Jammu Declaration: अब जम्मू की आवाज तय करेगी सूबे की सियासत के सुर! तेज हुई चर्चा
अनुच्छेद 370 से मुक्ति के साथ जम्मू आजाद हो गया। आजादी कश्मीरी प्रभुत्व और कट्टरवादी सोच व उनके एजेंडे से से। यही वजह है कि अब जम्मू न सिर्फ अपनी आवाज बुलंद कर रहा है बल्कि प्रदेश ही नहीं पूरे देश की सियासत को नई दिशा देने को तैयार है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: अनुच्छेद 370 से मुक्ति के साथ निश्चित तौर पर जम्मू भी आजाद हो गया। आजादी कश्मीरी प्रभुत्व और एजेंडे से और कट्टरवादी सोच से। यही वजह है कि अब जम्मू न सिर्फ अपनी आवाज बुलंद कर रहा है, बल्कि प्रदेश ही नहीं पूरे देश की सियासत को नई दिशा देने को तैयार है। यही वजह है कि यहां के सियासतदान अब किसी राजनीतिक एजेंडे या विचार के लिए कश्मीर की तरफ नहीं देखना चाहते। वह अपना एजेंडा और अपने विचार लेकर आगे बढऩा चाहते हैं। ऐसी सियासत जिसमें सिर्फ जम्मू ही नहीं पूरे जम्मू कश्मीर की सियासत को नई दिशा दी जाए। यही कारण है कि आजकल जम्मू डिक्लेरेशन की स्थानीय सियासी हलकों और बुद्धिजीवियों में चर्चा हो रही है।
जम्मू डिक्लेरेशन का विचार जम्मू के नगरोटा के पूर्व विधायक देवेंद्र सिंह राणा ने दिया है और इस पर खुलकर बहस हो रही है। नेशनल कांफ्रेंस के जम्मू संभाग के प्रधान देवेंद्र सिंह राणा के मुताबिक अब आगे बढऩे का समय आ चुका है। जम्मू ही सही मायनों में सांप्रदायिक सौहार्द और बहुलवादी संस्कृति का प्रतिबिंब है। हमारा मकसद है कि जम्मू से ऐसी आवाज निकले जो राष्ट्रीय एकता, अखंडता को मजबूत बनाने के साथ जम्मू कश्मीर के हितों को सुनिश्चित बनाए। यहां जो विभिन्न वर्गाें में नफरत और अविश्वास का माहौल बना है, वह दूर हो। जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने के साथ सभी हितों को सुनिश्चित बनाएं।
वह कहते हैं कि हम हमेशा ही कश्मीर की तरफ क्यों देखें, कश्मीर से ही जम्मू कश्मीर का एजेंडा तय नहीं होना चाहिए। जम्मू को पूरे प्रदेश का एजेंडा तय करना चाहिए। मैं हर प्रदेश और हर नागरिक को सशक्त बनाने की बात करता हूं। सवाल नेशनल कांफ्रेंस, भाजप, कांग्रेस, पीडीपी का नहीं है, सवाल जम्मू कश्मीर की अवाम का है। गुपकार डिक्लेरशन को आप सियासत से जोड़ सकते हैं, लेकिन जम्मू डिक्लेरेशन को नहीं। पूरे प्रदेश की सिविल सोसायटी, बुद्धिजीवी, लेखक और सियासतदान तक मेरे विचार का समर्थन कर रहे हैं।
कश्मीर में बहुत से लोग इसे सही ठहरा रहे हैं। डा. फारूक अब्दुल्ला या उमर अब्दुल्ला को इससे कोई एतराज नहीं है। जल्द मैं एजेंडे पर जनसंपर्क अभियान चलाने जा रहा हूं ताकि सभी की राय से इसे एक रूप देकर आगे बढ़ाया जाए। जम्मू से उठने वाली आवाज जल्द पूरे देश में सुनी जाएगी।
जम्मू को बांटने की साजिश न हो :
जम्मू कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रो हरि ओम ने कहा कि पहले यह तो पता चले कि इसका मूल एजेंडा क्या है। राणा ने जो कहा है अगर उस पर यकीन करें तो हम कह सकते हैं कि जम्मू अब कश्मीर का पिछलग्गू नहीं रह गया है। कहीं ऐसा तो नहीं कि वह मौजूदा हालात में दरकिनार हुई नेशनल कांफ्रेंस व उसके नेताओं की सियासत के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं। जम्मू डिक्लेरशनल की आड़ में जम्मू प्रांत को बांटने की साजिश नहीं होनी चाहिए।
जम्मू डिक्लेशन भी सियासी है : कुरैशी
जम्मू कश्मीर मामलों के जानकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि जम्मू डिक्लेरेशन का कोई स्पष्ट प्रारूप सामने नहीं आया है। इसे लेकर जिस तरह से बहस हो रही है और जिस तरह से विभिन्न वर्गों के साथ आमराय बनाई जा रही है, वह स्वागतयोग्य है। जम्मू डिक्लेशन भी सियासी है, लेकिन आप पूरी तरह सियासत से नहीं जोड़ सकते। अभी यह मात्र विचार है,यह क्या आकार लेता है, यह देखना बहुत जरूरी है।
कहां निशाना साध रहे हैं : अजात
जम्मू कश्मीर यूनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अजात जम्वाल ने कहा कि राणा जिस तरह से दावा कर रहे हैं, उससे उनकी नेकनीयती नजर आती है। इसके पीछे वह कहां निशाना साध रहे हैं, फिलहाल वही जानते होंगे। कल तक कश्मीरी नेताओं के पीछे चलते हुए उनके एजेंडे पर काम करने वाले जम्मू के सियासतदान अपना एजेंडा खुद तय कर रहे हैं।