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Jammu Kashmir: जानें राज्यसभा में क्‍यों नहीं रहेगा जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व, नए सदस्‍यों के चुनाव में यह है बाधा

राज्यसभा में जल्द ही जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व खत्म होने जा रहा है। जम्मू कश्मीर से राज्यसभा के चारों सदस्यों आजाद मन्हास मीर और लावे का फरवरी महीने में कार्यकाल खत्म हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का गठन न होने के कारण तत्‍काल नए सदस्‍यों का चयन संभव नहीं है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jan 2021 07:19 AM (IST)
Jammu Kashmir: जानें राज्यसभा में क्‍यों नहीं रहेगा जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व, नए सदस्‍यों के चुनाव में यह है बाधा
राज्यसभा में नहीं रहेगा जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व, नए सदस्‍यों का चुनाव फिलहाल संभव नहीं है।

जम्मू, रोहित जंडियाल: राज्यसभा में जल्द ही जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व खत्म होने जा रहा है। जम्मू कश्मीर से राज्यसभा के चारों सदस्यों का अगले माह कार्यकाल पूरा हो जा रहा है और वर्तमान में विधानसभा का गठन न होने के कारण प्रदेश से उच्‍च सदन के सदस्‍य के लिए चुनाव फिलहाल संभव नहीं है। फिलहाल राज्‍य विधानसभा के लिए परिसीमन का कार्य चल रहा है। ऐसे में तत्‍काल विधानसभा चुनाव करवाना संभव भी नहीं है। अर्थात यह पद लंबे समय तक रिक्‍त रहने वाले हैं।

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यहां बता दें कि वर्ष 2015 में हुए चुनाव में जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के चार सदस्‍य चुने गए थे। उस समय जम्‍मू कश्‍मीर में भाजपा-पीडीपी संयुक्‍त सरकार बनाने की तैयारी में थे और दोनों दल चार में से तीन सीटें जीतने में सफल रहे थे। इनमें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) दो और भाजपा एक सीट पर काबिज हुई थी।

पीडीपी से फैयाज अहमद मीर और नजीर अहमद लावे चुने हुए थे हालांकि लावे को बाद में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। भाजपा ने शमशेर सिंह मन्हास को राज्‍यसभा भेजा था। वहीं चौथी सीट कांग्रेस के खाते में गई और पूर्व मुख्‍यमंत्री गुलाम नबी आजाद चुने गए। आजाद फिलहाल राज्‍यसभा में विपक्ष के नेता भी हैं।

आजाद नेशनल कांफ्रेंस और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चुनाव जीतने में सफल रहे थे। इनमें से फैयाज अहमद मीर (PDP) और शमशेर सिंह मन्हास (BJP) का कार्यकाल 10 फरवरी को पूरा हो रहा है। वहीं गुलाम नबी आजाद और पीडीपी के बागी नजीर अहमद लावे 15 फरवरी को अपना कार्यकाल खत्म करेंगे।

अब परिस्थिति एकदम बदली
अगस्त 2019 में केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन कर दिया। इसके बाद जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख दो केंद्रशासित प्रदेश अस्तित्‍व में आए। हालांकि पहले से निर्वाचित राज्‍यसभा सदस्‍यों के कार्यकाल को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 में संरक्षित किया गया। इस तरह चारों सदस्‍य जम्‍मू कश्‍मीर के पुनर्गठन के बावजूद प्रदेश का उच्‍च सदन में प्रतिनिधित्‍व करते रहे। फिलहाल नए जम्मू-कश्मीर में अभी विधानसभा का गठन नहीं हो पाया गया है। ऐसे में चारों सदस्‍यों का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद जम्मू कश्मीर से नए राज्यसभा सदस्‍यों का चुनाव संभव नहीं है। यह सीटें विधानसभा के गठन के बाद भरी जा सकेंगी।

जम्‍मू कश्‍मीर में विधानसभा का चल रहा परिसीमन
जम्‍मू कश्‍मीर विधानसभा के लिए परिसीमन का कार्य चल रहा है। परिसीमन के बाद जम्‍मू कश्‍मीर में विधायकों की संख्‍या बढ़ जाएंगी। पुनर्गठन से पहले जम्‍मू कश्‍मीर में 87 विधायक थे। इसमें चार विधायक लद्दाख के भी शामिल थे। अब लद्दाख अलग केंद्रशासित प्रदेश बन चुका है। इनके अलावा 24 सीटें गुलाम कश्‍मीर के लिए खाली रहती थीं। परिसीमन के बाद जम्‍मू कश्‍मीर में विधायकों की संख्‍या बढ़ाकर 90 कर दी जाएगी। अर्थात परिसीमन के बाद सात सीटें बढ़ जाएंगी। इसके अलावा पहले की तरह गुलाम कश्‍मीर की 24 सीटें खाली रहेंगी। परिसीमन के बाद विधानसभा के गठन के बाद यह 90 विधायक ही भविष्‍य में जम्‍मू कश्‍मीर से राज्‍यसभा के सदस्‍यों का चयन करेंगे। तब तक यह चारों सीटें रिक्‍त रहेंगी।


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