महिला शक्ति बना रही सुरक्षा कवच, जम्मू कश्मीर में साढ़े नौ लाख से अधिक बना चुकी हैं मास्क
यह महिलाएं नौ लाख 73 हजार मास्क बना चुकी हैं। कश्मीर संभाग में पांच लाख 63 हजार और जम्मू संभाग में चार लाख से अधिक मास्क बने हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में कोरोना मामले आने के बाद लोगों में दहशत फैल गई। हर कोई मास्क और सैनिटाइजर खरीदने के लिए बाजार में दौड़ा। आलम यह हुआ कि दुकानों में मास्क खत्म हो गए। कुछ ने कालाबाजारी शुरू कर दी। ऐसे में इस कमी को दूर करने के लिए महिलाएं आगे आईं। उन्होंने सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस चुनौती को स्वीकार किया। अब तक नौ लाख मास्क बना चुकी हैं। यह मास्क कोरेाना संक्रमण को रोकने के लिए कवच का काम कर रहे हैं।
ये महिलाएं जम्मू कश्मीर स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन के साथ जुड़ी हुई हैं। इन्होंने अपने सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाए हुए हैं। कोरोना को फैलने से पहले यह महिलाएं बैग, कमीजें, स्कूली वर्दियों की सिलाई करती थीं। लेकिन कोरोना की महामारी के बाद यह महिलाएं सरकार की सहायता कर रही हैं। कभी गरीबी की मार ङोल रही इन महिलाओं ने जम्मू कश्मीर स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन के तहत सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाए थे और अपनी सहायता की थी। अब यह महिलाएं पूरे समाज की सहायता कर रही हैं। यह महिलाएं जम्मू के दूरदराज के क्षेत्रों में मास्क बना रही हैं।
रामबन के गूल की नसीमा अख्तर दो बच्चों की मां हैं, लेकिन इन दिनों वह मास्क बनाने में व्यस्त है। उसका छोटा सा घर है लेकिन हौसला बड़ा है। उसका कहना है कि संक्रमण को रोकने में वह अपना पूरा योगदान देना चाहती है। पिछले एक महीने से नसीमा हर दिन पचास मास्क बनाती है। इस पूरे क्षेत्र में बने सेल्फ हेल्प ग्रुप में साठ महिलाएं शामिल हैं। अंजुमन सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी नसीमा का कहना है कि वे बाजार से मास्क बनाने के लिए सामान लाती है। उसने चार हजार रुपये का सामान लाया और फिर मास्क बनाना शुरू किया। उसे यह पता था कि बाजार में मास्क की कमी है। इसलिए उसने मास्क बनाने का फैसला किया। उसके ग्रुप में शामिल सभी साठ महिलाएं अपने घरों से मास्क बना रही हैं। अभी तक यह ग्रुप सात हजार मास्क बना चुका है। इस काम में जिला प्रशासन और ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग भी सहयोग दे रहा है।
रियासी जिले में अभी तक सेल्फ हेल्प ग्रुप 54,890 मास्क बना चुके हैं। इसी तरह कुपवाड़ा में खूबसूरत सेल्फ हेल्प ग्रुप की सदस्य आसिफा ने बताया कि वह दस किलोमीटर चल कर सेंटर तक पहुंचती है। अपने अन्य 25 सदस्यों के साथ हर दिन 900 से एक हजार मास्क बनाते हैं। मास्क बनाते समय शारीरिक दूरी का पूरा ख्याल रखा जाता है। लॉकडाउन के कारण गाड़ी नहीं मिलती, इसीलिए पैदल ही चलती हूं। यह मास्क बनने से न सिर्फ जम्मू कश्मीर में मास्क की कमी पूरी हो रही है बल्कि इससे हजारों महिलाओं को रोजगार भी मिल गया है। इस समय जम्मू कश्मीर में विभिन्न सेल्फ हेल्प ग्रुपों में करीब दो हजार महिलाएं काम कर रही हैं।
कमेटियों का गठन किया: अधिकारियों के अनुसार अभी तक यह महिलाएं नौ लाख 73 हजार मास्क बना चुकी हैं। कश्मीर संभाग में पांच लाख 63 हजार और जम्मू संभाग में चार लाख से अधिक मास्क बने हैं। गौरतलब है कि सरकार इन सेल्फ हेल्प ग्रुप से मास्क लेकर लोगों को सिर्फ दस रूपये में दे रही है। सभी को मास्क मिलें इसके लिए सरकार ने पंचायत स्तर पर कमेटियों का गठन किया है। इनमें सरपंचों को चेयरमैन बनाया गया है।