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सैनिकों को राष्ट्रपति का निमंत्रण, जब भी दिल्ली आएं, राष्ट्रपति भवन देखने जरूर आएं

आपका जब भी दिल्ली आना हो, तो राष्ट्रपति भवन में जरूर आएं। आप सबका राष्ट्रपति भवन में स्वागत है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 11 May 2018 09:04 AM (IST)Updated: Fri, 11 May 2018 03:12 PM (IST)
सैनिकों को राष्ट्रपति का निमंत्रण, जब भी दिल्ली आएं, राष्ट्रपति भवन देखने जरूर आएं
सैनिकों को राष्ट्रपति का निमंत्रण, जब भी दिल्ली आएं, राष्ट्रपति भवन देखने जरूर आएं

जम्मू, राज्य ब्यूरो। आपका जब भी दिल्ली आना हो, तो राष्ट्रपति भवन में जरूर आएं। आप सबका राष्ट्रपति भवन में स्वागत है। दुर्गम सियाचिन ग्लेशियर में तैनात सेना के जवानों को यह निमंत्रण वीरवार को राष्ट्रपति व सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर रामनाथ कोविंद ने दिया।

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राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, वह अपने सियाचिन दौरे को लेकर बेहद उत्साहित हैं। सियाचिन ग्लेशियर में तैनात जवानों का हौसला देखते ही बनता है। उन्होंने जवानों की बहादुरी की सराहना करते हुए लिखा, आपकी सावधानी व चौकसी के भरोसे ही देश के नागरिक चैन की नींद सोते हैं।

राष्ट्रपति ने जवानों के साथ उनके परिवारों के योगदान की भी प्रशंसा की। उन्होंने लिखा, आप सब एक दूसरी लड़ाई भी लड़ते हो, वह है परिवारों से दूर रहने की लड़ाई। आपके परिजन अनेक प्रकार की आशंकाओं से ग्रस्त रहने के बावजूद आपका घर व्यवस्थित रूप से चलाते हैं और आपकी कुशल क्षेम के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते रहते हैं। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध स्थल सियाचिन ग्लेशियर के दुर्गम हालात में देश की सेवा कर रहे सैनिकों पर देशवासियों को गर्व है। उन्होंने जवानों से कहा कि मैं देश की सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होने के नाते भारतवासियों का आभार संदेश लेकर आपके बीच आया हूं।राष्ट्रपति गुरुवार को सियाचिन ग्लेशियर में खून जमा देने वाली ठंड में दुश्मन के सामने डटे सैनिकों के बीच पहुंचे। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बाद सियाचिन पहुंचने वाले कोविंद दूसरे राष्ट्रपति हैं। कलाम 2004 में सियाचिन गए थे।

 सियाचिन ग्लेशियर की कुछ चौकियां बीस हजार फीट की उंचाई पर हैं और सर्दियों में यहां पर तापमान शून्य से 52 डिग्री तक कम हो जाता है। ऐसे दुर्गम हालात में भारतीय सेना की चौदह कोर दुश्मन के सामने सीना ताने खड़ी है। लेह दौरे के दौरान राष्ट्रपति ने लद्दाख के सुरक्षा हालात के बारे में भी जानकारी ली। 

लद्दाख क्षेत्र में पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा व चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा की सुरक्षा का जिम्मा सेना की उत्तरी कमान की चौदह कोर का है। इससे पहले सियाचिन के आधार शिविर में जवानों, अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 34 सालों में सियाचिन में आपने जो बहादुरी दिखाई है, उससे पूरे देश को विश्वास हुआ है कि आपके कारण देश की सीमाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं। 

राष्ट्रपति ने सियाचिन की अग्रिम चौकी कुमार पोस्ट का दौरा कर वहां तैनात जवानों व अधिकारियों से विचार विमर्श भी किया। उन्होंने जवानों से कहा कि आपके व आपके परिवारों के पीछे पूरा देश खड़ा है। उन्होंने कहा कि अप्रैल 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के तहत भारतीय सेना ने सियाचिन में प्रवेश किया था। तब से लेकर आज तक आप जैसे वीर जवानों ने देश के सबसे ऊंचे इस भूभाग पर शत्रु के कदम नहीं पड़ने दिए। यह सराहनीय है। राष्ट्रपति सियाचिन में देश की सेवा करते हुए शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए सियाचिन वार मेमोरियल भी गए। 

राष्ट्रपति ने सेना के उन 11 हजार शहीदों को श्रद्धांजलि दी जो 13 अप्रैल 1984 को शुरू हुए ऑपरेशन मेघदूत के दौरान दुश्मन व मौसम की चुनौतियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे। इससे पहले सुबह लेह पहुंचने पर सेना की उत्तरी कमान के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। राष्ट्रपति के सियाचिन दौरे के मद्देनजर थलसेना अध्यक्ष बिपिन रावत बुधवार को ही लद्दाख दौरे पर पहुंच गए थे। 


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