मधुमक्खी कालोनियों के लिए सुरक्षित नहीं यह मौसम, रखें इन बातों का ध्यान
अगर आप भी मधु मक्खी पालन के काम कर रहे हैं तो कालोनियों को शिफ्ट करने का समय आ गया है। ऐसा करके ही आप मधुमक्खी को बचा सकते हैं और वहीं शहद भी पा सकते हैं।
जम्मू, जेएनएन। जम्मू कश्मीर में उमदा शहद की पैदावार होती होती है। संभाग में ही दस हजार किसान लोग मधुमक्खी पालन के काम में जुटे हुए हैं। लेकिन वर्तमान समय में इन मधुमक्खी पालकों के लिए संकट से भरा समय है। क्योंकि इस समय हर ओर फूलों की एक दम से कमी हो जाती है। ऐसे में अधिकांश मधुमक्की पालक मधुमक्खियों की कालोनियों को अन्य प्रदेश में शिफ्ट करने में जुटे हुए हैं। अगर आप भी मधु मक्खी पालन के काम कर रहे हैं तो कालोनियों को शिफ्ट करने का समय आ गया है। ऐसा करके ही आप मधुमक्खी को बचा सकते हैं और वहीं शहद भी पा सकते हैं। लेकिन जो किसान बाहरी राज्यों में जाने में सक्षम नही हैं, को मधुमक्खियों को बचाने के लिए कड़े यत्न करने होंगे।
फूलों की कमी मुख्य परेशानी
इंदू भूषण जोकि बड़े पैमाने पर मधु मक्खी पालन करते हैं, इन दिनों मधमक्खियों की कालोनियों को राज्यस्थान में शिफ्ट करने में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि 15 अक्टूबर से लेकर फरवरी आने तक जम्मू कश्मीर में फूलों की बहुत कमी रहती है। लेकिन जो मधुमक्खी पालक अगर बाहर नही जा सकता, उसे मधुमक्खी कालोनियों को बचाने के कड़े यत्न करने ही होंगे। अगर किसी किसान ने मधुमक्खियों की दस कालोनियां रखी हुई हैं, को हर सप्ताह 10 किलो की चीनी का घोल तैयार कर फीडर में छोड़ना होगा ताकि मधुमक्खी अपनी खुराक तो जुट सकें। यह क्रम फरवरी आने तक जारी रहना चाहिए। उसके बाद जम्मू में सरसों के फूल बहुतायत में उपलब्ध हो जायेंगे।
कालोनियों को सर्दियों से बचाएं
सर्दियों से कालोनियों के फ्रेम को बचाने के लिए अखबार आदि से ढांप कर रखें। कालोनियों में ठंडक नहीं बढ़ेगी अीैर मधुमक्खी सुरक्षित रहेगी। यह ध्यान भी दिया जाए कि मधुमक्खी की कालोनियों को छाया में कदापि न रखें। इससे कालोनियों के भीतर तापमान और ज्यादा गिरने का डर रहता है। कोशिश रहे कि कालोनियों को धूप में रखा जाए। ऐसा करने से कालोनियां सुरक्षित रहेंगी।