं। इसकी जगह अब डोमिसाइल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है।