Jammu Kashmir : नालों पर अतिक्रमण बन रहा जलभराव का सबब
अम्बेडकर नगर व नानक नगर से गुजरने वाले नाले पर हुए अतिक्रमण के कारण कुछ साल पहले जब भारी जलभराव हुआ था तो तत्कालीन जिला उपायुक्त सिमरनदीप सिंह ने यहां आकर मौका देखा।
जम्मू, जागरण संवाददाता : शहर में नालों पर हुआ अतिक्रमण जलभराव का सबब बन रहा है। अधिकतर नालों की चौड़ाई कम हो जाने तथा इनके किनारों पर घरों के निर्माण से समस्या विकराल होती जा रही है। ज्यादा बारिश होने पर नाले पानी का दबाव बर्दाश्त नहीं कर पाते और ओवरफ्लो होकर पानी मुहल्लों में घुसता है।
बुधवार को बारिश के बाद शहर के अधिकतर निचले इलाकों में जलभराव का कारण भी यही रहा। हर साल बरसात में जलभराव झेलने वाले त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन क्षेत्र में नाले की चौड़ाई व गहराई कम होने के चलते साथ लगते मुहल्लों में जलभराव होता है। अम्बेडकर नगर में भी स्थिति ऐसी ही है। यहां करीब दस फुट चौड़ा ही नाला बचा है। इतना ही नहीं नाले पर कुछ स्थानों पर अतिक्रमण निर्माण हो चुका है। जब पानी ज्यादा आता है तो फिर यह गलियों से होता हुआ घरों में जा घुसता है।
वहीं डिग्याना के रूपनगर, गंग्याल में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। हालांकि यहां नाले का निर्माण तो कर दिया गया है लेकिन चौड़ाई कम है। छन्नी रामा में तो नाले के किनारे व्यवसायिक ढांचा तैयार होने के चलते समस्या बढ़ी है। यहां नाले की जगह कम हो जाने से हर साल नुकसान हो रहा है। कुछ ऐसा ही हाल नानक नगर के सेक्टर 6, 7, 9 और 12 से गुजरने वाले नाले का भी है। इसकी चौड़ाई यहां 8 से 10 फुट ही रह गई है। जीवन नगर में भी नाले की चौड़ाई कम होने से जलभराव होता है।
जिला उपायुक्त के निर्देशों बाद भी नहीं हुआ कुछ
अम्बेडकर नगर व नानक नगर से गुजरने वाले नाले पर हुए अतिक्रमण के कारण कुछ साल पहले जब भारी जलभराव हुआ था तो तत्कालीन जिला उपायुक्त सिमरनदीप सिंह ने यहां आकर मौका देखा। उन्होंने यकीन दिलाया कि नाले को चौड़ा करने के लिए यहां अतिक्रमण भी हटाया जाएगा। चूंकि इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप है तो कोई काम नहीं हुआ। त्रिकुटा नगर मराठा बस्ती के नजदीक नाले से अतिक्रमण हटाकर काम बंद कर दिया गया।
प्रभावित लोग चाहते हैं
नालों से जलभराव के कारण प्रभावित होने वाले लोग चाहते हैं कि यह अतिक्रमण हटाया जाए। नाले चौड़ें हों। दूसरी तरफ नालों के किनारे जिन लोगों के मकान हैं, वो मानने को तैयार नहीं होते। दो-तीन मंजिला मकान बन चुके हैं। कुछ राजनीतकि लोग भी इनमें शामिल हैं। लिहाजा जिस दिन जलभराव से नुकसान होता है, उस दिन खूब हंगामे किए जाते हैं। उसके बाद फिर लोग शांत हो जाते हैं। ऐसा ही सिलसिला वर्षों से चलता आ रहा है।
सरकार ही कुछ कर सकती है
नगर निगम की पब्लिक हेल्थ एंड सेनिटेशन कमेटी का मानना है कि नालों पर अतिक्रमण के कारण जलभराव की समस्या बनती है। चूंकि बड़ी संख्या में नालों के किनारे मकान बन चुके हैं। अब इन्हें गिरा पाना जम्मू नगर निगम के बस की बात नहीं। सरकार ही कोई फैसला ले तो कार्रवाई हो सकती है। कमेटी के चेयरमैन बलदेव सिंह बलोरिया का कहना है कि नालों के किनारे अतिक्रमण तब रोके नहीं गए। अब समस्या बढ़ रही है। निगम अब किसी को नाले किनारे अतिक्रमण अथवा निर्माण नहीं करने दे रहा है।