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कश्मीर सियासी मसला, समग्र वार्ता से ही सुलझेगा : येचुरी

मा‌र्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि केंद्र सरकार को कश्मीर मसले के हल के लिए अपना रोडमैप सार्वजनिक करना चाहिए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 20 Mar 2018 12:38 PM (IST)Updated: Tue, 20 Mar 2018 12:38 PM (IST)
कश्मीर सियासी मसला, समग्र वार्ता से ही सुलझेगा : येचुरी
कश्मीर सियासी मसला, समग्र वार्ता से ही सुलझेगा : येचुरी

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। मा‌र्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए सभी संबधित पक्षों से समग्र राजनीतिक वार्ता प्रक्रिया शुरू करने पर जोर देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर तभी भारत का अविभाज्य हिस्सा बनेगा, जब अनुच्छेद 370 के सभी प्रावधानों को उनके मूल रूप में लागू किया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को कश्मीर मसले के हल के लिए अपना रोडमैप सार्वजनिक करना चाहिए। आज यहां एसके आइसीसी में शुरू हुए प्रदेश माकपा परिषद के दो दिवसीय 11वें सम्मेलन में भाग लेने आए येचुरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कश्मीर सियासी मसला है। यह पाकिस्तान समेत सभी संबधित पक्षों से बिना शर्त समग्र सियासी बातचीत की प्रक्रिया से ही हल होगा।

बातचीत लायक माहौल बनाने के लिए केंद्र को अफस्पा समेत सभी काले कानूनों को हटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के सभी प्रावधान को पूरी तरह बहाल करने के बाद ही जम्मू कश्मीर को भारत का सही मायनों में अटूट अंग बनाया जा सकेगा। कश्मीर भारत का ताज है और इसकी सुरक्षा प्रत्येक भारतीय की जिम्मेदारी है। अगर इस ताज को कोई समस्या है तो यह पूरे देश की समस्या है।

हम संसद के भीतर और बाहर, कश्मीर समस्या को हल करने के लिए सभी संबधित पक्षों से बातचीत पर जोर दे रहे हैं। 370 को बनाए रखने पर जोर दे रहे हैं।येचुरी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार सबसे बड़ा मजाक है। केंद्र में सत्तासीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार कश्मीर मसले को ताकत से हल करना चाहती है। मैं संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य की हैसियत से दो बार कश्मीर आ चुका हूं। पहली बार यूपीए के दौर में आया और दूसरी बार एनडीए के दौर में।

केंद्रीय वार्ताकार हों या कोई दूसरा अन्य प्रतिनिधिमंडल किसी की भी सिफारिशों को लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री राजनाथ सिह के नेतृत्व में वर्ष 2016 में कश्मीर का दौरा करने के बाद जब हम दिल्ली लौटे थे तो सभी ने विचार-विमर्श में माना था कि कश्मीर मसला सिर्फ कानून व्यवस्था के तरीके से नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रक्रिया के जरिए हल होगा। लेकिन आज तक इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया गया। पैलेट गन पर रोक की बात हुई थी, गृहमंत्री ने भी यकीन दिलाया था।

लेकिन यह आज भी इस्तेमाल में है।उन्होंने कहा कि आज हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किसी तीसरे मुल्क में पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मुलाकात कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार संसद में पाकिस्तान से किसी तरह की वार्ता से इन्कार करती है। उन्होंने कहा कि आज जम्मू कश्मीर में एलओसी और बार्डर के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। यह खून खराबा बंद होना चाहिए। 


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