Corona Fighters: कोरोना के खिलाफ जंग जीत घर लौटे युवक ने कहा- इस जंग के सबसे बड़े योद्धा हैं डाक्टर
सभी डॉक्टर मेरा हौसला बढ़ाते रहे और मुझे प्यार से समझाते रहे सहलाते रहे दिलासा देते रहे। यह उनके प्यार और उनकी लगन का ही नतीजा है कि मैं उस तनाव से बाहर आ गया।
श्रीनगर, रजिया नूर। कोरोना वायरस को हराकर घर लौटे श्रीनगर के एक युवक के लिए जिंदगी की यह नई सुबह है। लेकिन महामारी के इस अंधेरे के बीच उम्मीद की जो असली किरण है वह डॉक्टर हैं। उनके बिना कुछ संभव नहीं है। कोरोना से जंग के विजेता के मुताबिक सबसे बड़े योद्धा तो डॉक्टर हैं। उन्होंने जिस तरह से मुझे संभाला, मुझे हिम्मत दी और मेरा ख्याल रखा, इसके लिए मैं जीवन भर उनका शुक्रगुजार रहूंगा। आज मैं अस्पताल से निगेटिव टेस्ट लेकर ही नहीं, बल्कि पॉजिटिव सोच लेकर रुखसत हुआ हूं।
कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाला यह युवक उन 12 लोगों में शामिल है जो मंगलवार को ठीक होकर श्रीनगर के डलगेट इलाके में स्थित चेस्ट डिजीज अस्पताल से घर भेजे गए हैं। श्रीनगर में ही रहने वाले इस युवक ने बताया कि वह बेंगलुरु में पढ़ता है। वहां से वापस आया तब ठीक था। हां, गले में खराश महसूस हो रही थी, जैसे अमूमन नजला व जुकाम में होती है। वह बताता है, मैं मोहल्ले के एक केमिस्ट के पास गया। उसने मुझे खांसी की दवाई तो दी, लेकिन जांच कराने की सलाह दी। दो दिन तक खांसी की दवाई ली, लेकिन जब कोई सुधार नहीं हुआ तो मेरे एक दोस्त ने चेस्ट डिजीज अस्पताल जाने की सलाह दी। मैं पापा के साथ वहां गया तो डॉक्टरों ने चेकअप कर मुङो फौरन अस्पताल में भर्ती कर लिया गया।
रिपोर्ट नहीं आने तक मैं परेशान नहीं था, लेकिन जिस दिन पता चला कि वह कोरोना संक्रमित है तो घबरा गया। पूरी दुनिया में जिस तरह के मामले सामने आ रहे थे, उससे डरा हुआ था। कश्मीर में भी कोरोना के मामले बढ़ रहे थे। एक दिन तो डर से मेरी कंपकंपी छूट गई। मैं शुक्रगुजार हूं, इस अस्पताल के डाक्टरों का। उन्होंने मुझे संभाला। मैं बहुत ज्यादा तनाव में रहता था। इस पर डाक्टरों ने मेरी काउंसलिंग की। मुझे समझाया कि यह कोई उतनी खतरनाक बीमारी नहीं है। इस बीमारी का शिकार होने वाले 100 में से 97 बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। तुम भी ठीक हो जाओगे।
सभी डॉक्टर मेरा हौसला बढ़ाते रहे और मुझे प्यार से समझाते रहे, सहलाते रहे, दिलासा देते रहे। यह उनके प्यार और उनकी लगन का ही नतीजा है कि मैं उस तनाव से बाहर आ गया। मेरा विल पावर बढ़ गया। आज मैं ठीक होकर घर जा रहा हूं, लेकिन अस्पताल से निगेटिव टेस्ट लेकर ही नहीं, बल्कि पाजिटिव सोच लेकर रुखसत हुआ हूं।
काश, मैं यह गलती न करता: कोरोना को हराने वाले युवक ने बताया कि मुङो अस्पताल में भर्ती करने के बाद मेरे परिवार के लोगों को भी जकूरा स्थित क्वारंटाइन केंद्र में भेज दिया गया। सोचता रहता था कि मैंने यह गलती क्यों की। मुझे घर जाने से पहले अस्पताल जाना चाहिए था और अपनी ट्रैवल हिस्ट्री भी बतानी चाहिए थी। मैं परिवार के लोगों से फोन पर बात कर लिया करता था।
खुशी के मारे रात भर नहीं सोया: इस बीच, क्वारंटाइन में रखे गए मेरे घरवालों का टेस्ट निगेटिव आया और वह वापस घर पहुंच गए। कुछ दिन बाद मेरा दुबारा टेस्ट किया गया जो निगेटिव आया। इस बार खुशी के मारे रात भर नींद नहीं आई।
अस्पताल में भर्ती संक्रमितों का यह पहला बैच था: चेस्ट डिजीज अस्पताल के एचओडी डॉ. नवीद नजीर शाह ने बताया मंगलवार को जिन्हें घर भेजा गया, वह अस्पताल में भर्ती संक्रमितों का पहला बैच था। 175 संदिग्ध भर्ती किए गए थे। घर भेजे गए सभी 12 लोगों के रिपीट टेस्ट कराए, जो निगेटिव मिले। ये 20 से 65 वर्ष के हैं। श्रीनगर, बड़गाम व बांडीपोरा से है। इन्हें घरों में गाइडलाइन का पालन करना होगा। अस्पताल में अब केवल 10 संक्रमित हैं।