Move to Jagran APP

Jammu: जंगल हो रहे खाली, बस्तियों में पहुंच रहे जानवर

इस साल जनवरी में एक तेंदुआ जम्मू के मैदानी इलाके भदरोड़ में पहुंचकर वन्यजीव कर्मचारियों समेत छह लोगों को घायल कर दिया।

By Edited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 08:47 AM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 08:47 AM (IST)
Jammu: जंगल हो रहे खाली, बस्तियों में पहुंच रहे जानवर
Jammu: जंगल हो रहे खाली, बस्तियों में पहुंच रहे जानवर

जागरण संवाददाता, जम्मू : जंगलों में इंसान की बढ़ती दखलअंदाजी और कम हो रही खुराक से वन्यजीव आहत होने लगे हैं। लोगों के जंगलों या वन्यजीवों के विचरण क्षेत्र में घुसने से वन्यजीवों और मानव के बीच टकराव बढ़ने लगा है। तेंदुए नियमित तौर पर मैदानी इलाकों में दिखने लगे हैं।

loksabha election banner

पुंछ, राजौरी, भद्रवाह, किश्तवाड़ और दूसरे दूरदराज क्षेत्र जहां पहले जंगलों के आसपास घर नहीं थे, आज कॉलोनियां बन गई हैं। जंगलों को काटकर बस्तियां बनने लगी हैं। ऐसे में वन्यजीव रिहायशी इलाकों की तरफ रूख करने लगे हैं। हालांकि वन्यजीवों को संरक्षण देने के लिए वर्ष 1978 में जम्मू कश्मीर में अलग से वन्यजीव संरक्षण विभाग स्थापित किया गया था। इसके अधीन 4777.282 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वन्यजीवों के लिए सुरक्षित है। इसके तहत तीन नेशनल पार्क, 13 वन्यजीव सेंचुरियां व 29 वन्यजीव रिजर्व क्षेत्र आते हैं। मगर इस भूमि पर भी लोगों की नजर रही है। इसी सप्ताह जिंद्राह रेंज में 46 कनाल व 11 मरले भूमि को वन विभाग ने अतिक्रमणकारियों के चुंगल से छुड़ाया है।

इंसान से दूरी बनाकर रहने वाला तेंदुआ अब हमले करने लगाः  इंसान से दूरी बनाकर रहने वाला तेंदुआ जंगलों में छोटे बड़े शिकार ढूंढ लेता है, लेकिन वनों में इंसान की दखलअंदाजी से अब उसके लिए खुराक पूरी नहीं होती है। ऐसे में कई बार वह भेड़-बकरी पालकों का पीछा करते-करते उनके बाड़े तक पहुंच जाता है। पुंछ, राजौरी, कठुआ, ऊधमपुर व रियासी जिलों में कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। पिछले साल नवंबर में कठुआ के रामकोट इलाके में तेंदुए के हमले में एक युवक की जान चली गई। मई में रामबन में तेंदुए ने कई भेड़, बकरियों को मार डाला। जून में किश्तवाड़ के रिहायशी इलाके में तेंदुआ घुस आया। पिछले साल सितंबर में किशनपुर पंचायत क्षेत्र में तेंदुए ने दर्जन भर भेड़, बकरियों व कुछ गायों को मार डाला।

इस साल जनवरी में एक तेंदुआ जम्मू के मैदानी इलाके भदरोड़ में पहुंचकर वन्यजीव कर्मचारियों समेत छह लोगों को घायल कर दिया। पहाड़ी क्षेत्र कुद निवासी जावेद हुसैन का कहना है कि ऐसा लगता है कि जंगलों में तेंदुओं की संख्या बढ़ गई है। यही कारण है कि पहले के मुकाबले उनके हमले ज्यादा होने लगे हैं।

वन्यजीवों के संरक्षण के लिए जागरूकता जरूरी : ओपी विद्यार्थी वन विभाग में मुख्य वनरक्षक रहे ओपी विद्यार्थी का कहना है कि वन व वन्यजीवों के संरक्षण के लिए आम लोगों को भी जागरूक होना होगा। जंगलों में इंसान का दखल बढ़ने पर जानवर बाहर आएंगे ही। गैर सरकारी संस्थाओं को आगे आकर लोगों को जागरूक करना चाहिए। कुछ लोगों का कहना है कि जंगलों में तेंदुओं की संख्या बढ़ गई है, लेकिन यह जांच का विषय है। तेंदुओं की गणना का काम शीघ्र शुरू होगा विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तेंदुओं की गणना कराने के लिए योजना बनी है।

जल्द ही गणना का काम शुरू हो जाएगा। इससे पता चलेगा कि आखिर जंगलों में इन जीवों की कितनी आबादी है। आज तक ऐसा कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ, जिससे इनकी संख्या के बारे में कोई टिप्पणी की जा सके। कोई कदम उठाने से पहले इन जीवों की संख्या का पता लगाना जरूरी है। इसके लिए विशेषज्ञों की सेवाएं लेने की दिशा में प्रक्रिया चल रही है। तेंदुओं की ऐसे होगी गणना किश्तवाड़ के नेशनल पार्क, रामनगर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, नंदनी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, जसरोटा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, सुद्धमहादेव जंगल, बाहू रिजर्व व पुंछ-राजौरी के जंगलों में विशेषज्ञों की टीम जाएगी। जंगलों में तेंदुए के पैरों के निशान लिए जाएंगे। छोटे-बड़े व मध्यम पैरों से तेंदुओं की उम्र का अंदाजा लगाया जाएगा। तेंदुए के रूट में मिलने वाले बाल से भी गणना होगी। विशेषज्ञ जांच से पता लगा सकते हैं कि जंगल से मिले बाल कितने तेंदुओं के हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.