हुíरयत नेता शाहिद की बेटियों ने पीएम से लगाई न्याय की गुहार
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तानी फं¨डग
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तानी फं¨डग के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा गिरफ्तार हुíरयत नेता शाहिद उल इस्लाम की बेटियों ने बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी को खत लिखकर न्याय की गुहार लगाई है।
विदित हो कि शाहिद उदारवादी हुíरयत के चेयरमैन मीरवाइज के प्रवक्ता और करीबी साथी हैं। फिलहाल वह नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
शाहिद की दो बेटियां सुजैन और सुनदास शाह हैं, जो श्रीनगर के राजबाग में स्थित कान्वेंट स्कूल में पढ़ रही हैं। प्रधानमंत्री को लिखे खत में सुजैन और उसकी छोटी बहन ने बताया है कि लगभग 11 माह तक अनाथ की तरह रहने के बाद हम दो बहनें अपने पिता से नई दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में मिली। उनकी हालत देखकर दुखी हुई हैं। वह बहुत बीमार और कमजोर हैं। उस बंद कमरे में जहां सांस लेने में मुश्किल आ रही थी, एक इंटरकॉम टेलीफोन के जरिए ही उनसे बात कर सकीं। हमें भारत, पाकिस्तान और कश्मीर की सियासत के बारे में नहीं मालूम। लेकिन तिहाड़ जेल की यात्रा ने हमें कुलभूषण जाधव की उसकी बूढ़ी मां और पत्नी के साथ पाकिस्तान की जेल में हुई मुलाकात की याद दिला दी। दिल्ली की 45 डिग्री की गर्मी के बीच 30 मिनट तक हमारी अपने पिता से टेलीफोन पर बात हुई। हमें पता चला कि वह वहां जमीन पर सोते हैं। उन्होंने तिहाड़ जेल की छोटी सी काल कोठरी में में नशेड़ी और पेशेवर मुजरिमों के बीच रखा गया है। जो कभी भी उनकी जान के लिए खतरा बन सकते हैं। हमारी बातचीत हो रही थी कि अचानक कमरे में रोशनी चली गई और टेलीफोन भी कट गया। इतने में मुलाकात का समय समाप्त होने की जोरदार आवाज हुई। हमें पिता को अलविदा कहने का भी मौका नहीं मिला।
शाहिद की बेटियों ने प्रधानमंत्री के नाम अपने खत में लिखा है कि हम दुआ करते हैं कि कभी किसी बेटी को अपने पिता से जेल में न मिलना न पड़े। हमारे पिता एक जाने माने सियासी नेता हैं। वह कश्मीर मसले के समाधान के लिए हमेशा बातचीत के पक्षधर हैं। इस विचारधारा के कारण उन पर दो बार अज्ञात बंदूकधारियों ने हमला भी किया है। जेल में बंद एक बीमार पिता की हम निसहाय बेटियां भारत और पाकिस्तान की सरकारों से अपील करती हैं कि सियासी कैदियों से जेलों में अमानवीय व्यवहार न हो।
शाहिद की बेटियों ने अपने खत के अंत में लिखा है कि एक ऐसे मुल्क में जहां प्रधानमंत्री बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देते हैं, वहां हम जैसी बेटियां अपनी पढ़ाई ठीक से जारी रखने में असमर्थ हैं। पिता के खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ है। इसलिए हम आपसे अपने पिता के मामले मे तत्काल हस्तक्षेप और न्याय की उम्मीद करती हैं।