क्या महबूबा मुफ्ती फिर से बन पाएगी मुख्यमंत्री? क्या हैं अड़चनें, जानिए!
पार्टी के कई दिग्गज नेता उनसे नाता तोड़ चुके हैं और कई अभी भी जाने की तैयारी में है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने का दावा करने वाली पीपुल्स डेमोक्रटिक पार्टी की अध्यक्षा पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का फिर से सत्ता में लौटने का सपना अब आसान नजर नहीं आता है। पार्टी के कई दिग्गज नेता उनसे नाता तोड़ चुके हैं और कई अभी भी जाने की तैयारी में है। इन परिस्थितियों ने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि महबूबा मुफ्ती का अगला सियासी सफर मुश्किलों से भरा है। चार पूर्व विधायक और मंत्रियों के इस्तीफे के बाद पार्टी सचिव राजा एजाज अली ने भी अपने क्षेत्र की उपेक्षा से तंग आकर महबूबा को इस्तीफा थमा दिया है। यहीं बस नहीं पार्टी के एक और पूर्व विधायक व राज्यसभा सांसद भी पीडीपी छोड़ने की तैयारी में हैं। राजा एजाज अली अकेले नहीं गए हैं, उनके साथ उड़ी विधानसभा क्षेत्र में पीडीपी के सभी प्रमुख कार्यकर्ताओं, इकाई के पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया।
दूसरे दिग्गज नेता भी नाता तोड़ने की सोच रहे
इस्तीफा देने की कतार में खड़े जिस पूर्व मंत्री और विधायक का नाम लिया जा रहा है, वह संग्रामा से पीडीपी के टिकट पर दो बार विधानसभा पहुंचने वाले बशारत बुखारी हैं। वह पिछली सरकार में केबिनेट मंत्री रह चुके हैं। एक समुदाय विशेष के लिए अत्यंत भावुक रहते हैं। वह गत जून में लश्कर द्वारा मौत के घाट उतारे गए पत्रकार शुजात बुखारी के बड़े भाई हैं। राज्यसभा के सांसद फैयाज अहमद मीर भी पीडीपी छोड़ने का मन बना चुके हैं।
दोनों नेताओं को मनाने का प्रयास कर रही महबूबा
बशारत बुखारी और फैयाज अहमद मीर को मनाने के लिए पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफती ने अपने विश्वासपात्रों को लगाया है। इसके अलावा उन्होंने पार्टी उपाध्यक्ष अब्दुल रहमान वीरी, पूर्व मंत्री दिलावर मीर को भी बुखारी व फैयाज अहमद को मनाने के लिए कहा है। खुद उन्होंने भी कथित तौर पर इन दोनों नेताओं से संपर्क किया है। उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा से ताल्लुक रखने वाले फैयाज मीर के भाई ने हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनावों में भाग लेने के लिए पीडीपी से बगावत की थी। दावा किया जा रहा है कि फैयाज अहमद मीर पीपुल्स कांफ्रेंस में जा सकते हैं। उनके सज्जाद लोन के साथ पुराने संबंध हैं। बशारत बुखारी नेशनल कांफ्रेसं में शामिल हो रहे हैं। बशारत बुखारी के बारे में कहा जाता है कि वह जून में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के भंग होने से करीब आठ माह पहले से लगातार नेशनल कांफ्रेंस के संपर्क में थे। वह गत दिनो महबूबा मुफ्ती द्वारा बुलाई गई पार्टी की कार्यकारिणी बैठक में जिसमें मुजफ्फर हुसैन को संरक्षक बनाया गया है, में भी शामिल नहीं हुए थे।
पीडीपी मूल सिद्धांतों को भूल चुकी है, अब उनका दम घुट रहा था: राजा एजाज अली
राजा एजाज अली ने पीडीपी से इस्तीफा देते हुए पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को लिखे पत्र में कहा है कि संगठन में उनका दम घुट रहा था। पार्टी अपने मूल सिद्धांतों को भूल चुकी है। मैं उड़ी में अपने सभी पार्टी वर्करों व पदाधिकारियों संग संगठन से हर तरह के रिश्ते तोड़ने को बाध्य हूं। राज्य पुलिस में आईजी के पद से रिटायर हुए राजा एजाज अली ने वर्ष 2014 में ही पीडीपी के टिकट पर उड़ी में विधानसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन वह हार गए थे। हालांकि पीडीपी ने अभी राजा एजाज अली के इस्तीफे पर किसी तरह की प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। लेकिन यह पीडीपी के लिए एक बड़ा आघात साबित हो सकता है, क्योंकि राजा एजाज अली को उड़ी विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय लोग अगले विधायक के रुप में देख रहे थे। वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में वह हार गए थे, लेकिन उन्होंने 19 हजार के करीब वोट मिले थे। यह वोट पीडीपी को कम राजा एजाज अली की छवि को ही ज्यादा मिले थे। उन्होंने पीडीपी के वोटरों की संख्या जो वर्ष 2009 तक उड़ी में मात्र 500 थी, वर्ष 2014 में 19 हजार के करीब पहुंचा दी।
अभी तक चार पूर्व विधायक दे चुके हैं इस्तीफा
पीडीपी से अब तक चार पूर्व विधायक इमरान रजा अंसारी, आबिद अंसारी, मोहम्मद अब्बास वानी और पूर्व वित्तमंत्री डाॅ हसीब द्राबु इस्तीफा दे चुके हैं। अंसारी बंधुओं ने जहां पीपुल्स कांफ्रेंस का दामन थामा है, वहीं डा द्राबु ने अभी तक अपनी अगली सियासी पारी का एलान नहीं किया है। राजा एजाज अली ने भी हालांकि यह नहीं बताया कि वह कौन से राजनीतिक दल में जा रहे हैं, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि वह पीपुल्स कांफ्रेंस या कांग्रेस में से किसी एक पार्टी में जा सकते हैं।