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पीरियड्स की हटी चिंता, स्कूल में लगी पैड वेंडिंग मशीन

इस मशीन के लगने के बाद छात्राओं को माहवारी के दौरान सेनेटरी पैड की समस्या से निजात तो मिली ही है, स्कूल में इस पर खुलकर चर्चा भी होने लगी है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 10:22 AM (IST)Updated: Thu, 19 Apr 2018 02:01 PM (IST)
पीरियड्स की हटी चिंता, स्कूल में लगी पैड वेंडिंग मशीन
पीरियड्स की हटी चिंता, स्कूल में लगी पैड वेंडिंग मशीन

जम्मू, अंचल सिंह। पैडमैन फिल्म के बाद जहां महिलाओं के मासिक धर्म पर बात होने लगी है तो वहीं संस्थाएं, स्कूल भी आगे आने लगे हैं। इसी कड़ी में जम्मू-कश्मीर में पहल करते हुए कारमल कान्वेंट हायर सेकेंडरी स्कूल ने छात्राओं के लिए पैड वेंडिंग मशीन लगाई है।

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इस मशीन के लगने के बाद छात्राओं को माहवारी के दौरान सेनेटरी पैड की समस्या से निजात तो मिली ही है, स्कूल में इस पर खुलकर चर्चा भी होने लगी है। स्कूल में लगी यह मशीन बच्चियों में आत्मविश्वास जगाने का काम कर रही है। मासिक धर्म के दौरान गुपचुप, सहमी सी रहने वाली स्कूल की छात्राएं अब खुलकर शिक्षकों व सहपाठियों से बातचीत कर रही हैं। स्कूल प्रबंधन ने यह मौका उन्हें प्रदान किया है। अक्षय कुमार की पैडमैन फिल्म के बाद से समाज में महिलाओं के मासिक धर्म को लेकर विचारधारा में बदलाव का ही नतीजा है कि जम्मू-कश्मीर में भी अब इसे अहमियत दी जाने लगी है।

कारमल स्कूल प्रबंधन ने स्कूल में सेनेटरी पैड वें¨डग मशीन लगाने के अलावा इसके निस्तारण के लिए भी मशीन लगा दी है। इससे स्कूल में बच्चियों को पैड ठिकाने लगाने अथवा छिपा कर रखने की समस्या से भी निजात मिल गई है। प्रबंधन ने बच्चियों को इस विषय पर शर्म न करते हुए खुलकर चर्चा करने को कहा है। पहले बच्चियां पीरियड्स के दौरान कई बार स्कूल में गैर हाजिर रहती थीं। कई शर्म करती थीं। बहुत सी कक्षा से बाहर आने से भी कतराती थीं। घर से पैड बैग में डालकर लाने को मजबूर थीं। भूलवश कभी पैड बैग में नहीं रहा तो पीरियड्स के चलते कई बार छुट्टी भी लेने को मजबूर हो जाती थीं। इन सारी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए स्कूल प्रबंधन ने यह पहल की और स्कूल में ही सस्ते में पैड उपलब्ध करवाने के लिए मशीन लगा दी है।

छात्राएं बताती हैं कि स्कूल में ऐसी मशीन से काफी सहूलियत हुई है। अब घर से पैड लाने की जरूरत नहीं रही। बल्कि दस रुपये में तीन पैड मिल रहे हैं। मार्केट में इतने सस्ते पैड नहीं मिलते। स्कूल की छात्राएं पैड मशीन लगने से खासी उत्साहित हैं और सभी स्कूलों में ऐसी मशीने लगाने का सुझाव दे रही हैं।

कारमल पहला ऐसा स्कूल सामने आया है, जिसने लड़कियों के लिए यह पहल की है। सवा तीन रुपये में एक पैड सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन दस रुपये में तीन पैड उपलब्ध करवाती है। छात्रा को दस रुपये के सिक्के इस मशीन में डालने होते हैं। चाहे तो दस रुपये का एक सिक्का हो या फिर अन्य सिक्के मिलाकर दस रुपये बने। स्कूल में एक किनारे लगाई गई इस मशीन से पैड लेने के लिए कोई रोक-टोक नहीं है। कोई भी, कभी भी दस रुपये के सिक्के डाल सेनेटरी पैड हासिल कर सकता है। इतना ही नहीं, छात्राएं इन पैड को घर भी लेकर जा सकती हैं। स्कूल के दौरान छात्राएं पैड बदल कर डस्टबिन में डालती हैं। इन पैड्स को एक अन्य मशीन के जरिये ठिकाने लगाया जाता है। चूंकि इस मशीन को हीटर रहता है तो इसे दिन में एक-दो बार ही चलाया जाता है।

महावारी शुरू से ही ऐसा विषय रहा है, जिस पर कभी खुलकर बात नहीं होती। घरों में भी मां ही बच्ची के साथ थोड़ी बहुत चर्चा करती थी। अब बदलाव आने लगा है। बेशक पैडमैन फिल्म ने भी लोगों में जागरूकता लाना शुरू की है। अब समाज में इस विषय पर चर्चा हो रही है। स्कूल में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाने के बाद से हम खुद भी काफी फर्क महसूस कर रहे हैं। छात्राओं में काफी आत्मविश्वास जगा है।

जम्मू के कारमल कान्वेंट स्कूल प्रिसंंपल मारिया स्वाति  कहती है कि, अब स्कूल में बेटियों को मासिक धर्म के दौरान कभी परेशानी नहीं होती। बिना झिझक इस पर बात हो रही है। छात्राएं दस रुपये डालकर मशीन से तीन पैड ले रही हैं। समय की जरूरत है। बच्चियों को भी पूर्ण अधिकार हैं। 


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